भारत का ULRA होगा अमेरिकी B-2 Bomber का बाप, 12000 KM रेंज और BrahMos साथ जद में होगा न्यूयॉर्क
भारत 12,000 किमी रेंज वाला अल्ट्रा लॉन्ग-रेंज बॉम्बर यानी ULRA प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. यह बॉम्बर BrahMos-NG मिसाइल से लैस होगा और बिना रिफ्यूलिंग के न्यूयॉर्क तक पहुंच सकेगा. कई मामलों में अमेरिकी B2 Bomber से भी बेहतर होगा, जो फिलहाल दुनिया के सबसे ताकतवर बॉम्बर एयरक्राफ्ट है.

India’s new 12,000 km Range Bomber: भारत डिफेंस सेक्टर में अब सिर्फ आत्मनिर्भरता के बारे में नहीं सोच रहा है. बल्कि, इससे कहीं आगे बढ़कर दुनिया की सर्वश्रेष्ठ डिफेंस टेक्नोलॉजी डेवलप करने में भी जुटा है. इसकी एक झलक भारतीय वायुसेना के लिए तैयार किए जा रहे Ultra Long-Range Strike Aircraft (ULRA) में भी देखने को मिलती है. क्योंकि, यह कई मामलों में दुनिया के सबसे ताकतवर Bombers में से एक होगा.
पिछले दिनों Israel-Iran Conflict के दौरान Iranian Nuclear Sites पर Bunker Buster Bomb GBU-57 से हमला कर चर्चा में आया अमेरिकी B-2 Spirit Bomber बिना रिफ्यूलिंग के 9,300 किमी तक उड़ पाता है. जबकि ULRA 12,000 किलोमीटर की रेंज तक BrahMos-NG मिसाइलों के साथ हमला कर पाएगा. इस तरह यह दुनिया के सबसे घातक बॉम्बर्स में शामिल होगा. यही कारण है कि इसे “B2 Bomber का बाप” कहा जा सकता है.
क्यों बनाया जा रहा यह बॉम्बर?
रणनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक ULRA की हमले रेंज इतनी व्यापक होगी कि न्यूयॉर्क, लंदन, पेरिस या बीजिंग जैसा दुनिया का कोई भी शहर इसकी जद से बाहर नहीं होगा. इससे भारत की Nuclear Triad Attack Capacity का दबदबा बढ़ेगा. Ultra Long-Range Strike Aircraft का लक्ष्य भारत की न्यूक्लियर डिटरेंस और ग्लोबल स्ट्राइक कैपेसिटी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाना है.
दुनिया में किनसे होगा मुकाबला?
यह बॉम्बर अमेरिका के नेक्स्ट जेनरेशन B-2 Rider और रूस के TU-160 ‘Blackjack’ से मुकाबला करेगा. वहीं, चीन भी H-20 बॉम्बर बना रहा है, जिसकी रेंज 12 हजार किमी तक हो सकती है. बहरहाल, दुनिया में सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन तीन ही देश हैं, जिनके पास एक्टिव बॉम्बर फ्लीट है. भारत यह क्षमता हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश होगा. भारत इसे अपनी वायुसेना के लिए पूरी तरह भारतीय तकनीक से बना रहा है. हालांकि, रूस और फ्रांस के साथ कुछ तकनीकी साझेदारियों पर भी बातचीत चल रही है. रक्षा मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट को 2032 से 2035 के बीच पहले प्रोटोटाइप के साथ लॉन्च करने का लक्ष्य रखा है.
भारत की रणनीति में बड़े बदलाव का वाहक
यह बॉम्बर भारत की पारंपरिक रक्षा रणनीति में बड़े बदलाव का वाहक होगा. क्योंकि, अब तक भारत की सामरिक क्षमताएं क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य तक सीमित थीं. लेकिन ULRA जरिये भारत जमीन, हवा और पानी से परमाणु हमले की अपनी क्षमता को ग्लोबल बनाना चाहता है. इसे Nuclear Triad Attack Capacity कहा जाता है. ET की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि “Nuclear Triad Attack Capacity के लिहाज से फिलहाल हम जमीन और समुद्र में बेहद मजबूत है, लेकिन हमें आसमान से भी किसी भी कोने में मार करने में सक्षम प्लेटफॉर्म की जरूरत है, जिसे ULRA पूरा करेगा.”
रूसी TU-160 से प्रेरित
रूसी TU-160 ‘Blackjack’ को दुनिया का सबसे भारी और तेज सुपरसोनिक बॉम्बर माना जाता है. इसकी रेंज करीब 12,300 किमी है और यह 40 टन तक हथियार ले जा सकता है. DRDO के एक इंजीनियर का कहना है कि भारत TU-160 के कुछ डिजाइन और टेक्नोलॉजी को अपनी जरूरत के मुताबिक ढाल सकता है. भारतीय बॉम्बर में swing-wing design अपनाया जा सकता है, जिससे पंख उड़ान के दौरान अपना आकार बदल सकते हैं. इससे लंबी उड़ान में ईंधन की बचत होगी और स्पीड कंट्रोल करने में मदद मिलेगी.
B-21 Raider से भी आगे जाने की तैयारी
अमेरिका नेक्स्ट जेनरेशन बॉम्बर B-21 Raider करीब 9,300 किमी की रेंज तक उड़ान भर सकता है. भारत का लक्ष्य इससे भी आगे जाकर इंटरकॉन्टिनेंटल स्ट्राइक की क्षमता हासिल करना है. इसका मतलब है कि भारत का बॉम्बर दुनिया के किसी भी कोने में बिना दोबारा ईंधन भरे हमला करने पहुंच सकता है. इसके अलावा भारत में बॉम्बर में स्टील्थ तकनीक, रडार को चकमा देने की क्षमता, फुल ऑटोमैटिक फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम होगा, ताकि यह दुश्मन की निगाहों में आए बिना अपने लक्ष्य तक पहुंचे और सटीक प्रहार कर सके.
BrahMos-NG मुख्य हथियार
ULRA बॉम्बर की सबसे बड़ी ताकत होगी इसमें तैनात की जाने वाली BrahMos-NG मिसाइलें. यह बॉम्बर एक बार में चार तक BrahMos-NG मिसाइलें ले जा सकेगा. इनकी रेंज 290 से 450 किमी के बीच होगी. इस तरह ये मिसाइलें दुश्मन के एयरबेस, रडार, कमांड सेंटर और परमाणु ठिकानों को मिनटों में तबाह कर सकती हैं. DRDO के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक के मुताबिक यह बॉम्बर में भविष्य में Agni-1P, लेजर गाइडेड बम, और एंटी-रेडिएशन मिसाइलें भी ले जा सकेगा.
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