कर्मचारियों से 90 घंटे काम चाहने वाले L&T चेयरमैन की सैलरी 50% बढ़ी, 76.25 करोड़ रुपये का हुआ पैकेज
सप्ताह में 90 घंटे काम की वकालत करने वाले L&T के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन की सैलरी में वित्त वर्ष 2024-25 में 50 फीसदी की ग्रोथ हुई है. इस तरह उनका सालाना पैकेज बढ़कर 76.25 करोड़ हो गया है. L&T के आम कर्मचारियों की तुलना में सुब्रह्मण्यन का पैकेज 500 गुना से भी ज्यादा है.

देश की शीर्ष इंजीनियरिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों में शामिल लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन की सैलरी FY25 में करीब 50 फीसदी बढ़कर 76.25 करोड़ पहुंच गई है. यह जानकारी कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट के हवाले से सामने आई है. पिछले साल सुब्रह्मण्यन कर्मचारियों से सप्ताह में 90 घंटे काम करने की बात कहकर चर्चा में आए थे. पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में उनका कुल वेतन 51.05 करोड़ था. कंपनी की सालाना रिपोर्ट में वेतन में हुई बड़ी बढ़ोतरी का मुख्य कारण उनकी तरफ से ESOP (Employee Stock Option Plan) का इस्तेमाल बताया गया है, जिसकी वैल्यू 15.88 करोड़ रही. जबकि, पिछले वित्त वर्ष में यह वैल्यू शून्य थी.
क्या था 90 घंटे वाला बयान?
सुब्रमण्यन ने कंपनी की एक इंटरनल बातचीत के दौरान कहा, “मुझे अफसोस होता है कि मैं तुमसे रविवार को काम नहीं करा पाता. अगर मैं तुमसे रविवार को काम करा सकूं, तो मुझे बहुत खुशी होगी, क्योंकि मैं भी रविवार को काम करता हूं. तुम घर बैठे क्या करते हो? तुम अपनी पत्नी को कब तक घूर सकते हो?” उनके इस बयान के बाद पूरे देश में वर्क लाइफ बैलेंस को लेकर बहस छिड़ गई थी.
ESOP और बोनस का असर
L&T ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि सुब्रमण्यन की सैलरी में हुई बढ़ोतरी में बेस सैलरी, बोनस, परफॉर्मेंस लिंक्ड इंसेंटिव, और ESOP एक्सरसाइज की भूमिका है. शेयर विकल्पों के जरिये उन्हें इस बार विशेष लाभ हुआ है, जिससे उनका कुल वेतन बाजार में चर्चा का विषय बन गया है.
कंपनी के अन्य टॉप एग्जीक्यूटिव्स का वेतन
कंपनी के पूर्णकालिक निदेशक और CFO आर शंकर रमन को साल 2024-25 में कुल 37.33 करोड़ का वेतन मिला, जबकि उप प्रबंध निदेशक और अध्यक्ष सुब्रमण्यम सरमा को 44.55 करोड़ का वेतन दिया गया. ये आंकड़े भी भारत में कॉर्पोरेट वेतन संरचना को दर्शाते हैं, जो प्रदर्शन और भूमिका के आधार पर तय होती है.
भारत में CEO वेतन की बहस
एलएंडटी चेयरमैन की वेतन बढ़ोतरी की जानकारी ऐसे समय में सामने आई है, जब भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस और CEO Compensation Transparency को लेकर बहस जारी है. जहां एक तरफ निवेशकों का फोकस शेयरधारकों को मिलने वाले रिटर्न पर है, वहीं शीर्ष अधिकारियों के वेतन में तेजी से हो रही बढ़ोतरी सवाल खड़े करती है.
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