क्या 2026 में सस्ती हो जाएगी बिजली? पावर ट्रेडिंग फीस घटाने पर विचार कर रहा CERC, जानें डिटेल्स

CERC पावर एक्सचेंजों की ट्रांजैक्शन फीस घटाने पर विचार कर रहा है, ताकि मार्केट कपलिंग के बाद बिजली की कीमतों को नरम किया जा सके. जनवरी 2026 से डे-अहेड मार्केट में कपलिंग लागू होगी, जिससे एक समान कीमत तय होगी और खरीदारों व उपभोक्ताओं को फायदा मिल सकता है. कुल मिलाकर उम्मीद यह जताई जा रही है कि नए साल में बिजली की कीमत सस्ती हो सकती है लेकिन अभी अंतिम फैसला लिया नहीं गया है.

सस्ती हो सकती है बिजली! Image Credit: money9live & canva

देश में बिजली की कीमतों को काबू में रखने और पावर मार्केट को ज्यादा पारदर्शी बनाने की दिशा में नए साल (2026) में बड़ा कदम उठाया जा सकता है. बिजली क्षेत्र का नियामक Central Electricity Regulatory Commission (CERC) पावर एक्सचेंजों द्वारा वसूली जाने वाली ट्रांजैक्शन फीस को तर्कसंगत (रैशनलाइज) करने पर विचार कर रहा है. माना जा रहा है कि इससे समय के साथ बिजली खरीदारों की लागत घटेगी और अंततः उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है. पीटीआई के अनुसार, अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल ट्रांजैक्शन फीस पर चर्चा शुरुआती चरण में है और अंतिम फैसला सभी स्टेकहोल्डर्स से परामर्श के बाद ही लिया जाएगा.

अलग-अलग एक्सचेंजों पर नहीं रहेंगे अलग-अलग दाम

यह पहल ऐसे समय पर सामने आई है, जब पावर सेक्टर मार्केट कपलिंग की ओर बढ़ रहा है. CERC ने इस सुधार को इस साल जुलाई में मंजूरी दी थी, जिसे जनवरी 2026 से चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाना है. इसकी शुरुआत डे-अहेड मार्केट (DAM) से होगी. मार्केट कपलिंग के तहत सभी पावर एक्सचेंजों पर आने वाली खरीद और बिक्री की बोलियों को एक साथ जोड़कर एक ही मार्केट-क्लियरिंग प्राइस तय किया जाएगा. इससे मौजूदा सिस्टम की तरह अलग-अलग एक्सचेंजों पर अलग-अलग दाम नहीं रहेंगे.

ट्रांजैक्शन फीस की समीक्षा

पीटीआई के अनुसार, एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि CERC ने दिसंबर 2025 में “पावर एक्सचेंजों द्वारा वसूली जा रही ट्रांजैक्शन फीस की समीक्षा” पर एक स्टाफ पेपर तैयार किया है. इसमें यह जांच की जा रही है कि मौजूदा ट्रांजैक्शन फीस ढांचा जो फिलहाल अधिकतम 2 पैसे प्रति यूनिट तक सीमित है. यह तेजी से बढ़ते वॉल्यूम और यूनिफाइड प्राइस डिस्कवरी वाले नए बाजार के लिए उपयुक्त है या नहीं.

रिपोर्ट के अनुसार, ज्यादातर ट्रेडिंग सेगमेंट्स के लिए 1.5 पैसे प्रति यूनिट की फिक्स्ड ट्रांजैक्शन फीस तय की जाने पर विचार किया जा रहा है. वहीं, टर्म-अहेड मार्केट (TAM) के लिए, जहां सौदे लंबी अवधि के होते हैं और ऑपरेशनल गतिविधि अपेक्षाकृत कम रहती है, वहां फीस को 1.25 पैसे प्रति यूनिट तक घटाने पर भी विचार किया जा रहा है. फिलहाल, एक्सचेंज अधिकतर मामलों में अधिकतम सीमा के करीब ही शुल्क वसूलते हैं.

बिजली ट्रेडिंग का वॉल्यूम

पिछले एक दशक में भारत का एक्सचेंज-बेस्ड पावर मार्केट तेजी से बढ़ा है. 2009-10 के मुकाबले बिजली ट्रेडिंग का वॉल्यूम 16 गुना से ज्यादा बढ़ चुका है और 2023-24 में यह 120 अरब यूनिट के पार पहुंच गया. जहां पहले डे-अहेड मार्केट का दबदबा था, वहीं अब रियल-टाइम, इंट्रा-डे और टर्म-अहेड सेगमेंट्स की हिस्सेदारी भी लगातार बढ़ रही है.

क्या होगा असर

इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि मार्केट कपलिंग से अलग-अलग एक्सचेंजों के बीच कीमतों का अंतर घटेगा, उत्पादन क्षमता का बेहतर उपयोग होगा और डिस्कॉम्स व बड़े उपभोक्ताओं को अधिक किफायती दरों पर बिजली मिल सकेगी. फिलहाल, Indian Energy Exchange (IEX) का एक्सचेंज-बेस्ड ट्रेडिंग में करीब 90% हिस्सा है, जबकि Power Exchange India Ltd (PXIL) और Hindustan Power Exchange Ltd (HPX) बाकी हिस्सेदारी संभालते हैं. नए फ्रेमवर्क के तहत ये तीनों एक्सचेंज बारी-बारी से मार्केट कपलिंग ऑपरेटर की भूमिका निभाएंगे, जबकि Grid-India बैकअप और ऑडिट ऑपरेटर रहेगा.

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