4300 छोटी फार्मा कंपनियों पर लग सकता है ताला, सरकार की सख्ती से मचा हड़कंप; सस्ती दवाओं की होगी किल्लत?
छोटी दवा कंपनियों के सामने ऐसा संकट खड़ा हो गया है, जिसकी आहट से दवा बाजार तक हिल गया है. एक सरकारी नियम ने कई कारोबारियों की नींद उड़ा दी है. क्या अब सस्ती दवाएं बनना बंद हो जाएंगी? रिपोर्ट में बताया गया है कि इसका असर कैंसर जैसी अहम दवांइयों पर भी देखने को मिल सकता है.

देश की हजारों छोटी और मझौली दवा कंपनियों के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है. नए गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज (GMP) मानकों के तहत मई के अंत तक सरकार को अपग्रेडेशन प्लान सौंपने की डेडलाइन थी, लेकिन अनुमानित 6,000 एमएसएमई (MSME) फार्मा यूनिट्स में से सिर्फ 1,700 ने ही ये प्लान जमा किया है. यानी 4300 यूनिट्स सरकार के नए नियम का पालन करने में असमर्थ रही और अब उनके कारखानों में ताले लगने की संकट आ गई है. अब सरकार न केवल सख्ती की तैयारी में है, बल्कि कई यूनिट्स पर ‘स्टॉप प्रोडक्शन नोटिस’ तक जारी हो सकते हैं, जिससे दवाओं की किल्लत और कीमतों में तेजी आने की आशंका जताई जा रही है.
सरकार की सख्ती और उद्योग की परेशानी
स्वास्थ्य मंत्रालय ने ‘शेड्यूल एम’ के तहत फार्मा यूनिट्स के लिए गुणवत्ता मानकों को अनिवार्य कर दिया है. इन मानकों के तहत आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वच्छता, रिकॉर्ड-कीपिंग और उत्पादन प्रक्रियाओं में सुधार की आवश्यकता है. ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, छोटे कारोबारी संगठनों का कहना है कि इतने बड़े बदलावों के लिए उन्हें तकनीकी और वित्तीय सहायता की जरूरत है, जो अब तक पर्याप्त नहीं मिल पाई. मंत्रालय के मुताबिक, कंपनियों को पर्याप्त समय दिया गया था, और 250 करोड़ रुपये से कम टर्नओवर वाले यूनिट्स को फरवरी में तीन महीने की अतिरिक्त मोहलत भी दी गई थी.
उद्योग जगत के विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में कई छोटी यूनिट्स बंद हो सकती हैं जिससे हजारों लोगों की नौकरियां भी खतरे में पड़ सकती हैं. कुछ मामलों में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की दवाओं की उपलब्धता भी प्रभावित हो सकती है, क्योंकि इनका प्रोडक्शन कुछ सीमित यूनिट्स में ही होता है.
दवा महंगी होने का खतरा
इकोनॉमिक टाइम्स की हवाले से कई बिजनेसमैन का कहना है कि अगर बड़ी संख्या में यूनिट्स बंद होती हैं, तो दवाओं के प्रोडक्शन में कमी आएगी और इससे कीमतों में उछाल आ सकता है. इसीलिए उन्होंने सरकार से अपील की है कि वह इन यूनिट्स को ‘हैंड होल्डिंग सपोर्ट’ दे और जरूरी मदद उपलब्ध कराए ताकि वह अपना काम जारी रख सकें.
यह भी पढ़ें: 200 डॉलर पहुंच जाएंगे कच्चे तेल के दाम, इराक के डिप्टी पीएम का दावा, रोज गायब होगा 50 लाख बैरल
अगर सरकार ने सख्त कदम उठाए और सहायता नहीं दी, तो फार्मा क्षेत्र के छोटे खिलाड़ी बाजार से गायब हो सकते हैं और इसके साथ ही, आम आदमी को सस्ती दवाएं मिलना भी मुश्किल हो सकता है.
Latest Stories

India-UAE के बीच 2030 तक 100 अरब डॉलर का होगा नॉन-ऑयल ट्रेड, CEPA की बदौलत बना तीसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर

ऐसा है विवेक ओबराय का बिजनेस साम्राज्य, जानें 55000 करोड़ का कनेक्शन; बॉलीवुड बंदा कैसे बना कॉरपोरेट हीरो

माइक्रोसॉफ्ट में फिर छंटनी, 1000 से ज्यादा कर्मचारियों की जा सकती है नौकरी, 6300 लोगों की पहले ही जा चुकी है जॉब
