ड्रोन ही फ्यूचर, टाटा से अडानी तक बना रहे हैं धड़ाधड़, भारत का बदल गया डिफेंस बाजार
Drone Market In India: ड्रोन अब जरूरत बन चुका है और इसी जरूरत को आधार बनाते हुए भारत में ड्रोन की इंडस्ट्री अब अंकुरित बीज से बढ़कर पौधा बन गई है और अब एक वृक्ष बनने की प्रक्रिया में है. भारत में धीरे-धीरे ड्रोन बनाने वाली कंपनियां बड़ी हो रही हैं.

Drone Market In India: युद्ध अब पहले जैसा नहीं रहा. दुश्मन भले ही बूट और राइफल लेकर न आए, लेकिन भिनभिनाते ड्रोन के झुंड, खामोश साइबर हमले और उनकी हर हरकत का हिसाब रखने वाले AI एल्गोरिदम के साथ आए. पूरी दुनिया ने जंग में ड्रोन की अहमियत को समझ लिया है और इसकी काबिलियत को परख भी लिया है. हाल ही में भारत ने पहलगाम के आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई में कामिकेज ड्रोन का इस्तेमाल किया था. तो ड्रोन अब जरूरत बन चुका है और इसी जरूरत को आधार बनाते हुए भारत में ड्रोन की इंडस्ट्री अब अंकुरित बीज से बढ़कर पौधा बन गई है और अब एक वृक्ष बनने की प्रक्रिया में है.
ड्रोन का झुंड
भिनभिनाते ड्रोन के झुंड सिर्फ हमला ही नहीं करते हैं. कुछ निगरानी करते हैं, कुछ अटैक और कुछ दुश्मन के सेंसर या कॉम्युनिकेशन को जाम कर देते हैं. मतलब एक झुंड में कई तरह के ड्रोन होते हैं. भारत इन सभी तरह के ड्रोन को बना रहा है. धीरे-धीरे ड्रोन बनाने वाली कंपनियां बड़ी हो रही हैं और बाजार अपनी सफलता के ड्रोन उड़ा रही हैं.
पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत की तुरंत और सटीक प्रतिक्रिया ने देश के तेजी से बढ़ते डिफेंस ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग को इकोसिस्टम को सुर्खियों को में ला दिया है. भारत में डिफेंस ड्रोन, घरेलू इनोवेशन और रणनीतिक वैश्विक सहयोग का एक डायनामिक नेटवर्क है, जो अब आतंकवाद विरोधी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.
भारतीय कंपनियां बना रही हैं ड्रोन
भारत में इस परिवर्तन का नेतृत्व टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड, अडानी एल्बिट, अडानी डिफेंस, सोलर इंडस्ट्रीज, जेडमोशन ऑटोनॉमस सिस्टम्स, राफे एमफिब्र और आइडियाफोर्ज जैसी कंपनियां कर रही हैं – ये सभी एडवांस्ड मानवरहित एयर प्लेटफार्मों के साथ भारतीय डिफेंस फोर्स को एक्टिव रूप से समर्थन दे रही हैं.
अलग-अलग तरह के ड्रोन हो रहे तैयार
ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया (DFI) के अनुसार, ये कंपनियां ड्रोन क्षमताओं की एक रेंज प्रदान कर रही हैं. एस्टेरिया एयरोस्पेस सर्विलांस UAV प्रदान कर रही है. सोलर इंडस्ट्रीज और जेडमोशन ऑटोनॉमस सिस्टम नागास्त्र लोइटरिंग म्यूनिशन ड्रोन की सप्लाई कर रही है. जबकि टाटा एडवांस्ड सिस्टम एएलएस-50 लोइटरिंग म्यूनिशन ऑफर कर रहा है.
राफे एमफिबर निगरानी और लॉजिस्टिक्स UAV प्रदान कर रहा है, अडानी अल्फा डिजाइन और एल्बिट सिस्टम स्काईस्ट्राइकर लोइटरिंग म्यूनिशन ड्रोन प्रदान कर रही है. अडानी डिफेंस दृष्टि (हर्मिस 900) निगरानी ड्रोन की आपूर्ति कर रहा है और आइडियाफोर्ज सर्विलांस UAV प्रदान कर रही है.

इंपोर्ट पर निर्भरता कम करने की तैयारी
वैश्विक खतरों के बढ़ने के साथ ही भारतीय ड्रोन निर्माता इंपोर्ट पर निर्भरता कम करने के लिए स्वदेशी सामग्री बढ़ा रहे हैं और अपनी सप्लाई चेन को स्थानीय बना रहे हैं. इनमें से कई कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि वे पहले से ही जियो-पॉलिटिकल वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए प्लेटफॉर्म डिजाइन कर रहे हैं. भारत में फिलहाल 50 से अधिक ड्रोन कॉम्पोनेंट बनाने वाली कंपनियां हैं. ये डिफेंस और नागरिक ड्रोन कंपनियों के लिए कॉम्पोनेंट तैयार कर रही हैं.
मजबूत पॉलिसी से मिली रफ्तार
साल 2021 में मजबूत नीतिगत पहल के बाद भारत की डिफेंस ड्रोन की यात्रा ने गति पकड़ी. उस वर्ष, सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत ने ड्रोन को रणनीतिक प्राथमिकता के रूप में स्थापित करने के लिए एक साथ काम किया, जिसके नतीजे के रूप में ड्रोन नियम 2021, प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना, इंपोर्ट बैन और उदार निर्यात नियम पेश किए गए.
शुरुआत में ग्लोबल सप्लाई चेन पर काफी निर्भरता थी, लेकिन अब सभी लीडिंग ड्रोन कंपनियों के पास 70-75 फीसदी स्वदेशी क्षमताएं हैं और कुछ भौगोलिक क्षेत्रों में उपलब्ध महत्वपूर्ण सामग्रियों पर वैश्विक निर्भरता है.
DFI के अनुसार, भारतीय डिफेंस ड्रोन कंपनियों ने पिछले पांच वर्षों में सर्विलांस, लॉजिस्टिक और लॉयटरिंग के लिए ड्रोन के रिसर्च एंड डेवलमेंट और मैन्युफैक्चरिंग में सामूहिक रूप से लगभग 2,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है.
कितना बड़ा है ड्रोन का बाजार
रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में, भारत के मिलिट्री ड्रोन मार्केट ने लगभग 1.53 अरब डॉलर का रेवेन्यू जेनरेट किया और 2030 तक 4.08 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है, जो 17.9 फीसदी की CAGR से बढ़ रहा है. इसी समय भारतीय कृषि ड्रोन बाजार ने 2024 में 145.4 मिलियन डॉलर जेनरेट किए और 2030 तक 631.4 मिलियन डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है, जो 2025 से 2030 तक 28.1 फीसदी CAGR को दर्शाता है. अगर सेगमेंट के आधा पर देखें, तो रोटरी ब्लेड 2024 में सबसे अधिक रेवेन्यू जेनरेट करने वाला ड्रोन टाइप था.
सेना के लिए मददगार साबित हो रहे ड्रोन
चाहे सीमावर्ती क्षेत्रों की निगरानी हो या दूरदराज के इलाकों में वास्तविक समय की खुफिया जानकारी एकत्र करना, ड्रोन हमारे सैन्य बलों की एफिशिएंसी, चपलता और सुरक्षा को बढ़ा रहे हैं. हाई रिस्क वाले क्षेत्रों में, वे मिशन की सटीकता में सुधार करते हुए मानवीय भेद्यता को कम करते हैं. झुंड ड्रोन से लेकर लंबी दूरी के UAV तक, घरेलू ड्रोन तकनीकों पर भारत का बढ़ता ध्यान आत्मनिर्भरता की ओर एक निर्णायक कदम है. कई घरेलू स्टार्टअप और कंपनियों ने कई तरह के सैन्य ड्रोन डिजाइन और तैनात किए हैं . कामिकेज़ सुसाइड ड्रोन से लेकर सर्विलांस ड्रोन और ऐसे वेरिएंट जो पेलोड ले जा सकते हैं.
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