सोने-चांदी के भाव पर नहीं लगेगा ब्रेक! अगले साल 20% तक बढ़ेगा सिल्वर का रेट; गोल्ड भी देगा चमकदार रिटर्न: Emkay रिपोर्ट

एमके वेल्थ मैनेजमेंट ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि अगले 12 महीनों में चांदी की कीमतें 60 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती हैं, यानी मौजूदा स्तर से लगभग 20 फीसदी की बढ़त. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सोने ने इस साल 61.82 फीसदी का रिटर्न दिया है और डॉलर में संभावित गिरावट से सोने-चांदी को और सहारा मिल सकता है.

सोना और चांदी की कीमतें. Image Credit: Getty image

Silver Price Rally by 20%: सोने-चांदी की कीमतों ने पिछले कुछ समय से रिकॉर्ड बढ़ोतरी दिखाई है. हर दिन इनकी कीमतों में नया रिकॉर्ड दर्ज किया है. लेकिन सोने-चांदी की कीमतों में आने वाली बढ़ोतरी का यह फुल स्टॉप नहीं है, आने वाले कुछ सालों में चांदी की कीमत में और भी बड़ा इजाफा हो सकता है. ये बात कोई और नहीं बल्कि Emkay Wealth Management, जो एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज का वेल्थ मैनेजमेंट और एडवाइजरी विभाग है, ने कही है. एमके वेल्थ मैनेजमेंट ने अपनी ताजा रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि अगले एक साल में चांदी की कीमतों में लगभग 20 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.

चांदी में दिखेगी दमदार तेजी!

रिपोर्ट में कंपनी का कहना है कि सिल्वर की कीमतें अगले 12 महीनों में 60 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती हैं, जबकि अभी यह लगभग 50 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर है. एमके वेल्थ के अनुसार, यह तेजी इंडस्ट्रियल मांग में हो रही लगातार बढ़ोतरी और सप्लाई की कमी की वजह से देखने को मिलेगी. फिलहाल सिल्वर का डिमांड- सप्लाई गैप करीब 20 फीसदी पर है और यह स्थिति भविष्य में भी बनी रहने की संभावना है. यानी मांग के मुकाबले सप्लाई सीमित है, जिससे कीमतों पर ऊपर जाने का दबाव बना हुआ है.

सोने में भी मजबूत रिटर्न

रिपोर्ट के मुताबिक, सोना भी इस साल बेहतरीन रिटर्न दे रहा है. 8 अक्टूबर 2025 तक, सोने में 61.82 फीसदी तक की बढ़त दर्ज की गई है. इसके मुकाबले दूसरे एसेट क्लास जैसे कि भारतीय इक्विटीज ने 4.2 फीसदी और बॉन्ड्स ने 8.4 फीसदी का रिटर्न दिया है. इनकी कीमतें आमतौर पर अमेरिकी डॉलर के उतार-चढ़ाव से प्रभावित होती हैं. रिपोर्ट का कहना है कि अगर अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की जाती है, तो डॉलर कमजोर होगा, जिससे सोने और चांदी की कीमतों को और सहारा मिलेगा.

एमके वेल्थ मैनेजमेंट के हेड ऑफ प्रोडक्ट्स, आशीष रनवाडे ने कहा, “संस्थानिक निवेशकों और केंद्रीय बैंकों की ओर से डॉलर के मुकाबले सोने में बढ़ती रुचि ने सोने-चांदी को मजबूती दी है. साथ ही, सिल्वर की डिमांड-सप्लाई स्थिति भी अनुकूल है और यह तकनीकी रूप से ‘ऑल-टाइम हाई’ के ब्रेकआउट जोन में पहुंच चुकी है.”

महंगा वैल्यूएशन फिर भी रुचि बरकरार

एमके वेल्थ मैनेजमेंट की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय इक्विटी मार्केट अभी भी “महंगे जोन” में हैं. निफ्टी 100 का मूल्यांकन 21.8 गुना, निफ्टी मिडकैप 150 का 33.6 गुना, निफ्टी स्मॉलकैप 250 का 30.43 गुना, और निफ्टी माइक्रो कैप 250 का 28.88 गुना है. इसके बावजूद, घरेलू निवेशक लगातार भारतीय इक्विटीज में पैसा लगा रहे हैं. एमके वेल्थ के हेड ऑफ रिसर्च, डॉ. जोसेफ थॉमस ने कहा, “भारत संरचनात्मक रूप से एक ऐसा देश है जो ग्लोबल अर्थव्यवस्था में ‘आउटलायर’ के रूप में उभर रहा है. हालिया IPO बूम ने भारतीय बाजार को पहले से कहीं ज्यादा बड़ा बना दिया है.”

कई चीजों का असर

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अमेरिका द्वारा कई देशों पर लगाए गए टैरिफ (Import Tariffs) से ग्लोबल सप्लाई चेन में भारी अव्यवस्था आई है. उदाहरण के लिए, अमेरिकी ऑटो इंडस्ट्री को मेक्सिको और कनाडा पर टैरिफ के कारण भारी झटका लगा है. पहले एक वाहन के पार्ट्स औसतन 5-6 बार सीमाओं को पार करते थे, लेकिन अब यह प्रक्रिया महंगी और धीमी हो गई है. भारत को भी इस व्यापारिक नीति का नुकसान झेलना पड़ा है, क्योंकि अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर 50 फीसदी तक के ऊंचे टैरिफ लगाए हैं. इसके अलावा, यूक्रेन और मध्य पूर्व के युद्धों ने वैश्विक व्यापार और सप्लाई लाइनों को और कमजोर किया है.

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