Bihar Election Results: सत्ता की धड़कन समझती हैं यें 6 सीटें, बताती हैं बिहार में किसकी बनेगी सरकार
बिहार की सत्ता की चाबी कुछ खास सीटों के हाथों में है. केवटी, सहरसा, सकरा, मुंगेर, पिपरा और बरबीघा जैसी विधानसभाओं का रिकॉर्ड देखें तो यहां की जनता ने अक्सर सही फैसला किया है. इन सीटों पर जीतने वाला दल अक्सर सरकार बनाता है. 2025 में भी इन्हीं सीटों पर कांटे की टक्कर है, जो अगले पांच साल की दिशा तय करेगी.
बिहार आज एक अहम राजनीतिक मोड़ पर खड़ा है. 2025 विधानसभा चुनाव के वोटों की गिनती शुक्रवार 14 नवंबर को हो रही है. लेकिन कुछ खास सीटें ऐसी हैं जो सत्ता की धड़कन समझती हैं. इन पर जिसे जनता चुनती है, सरकार उसी की बनती है. मुंगेर, पिपरा, बरबीघा, केवटी, सहरसा और सकरा जैसी सीटें इसी कैटेगरी में आती हैं. रिकॉर्ड मतदान और एग्जिट पोल में नीतीश कुमार की एनडीए सरकार की वापसी के संकेतों ने उत्साह बढ़ाया है. अब सबकी नजरें उन आखिरी नतीजों पर हैं जो अगले पांच साल की दिशा तय करेंगे.
सत्ता की धड़कन समझने वाली सीट
केवटी
केवटी सीट का रिकॉर्ड इस दावे को 100 फीसदी सही साबित करता है. 1977 से अब तक यहां की जनता ने कभी वैसे उम्मीदवार को नहीं जिताया है. जनता पार्टी, कांग्रेस, जनता दल, आरजेडी और बीजेपी ने यहां जीतकर सरकार बनाई. 1977 में जनता पार्टी के उम्मीदवार ने जीत हासिल की और सरकार बनी. 1980 और 1985 में कांग्रेस की जीत हुई और सरकार बनी. 2000 तक राजद और जनता दल को जीत मिली. वहीं 2005 और 2010 में ये सीट भाजपा के खाते में गई और उनकी ही सरकार बनी. हालांकि 2015 में राजद को यहां से जीत मिली और JDU के साथ राजद की सरकार बनी. 2020 में ये सीट भाजपा के खाते में गई और NDA की सरकार बनी.
केवटी विधानसभा सीट पर मुकाबला दिलचस्प है. एनडीए की ओर से बीजेपी के मौजूदा विधायक मुरारी मोहन झा मैदान में हैं, जबकि महागठबंधन की तरफ से राजद ने फराज फातमी को उतारा है. दोनों के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है. हालांकि, जन सुराज पार्टी के बिल्टू सहनी भी चुनाव लड़ रहे हैं. कुल मिलाकर इस सीट पर 10 प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं.
सहरसा
अभी बीजेपी के आलोक रंजन झा यहां से MLA हैं. वे इंडियन इंडिपेंडेंट पार्टी (IIP) के इंद्रजीत गुप्ता से चुनाव लड़ रहे हैं. 2005 से 2015 तक यह सीट भाजपा के खाते में गई. 2015 में राजद ने जीत हासिल की और RJD और JDU की सरकार बनी. 2020 में फिर भाजपा के आलोक रंजन को जनमत मिला और एनडीए की सरकार बनी.
सकरा
सकरा सीट 1977 से सिर्फ एक बार 1985 में इस ट्रेंड के उलट रही, जब लोकदल जीता लेकिन कांग्रेस की सरकार बनी. बाकी हर बार सही रही. अभी जेडीयू के पास है. 2025 के बिहार चुनाव में सकरा विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है. जेडीयू ने मौजूदा सीट को बचाने के लिए आदित्य कुमार को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने पुराने चेहरे उमेश कुमार राम पर फिर दांव लगाया है. तीन पार्टियों के उम्मीदवारों के बीच कड़ी टक्कर की उम्मीद है.
मुंगेर
मुंगेर सीट भी सिर्फ 1985 में एक बार चूकी. तब लोकदल जीता, कांग्रेस की सरकार बनी. अभी बीजेपी के प्रणय कुमार यादव सिटिंग MLA हैं.
पिपरा
पिपरा सिर्फ 2015 में एक बार ट्रेंड के उलट रही. तब बीजेपी के श्यामबाबू प्रसाद यादव जीते, लेकिन नीतीश की महागठबंधन सरकार बनी. यादव अभी सिटिंग MLA हैं और CPI(M) के राजमंगल प्रसाद से मुकाबला कर रहे हैं.
बरबीघा
बरबीघा सीट पिपरा जैसी है. 1977 में जनता पार्टी, फिर कांग्रेस तक 2000 तक जीती. 2000 में कांग्रेस आरजेडी सरकार में शामिल थी. 2015 में कांग्रेस के सुदर्शन कुमार जीते. वहीं 2020 में जेडीयू टिकट पर सुदर्शन कुमार विधायक बने. इस बार पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया.