नायारा एनर्जी पर SBI सख्त! यूरोप-अमेरिका के प्रतिबंधों के बाद विदेशी ट्रांजैक्शन पर लगाई रोक- रिपोर्ट
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने रूसी स्वामित्व वाली नायारा एनर्जी के अंतरराष्ट्रीय लेनदेन पर रोक लगा दी है. यह कदम अमेरिका-यूरोप के रूस विरोधी प्रतिबंधों के कारण उठाया गया है. नयारा, जो भारत की प्रमुख तेल कंपनियों में से एक है, के व्यापार पर इसका गंभीर असर पड़ सकता है. बैंक ने यह फैसला प्रतिबंधों का पालन सुनिश्चित करने के लिए लिया है.
SBI Halts Nayara Transactions: इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने हाल ही में नायारा एनर्जी के सभी अंतरराष्ट्रीय व्यापार और विदेशी मुद्रा लेनदेन पर रोक लगा दी है. यह कदम अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा रूस पर लगाए गए नए प्रतिबंधों के कारण उठाया गया है. नायारा एनर्जी, जिसका स्वामित्व रूसी तेल कंपनी रोसनेफ्ट के नेतृत्व वाले समूह के पास है, भारत की प्रमुख तेल रिफाइनरी कंपनियों में से एक है.
एसबीआई का यह फैसला अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का पालन सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है, ताकि बैंक पर किसी तरह की कानूनी कार्रवाई ना हो. इससे नायारा एनर्जी के व्यापारिक संचालन पर गंभीर असर पड़ सकता है. हालांकि इस पर कार्रवाई पर अभी तक कंपनी और एसबीआई की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट को मनी 9 लाइव स्वतंत्र रुप से पुष्टि नहीं करता है.
क्यों लिया गया यह फैसला?
जुलाई में यूरोपीय संघ (European Union) ने रूस के खिलाफ नए प्रतिबंध लगाए थे.इनके तहत रूसी तेल पर कीमत की सीमा तय की गई है. अमेरिका ने भी नए टैरिफ लागू किए हैं. इन्हीं प्रतिबंधों के बाद से SBI ने नायारा एनर्जी के लेन-देन बंद कर दिए, ताकि बैंक पर कोई कार्रवाई ना हो.
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नायारा एनर्जी कौन है?
2017 में रोसनेफ्ट ने एस्सार ऑयल की वाडीनार रिफाइनरी खरीदी थी और उसका नाम नायारा एनर्जी रखा. यह कंपनी भारत में 6,500 से ज्यादा पेट्रोल पंप चलाती है. भारत के कुल रिफाइनरी में इसका हिस्सा लगभग 8 फीसदी है. यह विदेशों से कच्चा तेल मंगाती है और रिफाइनिंग के बाद पेट्रोल-डीजल यूरोप, मध्य पूर्व और भारत में बेचती है. मौजूदा वक्त में यह 256 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष से अधिक तेल रिफाइन करती है.
क्या होगा आगे?
नायारा के लिए अब दूसरे बैंकों पर निर्भर रहना पड़ सकता है. अगर और बैंक भी ऐसा कदम उठाते हैं, तो कंपनी को बड़ी मुश्किल हो सकती है. रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने अभी तक कोई आदेश नहीं दिया है, लेकिन बैंक खुद ही सावधानी बरत रहे हैं. एसबीआई की इस कार्रवाई से साफ है कि इस तरह के अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का असर अब भारतीय कंपनियों पर भी दिखने लगा है.
2016 में डीलिस्ट हो गई थी कंपनी
कंपनी की ट्रेडिंग फरवरी 2016 से शेयर बाजार में रोक दी गई. अप्रैल 2005 से ट्रेडिंग रुकने तक निवेशकों को 650 फीसदी का रिटर्न दिया था. 35 रुपये पर इसके शेयर बाजार में लिस्ट हुए थे और 263 रुपये तक पहुंचा था. अगर कोई निवेशक 1,00,000 रुपये निवेश किया, तो उसे ट्रेडिंग बंद होने तक 6,50,000 रुपये का रिटर्न मिला होगा.
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