RBI Policy 2025: रेट कट की दरकार, क्या रिजर्व बैंक देगा उपहार, Nuvama ने बताया आगे का रास्ता
RBI की अगली MPC मीटिंग पर सभी की नजरें टिकी हैं. Nuvama का कहना है कि फिलहाल Repo Rate कट मुश्किल, लेकिन साल के अंत तक दरों में नरमी संभव है. नुवामा ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि क्यों मौजूदा हालात को देखते हुए रेट कट जरूरी है.

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की अगली बैठक बाजार और निवेशकों के लिए बेहद अहम मानी जा रही है. लगातार बदलते वैश्विक हालात, ट्रंप प्रशासन की नई टैरिफ पॉलिसी और घरेलू मांग की सुस्ती के बीच यह सवाल बड़ा है कि क्या RBI अब Repo Rate में कटौती करेगा या फिर मौजूदा स्थिति को बनाए रखेगा. Nuvama Institutional Equities की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, इस बार RBI शायद रेट कट नहीं हो.
क्या हो सकता है RBI का फैसला?
रिपोर्ट में बताया गया है कि महंगाई वर्ष के अंत तक ऊपर जा सकती है. वहीं रुपया भी दबाव में है. इसके अलावा विदेशी पूंजी के आउटफ्लो के बढ़ने से भी बाजार पर दबाव बढ़ रहा है. इन तमाम परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए फिलहाल RBI दरें घटाकर अतिरिक्त जोखिम लेने से बच सकता है.
Rate Cut की जरूरत क्यों?
रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा हालात में दरों को घटाने की सख्त जरूरत है. क्योंकि, घरेलू स्तर पर मांग बेहद कमजोर बनी हुई है. इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए 100% टैरिफ से वैश्विक व्यापार और भारतीय निर्यात पर दबाव आएगा, जिससे निपटने के लिए नीति आधारित सपोर्ट जरूरी है.
- टैक्स कलेक्शन कम होने से सरकार का खर्च घट सकता है, जिससे आर्थिक गतिविधियां और धीमी होंगी.
- बैंकिंग सिस्टम में क्रेडिट ग्रोथ भी सुस्त है. वास्तविक ब्याज दरें ऊंची हैं, जिन्हें नीचे लाना जरूरी है, ताकि उपभोग बढ़े.
GST Cuts के असर का इंतजार
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने कई क्षेत्रों में GST दरों में कटौती की है, ताकि खपत को बढ़ावा मिले. RBI यह देखना चाहता है कि इन टैक्स कट्स का मांग पर कितना असर पड़ता है. Nuvama का कहना है कि संभव है, GST Cuts से थोड़ी खपत बढ़े, लेकिन इसकी भरपाई घटते सरकारी खर्च और ऊंचे टैरिफ से होने वाले दबाव से हो जाएगी.
कब घटेगी ब्याज दर
Nuvama का आकलन है कि इस बार RBI रेट कट का कदम नहीं उठाएगा, लेकिन साल के अंत तक धीरे-धीरे दरों में नरमी की शुरुआत हो सकती है. खासकर तब, जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व भी आसान नीतियों की तरफ बढ़ रहा है और भारत की वास्तविक ब्याज दरें अब भी ऊंची बनी हुई हैं.
निवेशकों के लिए क्या संकेत
इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि RBI की मौद्रिक नीति अभी सतर्क रहेगी. यानी फिलहाल लोन की दरों में कोई राहत नहीं दिखेगी. लेकिन आगे चलकर, अगर RBI दरों में कटौती शुरू करता है, तो इसका फायदा इक्विटी और बॉन्ड मार्केट के साथ-साथ उपभोक्ताओं को भी मिलेगा, क्योंकि कर्ज लेना सस्ता हो सकता है.
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