Akash Prime की सफलता के शोर से गूंजी लद्दाख की वादियां, क्षमता और ताकत देख थर्राए चीन-पाकिस्तान
लद्दाख में भारतीय सेना ने स्वदेशी Akash Prime एयर डिफेंस सिस्टम का सफल टेस्ट किया है. आकाश प्राइम ने एक साथ दो हाई-स्पीड एरियल टारगेट को तबाह किया. 15 हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई पर मिली भारत की इस सफलता ने चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है. जानिए इसकी ताकत और रणनीतिक महत्व.
Akash Prime Air Defence System: दुनियाभर में चल रहे संघर्षों और पिछले दिनों ऑपरेशन सिंदूर से मिले अनुभवों के आधार पर भारत तेजी से अपने एयर डिफेंस सिस्टम को मजबूत बनाने में जुटा है. इस क्रम में अब भारत ने Akash Prime एयर डिफेंस सिस्टम का लद्दाख में सफल परीक्षण किया है. पूरी तरह से स्वदेशी Akash Prime एयर डिफेंस सिस्टम ने 15,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर दो हाई-स्पीड एरियल टारगेट को पूरी सटीकता से नष्ट किया.
क्यों अहम यह कामयाबी?
भारत ने दुश्मन के हवाई हमलों को नाकाम करने के लिए मल्टी लेयर एयर डिफेंस सिस्टम तैयार किया है. इस सिस्टम में हाई अल्टिट्यूड लोकेशन पर अपने सैन्य और नागरिक ठिकानों की रक्षा के लिए आकाश प्राइम बेहद अहम है. लद्दाख में किए गए टेस्ट ने यह साबित कर दिया है कि अब भारत ऐसे दुर्गम इलाकों में भी दुश्मन के हवाई हमलों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है. लद्दाख में आकाश प्राइम की सफलता के शोर से एक ओर जहां हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया है, वहीं इसकी मारक क्षमता और सटीकता ने चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है.
रक्षा मंत्रालय ने क्या बताया?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस टेस्ट का एक वीडियो शेयर करते हुए बताया कि यह परीक्षण 16 जुलाई को किया गया. यह भारतीय वायु सुरक्षा के लिए एक अहम मील का पत्थर साबित हुआ है. आकाश प्राइम, आकाश वेपन सिस्टम का अपग्रेडेड संस्करण है, जिसे खासतौर पर भारतीय सेना के लिए हाई अल्टिट्यूड लोकेशन के लिए डिजाइन किया गया है.
यह टेस्ट भारतीय सेना की आर्मी एयर डिफेंस यूनिट और DRDO यानी रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में किया गया. कठिन परिस्थितियों और कम ऑक्सीजन वाले ऊंचे इलाके में भी यह सिस्टम दो हाई स्पीड टारगेट को भेदने में पूरी तरह सफल रहा.
ऑपरेशन सिंदूर में भी किया शानदार प्रदर्शन
इससे पहले आकाश प्राइम ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की वायु सेना के चीनी लड़ाकू विमानों और तुर्किय मेड ड्रोन से किए गए हमलों को नाकाम करने में अहम भूमिका निभाई थी. PTI की एक रिपोर्ट के मुताबिक रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक आकाश प्राइम को भारतीय सेना की तीसरी और चौथी आकाश रेजिमेंट में शामिल किया जाएगा. इससे देश की वायु सुरक्षा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी.
आकाश रेजिमेंट को मिलेगी नई ताकत
आकाश प्राइम में मौजूदा आकाश सिस्टम की तुलना में कई तकनीकी सुधार किए गए हैं. इसमें सबसे बड़ी गेम चेंजर तकनीक एक्टिव रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) सीकर से जुड़ी है, जिसे पूरी तरह से भारत में ही तैयार किया गया है. इसकी वजह से यह बेहद सटीकता के साथ टारगेट को नष्ट करने में सक्षम है. इसके अलावा यह सिस्टम अत्यधिक ठंडे वातावरण और ऊंचाई वाले इलाकों में भी विश्वसनीय प्रदर्शन करने में सक्षम है. यह मिसाइल सिस्टम 4,500 मीटर यानी करीब 15,000 फीट की ऊंचाई तक तैनात किया जा सकता है . इसकी रेंज 30 किलोमीटर तक है.
दुनिया में किससे मुकाबला?
आकाश प्राइम एक मिडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइ डिफेंस सिस्टम है. इस कैटेगरी में इसका मुकाबला चीन के HQ-16, रूस के Buk-M3 और अमेरिका के NASAMS सिस्टम से है. भारत का आकाश प्राइम कई मामलों में इन सभी सिस्टम्स को मात देता है. खासतौर पर लागत के मामले में बाकी सभी एयर डिफेंस सिस्टम भारतीय सिस्टम से काफी ज्यादा महंगे हैं.
देश | सिस्टम का नाम | रेंज (दूरी) | ऊंचाई सीमा | टारगेट प्रकार | रडार तकनीक | अनुमानित लागत | विशेषताएं |
भारत | Akash Prime | 25–30 किमी | 18,000 मीटर तक | एयरक्राफ्ट, ड्रोन | इंडिजिनस RF एक्टिव सीकर | ₹60–70 करोड़ | स्वदेशी निर्माण, ऑल-वेदर, हाई ऑल्टीट्यूड सक्षम |
चीन | HQ-16 | 40 किमी तक | ~10,000 मीटर तक | एयरक्राफ्ट, मिसाइल | सेमी-एक्टिव रडार | $20–25 मिलियन (अनुमानित) | रूसी तकनीक आधारित, PLA द्वारा बड़े पैमाने पर उपयोग |
रूस | Buk-M3 | 45–70 किमी | ~25,000 मीटर तक | क्रूज मिसाइल, एयरक्राफ्ट | एक्टिव/सेमी एक्टिव | $15–20 मिलियन (लगभग) | मल्टी टारगेट एंगेजमेंट, मॉड्यूलर डिजाइन |
अमेरिका | NASAMS (AIM-120 सहित) | 25–50 किमी | ~20,000 मीटर तक | ड्रोन, एयरक्राफ्ट, क्रूज मिसाइल | एक्टिव रडार सीकर | $23–30 मिलियन (प्रति फायर यूनिट) | NATO स्टैंडर्ड, मल्टी-लेयर नेटवर्क इंटीग्रेशन |