SEBI ने घटाई ब्रोकर्स पर पेनाल्टी की मार, 235 की जगह अब 90 नियम होंगे लागू; कंप्लायंस सिस्टम भी हुआ आसान

सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने स्टॉक ब्रोकर्स के लिए बड़ा सुधार करते हुए पेनाल्टी सिस्टम में बड़ा बदलाव किया है. अब ब्रोकर्स पर लगने वाले जुर्माने की संख्या 235 से घटाकर सिर्फ 90 कर दी गई है. छोटे तकनीकी उल्लंघनों को ‘फाइनेंशियल डिसइन्सेंटिव’ माना जाएगा, जबकि पहली बार की गलती पर सलाह या चेतावनी दी जाएगी.

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SEBI Eases Stock Brokers Penalty Rules: सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI ने स्टॉक ब्रोकर्स के लिए एक बड़ा सुधारात्मक कदम उठाया है. कारोबार करने में आसानी और नियमों के अनुपालन को आसान  बनाने के उद्देश्य से सेबी ने ब्रोकर्स पर लगने वाली पेनाल्टी यानी जुर्माने के ढांचे में बड़ा बदलाव किया है. अब तक जहां एक्सचेंजों की ओर से ब्रोकर्स पर 235 तरह की पेनाल्टी लगाई जाती थीं, वहीं अब इनकी संख्या घटाकर सिर्फ 90 कर दी गई है. यह बदलाव स्टॉक मार्केट में ट्रांसपैरेंसी और समानता लाने की दिशा में एक अहम पहल मानी जा रही है.

क्या है सेबी का नया नियम?

सेबी के अनुसार, पहले चरण में कुल 235 मौजूदा पेनाल्टी नियमों की समीक्षा की गई. इस समीक्षा में पाया गया कि कई जुर्माने छोटे-छोटे प्रक्रियागत उल्लंघनों या तकनीकी त्रुटियों से संबंधित हैं. इसलिए, सेबी ने ऐसे 40 जुर्मानों को पूरी तरह समाप्त कर दिया है, जबकि 105 छोटे मामलों को ‘फाइनेंशियल डिसइन्सेंटिव’ के रूप में कैटिगराइज किया गया है. यानी अब इन्हें ‘Penalty’ नहीं कहा जाएगा. इसके बाद, अब सिर्फ 90 पेनाल्टी नियम ही लागू रहेंगे, जो गंभीर और वास्तविक उल्लंघनों से जुड़े होंगे.

अब तक क्या होता आया है?

इस कदम का सबसे बड़ा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी एक्सचेंजों में एक जैसे उल्लंघनों के लिए समान दंड दिया जाए. पहले ऐसा होता था कि अगर कोई ब्रोकर कई एक्सचेंजों में सदस्य होता और वही गलती सभी जगह हो जाती, तो हर एक्सचेंज अलग-अलग पेनाल्टी लगाता था. अब ऐसा नहीं होगा. सेबी ने स्पष्ट किया है कि भविष्य में इस तरह के मामलों में केवल लीड एक्सचेंज ही पेनाल्टी लगाएगा. इससे ब्रोकर्स पर दोहरे जुर्माने का बोझ खत्म होगा और नियमन की प्रक्रिया और भी पारदर्शी बनेगी.

इन पर नहीं लगेगा कोई जुर्माना

सेबी ने यह भी कहा है कि छोटे या पहली बार के उल्लंघनों पर अब पैसे का जुर्माना नहीं लगाया जाएगा. इसके बजाय, कंपनी को सलाह या चेतावनी दी जाएगी. इससे छोटे ब्रोकर्स को राहत मिलेगी और उन पर अनावश्यक वित्तीय दबाव नहीं पड़ेगा. साथ ही, सेबी ने कई नियमों में पेनाल्टी की अधिकतम सीमा तय कर दी है ताकि एक्सचेंज मनमाने ढंग से भारी जुर्माने न लगा सकें.

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हमेशा नहीं होगा ‘Penalty’ शब्द का इस्तेमाल

सेबी ने बताया कि पहले “Penalty” शब्द का इस्तेमाल हर गलती के लिए किया जाता था, जिससे ब्रोकर्स की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचता था. कई बार यह गलती सिर्फ एक तकनीकी त्रुटि या प्रक्रियागत भूल होती थी, लेकिन ‘Penalty’ शब्द के इस्तेमाल से यह ‘गंभीर अपराध’ जैसा दिखता था. इसलिए अब इस शब्द को बदलकर “Financial Disincentive” कहा जाएगा, जिससे ब्रोकर्स की छवि और विश्वसनीयता पर असर नहीं पड़ेगा.

सेबी ने यह भी स्पष्ट किया कि यह नया पेनाल्टी फ्रेमवर्क न केवल भविष्य के मामलों पर, बल्कि चल रहे मामलों पर भी लागू होगा. यानी जिन ब्रोकर्स पर पुराने नियमों के तहत कार्रवाई चल रही है, उन्हें भी इस बदलाव से राहत मिलेगी. इसका उद्देश्य है कि सभी ब्रोकर्स को समान अवसर और न्याय मिले.

एक रिपोर्ट सिस्टम!

इसके अलावा, सेबी ने ब्रोकर्स के अनुपालन (Compliance) को आसान बनाने के लिए एक नई तकनीकी व्यवस्था लागू की है, जिसे ‘सामूहिक प्रतिवेदन मंच (Samuhik Prativedan Manch)’ कहा गया है. यह एक कॉमन रिपोर्टिंग सिस्टम है, जिसकी मदद से ब्रोकर्स को अब हर एक्सचेंज पर अलग-अलग रिपोर्ट जमा करने की जरूरत नहीं होगी. अब वे एक ही एक्सचेंज पर रिपोर्ट फाइल करेंगे, जो सभी एक्सचेंजों के लिए मान्य होगी.

इससे समय और लागत दोनों की बचत होगी. यह सिस्टम 1 अगस्त 2025 से लागू हो चुका है. इसके पहले चरण में 40 अनुपालन रिपोर्ट शामिल की गई है. वहीं, दूसरा चरण 15 अक्टूबर से शुरू होगा, जिसमें 30 अतिरिक्त रिपोर्ट भी जोड़ी जाएंगी. यह कदम ब्रोकर्स के लिए Compliance Cost को कम करेगा और नियामकीय प्रक्रिया को और तेज बनाएगा.

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