प्लेन की सबसे Safe सीट कौन सी, जहां पर होता है सबसे कम खतरा, 35 साल के रिकॉर्ड से खुला राज

अहमदाबाद एयरपोर्ट पर लंदन से जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट हादसे का शिकार हो गई, जिसमें 242 यात्री सवार थे. विमान में गुजरात के पूर्व सीएम विजय रुपाणी और कई विदेशी नागरिक भी थे. राहत कार्य जारी है.

Which seat is safe on the flight: 12 जून को अहमदाबाद एयरपोर्ट से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट एक हादसे का शिकार हो गई. इस विमान में कुल 242 यात्री सवार थे. घटना के बाद राहत और बचाव कार्य जारी है. इस फ्लाइट में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी समेत कई विदेशी नागरिक भी मौजूद थे. यह घटना एक बार फिर हवाई यात्रा की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है.

इस साल की यह कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी अजरबैजान और दक्षिण कोरिया में दो बड़े विमान हादसे हो चुके हैं. इन घटनाओं ने दुनियाभर के यात्रियों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर विमान में सबसे सुरक्षित सीट कौन-सी होती है?

पीछे की सीट होती है सबसे सुरक्षित

2015 में Time Magazine ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें पिछले 35 वर्षों के विमान हादसों का विश्लेषण किया गया. इस रिसर्च के मुताबिक, विमान की पिछली सीटों पर बैठने वाले यात्रियों की मृत्यु दर केवल 32 फीसदी थी, जबकि बीच की सीटों पर 39 फीसदी और आगे की सीटों पर 38 फीसदी रही. यानी प्लेन का पिछला हिस्सा तुलनात्मक रूप से ज्यादा सुरक्षित माना गया.

पिछला सीट क्यों है सेफ

विमान हादसों के विश्लेषण से यह पता चलता है कि क्रैश के दौरान अक्सर प्लेन का सामने का हिस्सा, जैसे कि कॉकपिट और फर्स्ट क्लास, सबसे पहले प्रभावित होता है. टेकऑफ या लैंडिंग के वक्त होने वाले हादसों में इंपैक्ट आगे के हिस्से पर ज्यादा होता है, जबकि विमान का पिछला हिस्सा देर से प्रभावित होता है, जिससे वहां बैठे यात्रियों को बचने का थोड़ा अधिक मौका मिल जाता है.

इसके अलावा, प्लेन के पिछले हिस्से में आमतौर पर कम भीड़ होती है और इमरजेंसी एक्जिट भी पास होते हैं, जिससे धुआं या आग लगने की स्थिति में बाहर निकलना अपेक्षाकृत आसान होता है. कुछ मामलों में यह भी देखा गया है कि दुर्घटना के समय विमान का पिछला हिस्सा कम स्पीड से जमीन से टकराता है, जिससे डैमेज और झटका थोड़ा कम महसूस होता है. इन सभी कारणों से विमान का पिछला हिस्सा तुलनात्मक रूप से अधिक सुरक्षित माना जाता है.

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सुरक्षा के लिए और सख्त कदम जरूरी

अहमदाबाद की यह घटना हमें यह याद दिलाती है कि हवाई यात्रा की सुरक्षा को लेकर हर स्तर पर सतर्कता ज़रूरी है. इसमें तकनीकी जांच, पायलट प्रशिक्षण और यात्रियों को जागरूक करने जैसे पहलुओं को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है. इससे भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सकता है.