मेडे-मेडे के बाद क्या करता है प्लेन का क्रू, इमरजेंसी के बारे में यात्रियों को कब और कैसे मिलती है जानकारी?
अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे ठीक पहले प्लेन के पायलट ने एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को मेडे कॉल किया. जानते हैं, यहे मेडे कॉल क्या होता है, किस स्थिति में किया जाता है और इसके बाद फ्लाइट का क्रू क्या करता है. यात्रियों को कब पता चलता है कि प्लेन किसी संकट में है.
Ahmedabad Air India Plane Crash में कुल 265 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है. इस हादसे में सिर्फ एक व्यक्ति जीवित बचा. हादसे से ठीक पहले प्लेन के पायलट ने ATC यानी एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को मेडे कॉल किया. नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने एक बयान में कहा कि एयर इंडिया की फ्लाइट एआई171 के क्रू ने उड़ान भरने के तुरंत बाद एयर ट्रैफिक कंट्रोल को मेडे कॉल किया, लेकिन उसके बाद एटीसी को विमान से कोई जवाब नहीं मिला. जानते हैं यह कॉल कब किया जाता है, इसके बाद विमान में क्या होता है और विमान में सवार यात्रियों को कब पता चलता है कि वे किसी संकट में हैं. यहां जातने हैं इन सभी सवालों के जवाब.
क्या होता है मेडे कॉल?
मेडे कॉल को डिस्ट्रैस कॉल सिग्नल भी कहा जाता है. यह एक अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त प्रक्रिया है. इसका उपयोग एविएशन और मैरिटाइम में उस समय किया जाता है, जब कोई ऐसी स्थिति पैदा हो जाए, जिसमें मौत का संकट हो. यह शब्द फ्रांसीसी वाक्यांश “m’aider” से आया है, जिसका अर्थ है “मेरी मदद करो.” इसे पहली बार 1920 पेश इस्तेमाल किया गया और इसके बाद अब यह वैश्विक स्तर पर एक मानक प्रोटोकॉल है.
क्या है मेडे प्रोटोकॉल?
जब किसी फ्लाइट के पायलट या क्रू की तरफ से मेडे कॉल किया जाता है, तो यह एक इंटरनेशनल एविएशन प्रोटोकॉल शुरू हो जाता है. इस दौरान पायलट को “मेडे” शब्द को तीन बार दोहराना होता है. जब पायलट “मेडे, मेडे, मेडे” कहता है, तो ATC को पता चल जाता है कि प्लेन और क्रू किसी ऐसी स्थिति में है, जहां मौत का खतरा है. इसके बाद तुंरंत प्रतिक्रिया दी जाती है.
कौन करता है मेडे कॉल?
PIC यानी पायलट-इन-कमांड आमतौर पर VHF रेडियो फ्रिक्वेंसी पर मेडे कॉल करता है. यह एक इंटरनेशनल फ्रिक्वेंसी है. आमतौर पर यह 12.5 मेगाहर्ट्ज फ्रिक्वेंसी होती है. PIC की तरफ से जब तीन बार मेडे दोहराया जाता है, तो ATC विमान की पहचान, आपातकाल की प्रकृति, स्थिति, ऊंचाई और दिशा और विमान पर लोगों की संख्या जैसी जानकारियां दर्ज करता है. इसके बाद तुरंत उस विमान को मदद देने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है.
मेडे कॉल के बाद क्या होता है?
एयर ट्रैफिक कंट्रोल संकटग्रस्त विमान को पूरी प्राथमिकता देता है. दूसरे प्लेन को रनवे से हटा दिया जाता है और एयर ट्रैफिक को पूरी तरह रोक दिया जाता है. इसके बाद निकटतम हवाई अड्डे पर इमरजेंसी लैंडिंग की तैयारी की जाती है. इसके साथ ही एयरपोर्ट पर फायरब्रिगेड एम्बुलेंस आदि पहुंच जाती हैं.
विमान में पायलट और क्रू क्या करता है?
मेडे कॉल के बाद पायलट एक स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रॉसिजर को फॉलो करते हुए इंजन फेल्योर, आग या मेडिकल इमरजेंसी के हिसाब से विमान की आपातकालीन लैंडिंग का प्रयास कर सकता है. वहीं, विमान में मौजूद क्रू की तरफ से यात्रियों को सूचित किया जाता है कि अगला कदम क्या होने वाला है. वहीं, इस दौरान क्रू की तरफ से सभी को ऑक्सीजन मास्क और सीट बेल्ट लगाने की हिदायत दी जाती है.