15 लाख करोड़ का होगा गोल्ड लोन का बाजार, रिकॉर्ड कीमत और बैंकों की पावरफुल एंट्री ने बदल दिया सेंटिमेंट
सोने की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के बीच गोल्ड लोन बाजार में जबरदस्त हलचल देखी जा रही है. एक नई रिपोर्ट ने इस सेक्टर की रफ्तार और बैंकों की भूमिका पर दिलचस्प खुलासे किए हैं. जानिए कैसे गोल्ड लोन अब भारतीय वित्तीय बाजार की नई ताकत बनता जा रहा है.

भारत का गोल्ड लोन बाजार अब उम्मीद से एक साल पहले ही नया रिकॉर्ड बनाने की ओर बढ़ रहा है. रेटिंग एजेंसी ICRA के मुताबिक, संगठित गोल्ड लोन बाजार (organised gold loan market) मार्च 2026 तक 15 लाख करोड़ रुपये के स्तर को छू लेगा, जबकि पहले यह अनुमान मार्च 2027 तक का था. इस तेजी के पीछे मुख्य कारण हैं, सोने की बढ़ती कीमतें और बैंकों की मजबूत पकड़.
सोने की कीमतों में उछाल से बढ़ी रफ्तार
ICRA ने कहा कि गोल्ड लोन सेक्टर में हालिया तेजी का सबसे बड़ा कारण सोने की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी है. बढ़ते दामों ने लोन वैल्यू बढ़ाई है और बैंकों को इस बाजार में और आक्रामक बनाया है. एजेंसी के मुताबिक, गोल्ड लोन का कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) मार्च 2025 तक 11.8 लाख करोड़ रुपये पहुंच चुका है, जो FY2024–FY2025 के दौरान लगभग 26 फीसदी की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ा.
बैंकों का बढ़ता दबदबा, NBFC पीछे
ICRA के आंकड़ों के मुताबिक, मार्च 2025 तक बैंकों की हिस्सेदारी पूरे संगठित गोल्ड लोन बाजार में 82 फीसदी हो चुकी है. FY2020 से FY2025 के बीच बैंकों का AUM करीब 26 फीसदी की दर से बढ़ा, जबकि एनबीएफसी (NBFCs) की वृद्धि दर 20 फीसदी रही. बैंकों के लोन पोर्टफोलियो में भी बदलाव देखा गया है. मार्च 2025 तक रिटेल या पर्सनल गोल्ड लोन की हिस्सेदारी बढ़कर 18 फीसदी हो गई, जो एक साल पहले 11 फीसदी थी. वहीं कृषि और अन्य कैटेगरी में गोल्ड कोलेटरल वाले लोन की हिस्सेदारी 70 फीसदी से घटकर 63 फीसदी रह गई.
भले ही बैंकों का दबदबा हो, लेकिन ICRA का मानना है कि FY2026 में NBFC गोल्ड लोन AUM में 30-35 फीसदी की बढ़त हो सकती है. हाई गोल्ड प्राइस और असुरक्षित ऋण उत्पादों (Unsecured loan products) में कम वृद्धि दर इसके पक्ष में काम करेगी.
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साथ ही, देश में ‘फ्री गोल्ड होल्डिंग’ यानी घरों में बिना गिरवी रखे सोने की बड़ी मात्रा इस बाजार को विस्तार का मौका दे रही है. जून 2025 तक NBFC गोल्ड लोन AUM लगभग 2.4 लाख करोड़ रुपये रहा, जो साल-दर-साल 41 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है. यह बाजार अभी भी कुछ बड़ी कंपनियों तक सीमित है, जिनमें शीर्ष चार एनबीएफसी की हिस्सेदारी 81 फीसदी है.
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