SBI रिसर्च ने VB-G RAM G को बताया गेम चेंजर, कहा- बेहतर होगी काम की क्वलिटी और दूर होंगी ऑपरेशनल कमियां

SBI रिसर्च ने अपनी लेटेस्ट रिपोर्ट में इस बदलाव को रिस्पॉन्सिव और बराबरी वाले ग्रामीण विकास की दिशा में 'एक कदम' बताया है, जिसे जन भागीदारी या पार्टिसिपेटरी वाली गवर्नेंस का सपोर्ट मिला है. प्रस्तावित FY27 डिजाइन के तहत, केंद्रीय सहायता 96,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है.

मनरेगा की जगह लेगी यह स्कीम. Image Credit: Tv9

एक बड़े पॉलिसी बदलाव के तहत, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) को नए VB-G RAM G फ्रेमवर्क के तहत बदला जा रहा है. इसका मकसद ग्रामीण भारत में रोजगार के नतीजों और संपत्ति निर्माण को बेहतर बनाना है. SBI रिसर्च ने अपनी लेटेस्ट रिपोर्ट में इस बदलाव को रिस्पॉन्सिव और बराबरी वाले ग्रामीण विकास की दिशा में ‘एक कदम’ बताया है, जिसे जन भागीदारी या पार्टिसिपेटरी वाली गवर्नेंस का सपोर्ट मिला है.

रोजगार के दिनों में इजाफा

बदली हुई योजना में गारंटीड रोजगार के दिनों को 100 से बढ़ाकर 125 कर दिया गया है और फंड आवंटन के लिए एक स्ट्रक्चर्ड फ्रेमवर्क पेश किया गया है, जो डिमांड-ड्रिवन अप्रोच से हटकर इक्विटी और एफिशिएंसी पर आधारित नॉर्मेटिव असेसमेंट की ओर बढ़ रहा है.

केंद्र और राज्यों का फंडिंग रेश्यो

प्रस्तावित FY27 डिजाइन के तहत, केंद्रीय सहायता 96,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है. हालांकि ज्यादातर राज्यों के लिए केंद्र का फंडिंग रेशियो 90:10 से घटकर 60:40 हो जाएगा, SBI रिसर्च ने राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय तनाव के डर को खारिज कर दिया, और कहा कि उनकी उधार लेने की क्षमता का पूरा इस्तेमाल नहीं हुआ है और इसके बजाय ‘राज्य के खर्च को प्रोडक्टिव जरूरतों की ओर फिर से मोड़ने’ की बात कही.

नेट गेनर के रूप में ऊभर सकते हैं ये राज्य

एक हाइपोथेटिकल एनालिसिस से पता चलता है कि ज्यादातर राज्य नेट गेनर के रूप में उभरेंगे, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, छत्तीसगढ़ और गुजरात सबसे बड़े लाभार्थियों में से हैं. नए फॉर्मूले के तहत राज्यों को पिछले MGNREGA आवंटन की तुलना में लगभग 17,000 करोड़ रुपये ज्यादा मिल सकते हैं.

स्कीम में होने वाले बड़े बदलाव

मुख्य बदलावों में खेती के मौसम के लिए 60 दिन का ब्रेक, बायोमेट्रिक से जुड़ा काम का बंटवारा, स्पेशल टेक्नोलॉजी पर आधारित प्लानिंग और अनिवार्य बेरोजगारी भत्ता शामिल हैं. काम की कैटेगरी को भी चार हिस्सों में बांटा गया है, जल सुरक्षा, मुख्य ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर, आजीविका इंफ्रास्ट्रक्चर और क्लाइमेट रेजिलिएंस.

राज्यों के अनुसार आवंटन में अंतर (नॉर्मेटिव बनाम औसत FY19–25, FY20–21 को छोड़कर)

राज्यआवंटन अंतर (₹ करोड़)
आंध्र प्रदेश-140
बिहार1152
छत्तीसगढ़1609
गुजरात1336
हरियाणा428
झारखंड800
कर्नाटक622
केरल15
मध्य प्रदेश397
महाराष्ट्र4284
ओडिशा583
पंजाब645
राजस्थान222
तमिलनाडु-909 ( -63 )
तेलंगाना333
उत्तर प्रदेश5568
कुल16946

स्ट्रक्चरल और ऑपरेशनल कमियां

SBI ने मौजूदा स्कीम में कमियों पर जोर देते हुए कहा कि FY25 में स्ट्रक्चरल और ऑपरेशनल कमियों के कारण 1.22 करोड़ परिवारों ने रोजगार के मौके खो दिए. औसत मजदूरी दर बढ़कर 267 रुपये प्रति दिन हो गई है, लेकिन रिपोर्ट में तेलंगाना और राजस्थान सहित कई राज्यों में नोटिफाइड और असल में दी जाने वाली मजदूरी के बीच अंतर बताया गया है.

रिपोर्ट में ग्राम पंचायतों की अनदेखी की गई क्षमता पर जोर दिया गया है, जिनका VB-G RAM G के तहत बढ़ाया गया रोल गलत इस्तेमाल को कम करने और काम की क्वालिटी को बेहतर बनाने की उम्मीद है. FY26 तक, 9,280 पंचायतों ने कोई खर्च नहीं दिखाया, यह एक ऐसी समस्या है जिसे स्कीम बॉटम-अप प्लानिंग के जरिए ठीक करना चाहती है.

महिलाओं की भागीदारी पहले से ही 58 फीसदी है और सोशल ऑडिट भी जरूरी हैं, इसलिए यह योजना खुद को ज्यादा जवाबदेह, समावेशी और भविष्य के लिए तैयार रोजगार पैदा करने वाली योजना के तौर पर पेश करती है.

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