कौन सी कंपनी बनाती है तेजस फाइटर जेट? दूसरी बार हुआ क्रैश… जानें- कैसे पड़ा था इसका नाम

Tejas Fighter Jet and HAL: तेजस सिंगल-इंजन, 4.5-जेनरेशन का मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट है जिसका डेल्टा विंग डिजाइन है. साल 2016 में भारतीय वायुसेना के बेड़े में पहली बार तेजस शामिल हुआ था. फोर्स को 2 एयरक्राफ्ट मिले थे. इंडियन एयर फोर्स अपनी तेजी से कम होती स्क्वाड्रन स्ट्रेंथ को भरने के लिए तेजस फाइटर जेट पर भरोसा कर रही है.

कौन सी कंपनी बनाती है तेजस जेट. Image Credit: AI

Tejas Fighter Jet and HAL: साल 1983 में डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने एक स्वदेसी लाइट एयर कॉम्बैक्ट (LCA) बनाने का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालाय को दिया. प्लान इसलिए बनाया गया था कि दो दशक से भारतीय वायु सेना में अपनी सर्विस दे रहे है मिग 21 को विदा कर दिया जाए. साल बीता और 1984 में मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट पर मुहर लगा दी और एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) की नींव पड़ी. काम शुरू हो गया. 1986 में DRDO के गैस टर्बाइन रिसर्च ईस्टैब्लिशमेंट (GTRE) में इंजन बनाने की शुरुआत हुई. इस काम में कुल 14 बरस लगे. 14 साल के रिसर्च के बाद इंजन बनकर तैयार हुआ, तो नाम रखा गया कावेरी. इसके बाद कहानी में एंट्री हुई हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की.

साल 1990 में इसे नए फाइटर प्लेन के लिए डिजाइन तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई. फिर पांच साल बीते और 1995 में प्लेन के दो दो वेरीअन्ट TD-1 और TD-2 सामने आए. यह एक प्रोटोटाइप था. फिर पांच साल गुजरे और 2001 में एयरक्राफ्ट के पहले प्रोटोटाइप ने पहली बार रनवे से नोज उठाकर आसमान की तरफ बढ़ा. यानी पहली उड़ान भरी. अगले साल यानी 2002 में दूसरे प्रोटोटाइप TD-2 ने उड़ान भरी. दोनों उड़ानें सफल रहीं. फिर साल 2003 में इसका नामकरण हुआ. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस एयरक्राफ्ट का नाम ‘तेजस’ दिया.

इंडियन एयर फोर्स का यही तेजस फ़ाइटर जेट शुक्रवार शाम को दुबई एयर शो में फ्लाइट डेमोंस्ट्रेशन के दौरान क्रैश हो गया. फाइटर जेट को उड़ान के बीच में क्रैश होते और आग के गोले में बदल गया. क्रैश में तेजस जेट के पायलट की मौत हो गई.

कितनी बड़ी कंपनी है HAL?

भारत में विकसित तेजस एक 4.5 जनरेशन हर मौसम में उड़ान भरने वाला एक मल्टी रोल एयरक्राफ्ट है. इस एयरक्राफ्ट को सरकारी डिफेंस कंपनी हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) करती है. मार्केट कैप के हिसाब से HAL देश की सबसे बड़ी डिफेंस कंपनी है. इसका एमकैप 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में 10 फीसदी बढ़कर 1,669 करोड़ रुपये हो गया, जबकि पिछले साल इसी समय में यह 1,510 करोड़ रुपये था. इस डिफेंस PSU कंपनी का इस तिमाही में ऑपरेशन से रेवेन्यू Rs 6,629 करोड़ रहा, जो पिछले फाइनेंशियल ईयर की इसी तिमाही में रिपोर्ट किए गए Rs 5,976 करोड़ से 11 फीसदी ज्यादा है.

कंपनी की क्षमता

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड का इतिहास और ग्रोथ 85 साल से अधिक समय से भारत में एयरोनॉटिकल इंडस्ट्री की ग्रोथ का दूसरा नाम है. कंपनी के पास एयरोस्पेस के क्षेत्र में पूरी डिजाइन और डेवलपमेंट क्षमता है. अब तक बनाए गए 31 तरह के एयरक्राफ्ट में से 17 स्वदेशी डिजाइन के हैं. कंपनी के पास अलग-अलग तरह के एयरक्राफ्ट और उसके सिस्टम के डिजाइन और बनाने का लंबा अनुभव है. कंपनी की आगे की ग्रोथ के लिए, HAL के लिए अपनी R&D क्षमताओं को मज़बूत करना जरूरी समझा गया और उसी के अनुसार पहले के डिजाइन ब्यूरो को फिर से बनाया गया.

HAL के मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम

HAL में चल रहे मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम में SU-30 MKI, LCA और DO-228 एयरक्राफ्ट और ALH-ध्रुव, चेतक, चीतल और LCH हेलीकॉप्टर का प्रोडक्शन शामिल है. अभी जो रिपेयर ओवरहॉल (ROH) प्रोग्राम चल रहे हैं, उनमें जगुआर (अपग्रेड के साथ), मिराज (अपग्रेड के साथ), किरण, HS-748, AN-32, MiG 21, Su-30 MKI, हॉक, डॉर्नियर Do-228, ALH, चीतल, चीता और चेतक शामिल हैं.

कंपनी सभी पुराने और नए प्रोडक्ट्स की लाइफ साइकिल जरूरतों को पूरा करने के लिए मेंटेनेंस और ओवरहॉल सर्विस देती है. अभी, 13 तरह के एयरक्राफ्ट/हेलीकॉप्टर और इंजन की ओवरहॉलिंग की जा रही है. इसके अलावा, रशियन, वेस्टर्न और देसी डिज़ाइन के एयरक्राफ्ट पर लगे अलग-अलग एक्सेसरीज़ और एवियोनिक्स की रिपेयर/ओवरहॉल के लिए भी सुविधाएं मौजूद हैं.

HAL का एक्सपोर्ट

HAL के ग्लोबल प्लेयर बनने के मिशन के हिसाब से, एक्सपोर्ट को एक जरूरी एरिया के तौर पर पहचाना गया है. HAL ने इंटरनेशनल कस्टमर्स को ध्रुव, लांसर, चेतक और चीता हेलीकॉप्टर और Do-228 एयरक्राफ्ट सप्लाई किए हैं और ऊपर बताए गए प्लेटफॉर्म के लिए प्रोडक्ट सपोर्ट भी दे रहा है. कंपनी ने एयरबस, बोइंग, रोल्स रॉयस, IAI, रोसोबोरोनएक्सपोर्ट वगैरह जैसी ग्लोबल एविएशन कंपनियों को हाई प्रिसिजन स्ट्रक्चरल और कम्पोजिट वर्क पैकेज, असेंबली, एवियोनिक्स वगैरह सप्लाई करके अपनी क्रेडिबिलिटी बनाई है.

चल रहे स्वदेशी डेवलपमेंट प्रोग्राम

लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) MK 1A, लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH), लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (LUH), बेसिक टर्बोप्रॉप ट्रेनर HTT 40 और इंडियन मल्टी रोल हेलीकॉप्टर (IMRH)। HTFE-25 और HTSE-1200 इंजन का डिजाइन और डेवलपमेंट भी शुरू किया गया है.

अभी के अपग्रेड प्रोग्राम में जगुआर DARIN-III अपग्रेड, मिराज अपग्रेड और हॉक i शामिल हैं. प्लेटफॉर्म के अलावा, एयरक्राफ्ट डिस्प्ले सिस्टम, मिशन कंप्यूटर, हेलीकॉप्टर के लिए ऑटोमैटिक फ्लाइट कंट्रोल और एयरक्राफ्ट एक्सेसरीज और एवियोनिक्स जैसे जरूरी एरिया में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए अलग-अलग टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट भी शुरू किए गए हैं.

दूसरा तेजस क्रैश

दुबई एयरशो तेजस क्रैश फाइटर जेट का अब तक का दूसरा क्रैश है. पिछले साल मार्च में, एक तेजस फाइटर राजस्थान के जैसलमेर में एक स्टूडेंट हॉस्टल के कंपाउंड में ट्रेनिंग सॉर्टी के दौरान क्रैश हो गया था. स समय, पायलट सुरक्षित रूप से इजेक्ट हो गया था. इंडियन एयर फोर्स अपनी तेजी से कम होती स्क्वाड्रन स्ट्रेंथ को भरने के लिए तेजस फाइटर जेट पर भरोसा कर रही है.

2016 में हुआ था शामिल

तेजस सिंगल-इंजन, 4.5-जेनरेशन का मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट है जिसका डेल्टा विंग डिजाइन है. इसे एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) ने डेवलप किया है और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने इंडियन एयर फोर्स (IAF) के लिए बनाया है. साल 2016 में भारतीय वायुसेना के बेड़े में पहली बार तेजस शामिल हुआ था. फोर्स को 2 एयरक्राफ्ट मिले थे.

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