SBI में अब तक कितने बैंकों का विलय, जानें फायदा मिला या घाटा, बीते 17 वर्षों का देंखे हिसाब, आ गया न्यू प्लान
सरकार ने सार्वजनिक बैंकों को मजबूत बनाने के लिए एक बार फिर MegaPSBs Merger की तैयारी शुरू कर दी है. देश के 12 सरकारी बैंकों में से 8 बैंकों को चार बड़े बैंकों, SBI, PNB, Bank of Baroda और Canara Bank के साथ मर्ज करने का प्रस्ताव तैयार हो रहा है. इसमें कई छोटे और कमजोर PSU बैंक शामिल हैं, जिनके SBI में जुड़ने की संभावना सबसे ज्यादा बताई जा रही है. अगर ये योजना लागू होती है, तो SBI न सिर्फ देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक रहेगा, बल्कि एक ‘सुपर बैंक’ के रूप में अपनी पकड़ और मजबूत करेगा.
SBI Bank Merger 2025: सरकार Public sector bank को मजबूत बनाने के लिए फिर से विलय की तैयारी कर रही है. NITI आयोग की सिफारिश के तहत 8 सरकारी बैंकों को केवल चार बड़े बैंकों (जिनमें SBI, Canara bank, Bank of Baroda और PNB शामिल है) में सीमित किया जाना चाहिए. सरकार अगर इस Mega PSBs Merger को मंजूरी दे देती है तो इसकी संभावना कई ज्यादा है कि इसमें SBI की अहम भूमिका होगी. SBI अब तक कई एसोसिएट बैंकों और अन्य बैंकों को खुद में शामिल कर चुका है, और इसके साथ ही कंपनी के फाइनेंस और मार्केट कैप में बड़ा फर्क देखने को मिला.
SBI में अब तक 8 बैंक हो चुके हैं मर्ज
ब्लूमबर्ग को दिए एक हालिया इंटरव्यू में SBI के चेयरमैन चल्ला श्रीनिवासुलु सेटी ने संकेत दिया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में एक और दौर का विलय व्यावहारिक और फायदेमंद साबित हो सकता है उन्होंने कहा कि कुछ और “रैशनलाइजेशन” यानी संरचनात्मक सुधार समझदारी भरा कदम होगा, क्योंकि अभी भी कुछ छोटे और कमजोर पैमाने वाले बैंक मौजूद हैं.
इस विलय के बाद SBI की शाखाएं, ग्राहक और एसेट बेस काफी बढ़ गया.
विलय के बाद SBI की वित्तीय स्थिति में बदलाव
इन मर्जर के बाद SBI के कुछ मुख्य वित्तीय आंकड़ों में उल्लेखनीय बदलाव देखे गए हैं:
- टोटल एसेट्स: सभी मर्जर के बाद SBI का कुल एसेट बेस बढ़कर लगभग 37 लाख करोड़ रुपये हो गया, जिससे यह विश्व के शीर्ष 50 बैंकों में शामिल हो गया.
- नेट NPA रेशियो: विलय से पहले SBI का नेट एनपीए रेशियो 2.54% था, जो विलय के बाद घटकर 2.10 फीसदी रह गया. इसका मतलब SBI की एसेट क्वॉलिटी में सुधार हुआ है. विलय के बाद SBI का नेट NPA इसलिए घटा क्योंकि जिन एसोसिएट बैंकों का NPA बहुत ज्यादा था, वे पहले से ही भारी प्रावधान (provision) कर चुके थे. यानी खराब लोन पर नुकसान का बड़ा हिस्सा पहले ही बुक हो चुका था. जब ये बैंक SBI में शामिल हुए, तो कुल मिलाकर ग्रुप के नेट NPA का औसत नीचे आ गया और एसेट क्वॉलिटी में सुधार दिखने लगा.
- बैंक को हुआ मुनाफा: मर्जर से लॉन्गटर्म मजबूती बढ़ी, पर शॉर्ट-टर्म में लाभ प्रभावित हुआ. उदाहरण के लिए, FY2016 में SBI समूह का नेट प्रॉफिट ₹12,225 करोड़ था, लेकिन FY2017 में यह मात्र 241 करोड़ रुपये रह गया. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इसके कई एसोसिएट बैंक भारी घाटे में थे. इन बैंकों के बढ़ते एनपीए और प्रोविजनिंग के बोझ ने पूरे समूह के नेट प्रॉफिट को लुढ़का दिया.
- शाखाएं और उपस्थिति: मर्जर से SBI की शाखाओं की संख्या बढ़ी है (2017 के आंकड़े के मुताबिक, बैंक के पास लगभग 22,500 शाखाएं हो गईं), और अंतरराष्ट्रीय शाखाओं की संख्या भी बढ़ी, जिससे बैंक की वैश्विक उपस्थिति मजबूत हुई.
सितंबर 2025 तक SBI की ग्रॉस एडवांसेज 44,19,674 करोड़ रुपये पर पहुंच गई, जबकि बैंक के कुल डिपॉजिट ₹55,91,700 करोड़ रहे. इस दौरान बैंक का ग्रॉस NPA रेशियो 1.73 फीसदी पर रहा, जो एसेट क्वॉलिटी के स्थिर रहने का संकेत देता है.
वहीं Q2FY26 के अंत तक SBI का कुल बिजनेस टर्नओवर ₹100 ट्रिलियन के पार पहुंच गया और बैंक के महत्वपूर्ण RAM पोर्टफोलियो (Retail, Agriculture, MSME) ने भी ₹25 ट्रिलियन का स्तर पार कर लिया, जो रिटेल और MSME सेगमेंट में मजबूत ग्रोथ को दिखाता है.
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही (Q2FY26) के लिए मजबूत नतीजे जारी किए हैं. बैंक का कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट ₹21,504.49 करोड़ रहा, जो पिछले साल की समान तिमाही के ₹20,219.62 करोड़ की तुलना में 6.4% की बढ़ोतरी को दिखाता है.
स्टैंडअलोन आधार पर SBI का प्रदर्शन और बेहतर रहा. बैंक का स्टैंडअलोन नेट प्रॉफिट ₹20,159.67 करोड़ रहा, जो पिछले साल के ₹18,331.44 करोड़ की तुलना में 10 फीसदी अधिक है. इन नतीजों से यह साफ है कि SBI ने दूसरी तिमाही में स्थिर आय, बेहतर लोन ग्रोथ और नियंत्रित खर्चों के सहारे मजबूत लाभ दर्ज किया है.
भविष्य में संभावित मर्जर और SBI के लिए अवसर
सरकार और NITI Aayog की ताजा योजनाओं के मुताबिक अगली मर्जर लहर में SBI फिर से मुख्य भूमिका निभा सकता है. संभावित विलय के दावेदार छोटे सार्वजनिक बैंकों में शामिल हैं, इंडियन ओवरसीज बैंक(IOB), यूको बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, पंजाब एवं सिंध बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया.
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वर्तमान में SBI का लगभग 25% क्रेडिट मार्केट हिस्सेदारी है, और नए विलयों से इसकी बाजार हिस्सेदारी और नेटवर्क और मजबूत हो सकता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि इन विलयों से बड़े बैंक ज्यादा सक्षम ऋणदाता बनेंगे और एनपीए प्रबंधन में मदद मिलेगी, जिससे SBI समेत सभी बड़े बैंक मजबूत होंगे.