भारत की मारक क्षमता अब 800 किमी तक पहुंचने को तैयार, 2027 तक अपग्रेड रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइल से होगा लैस
भारत की मारक क्षमता में बड़ा इजाफा होने जा रहा है. रक्षा सूत्रों के मुताबिक, 2027 तक देश 800 किमी रेंज वाली अपग्रेडेड BrahMos सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से लैस होगा. साथ ही, DRDO द्वारा विकसित Astra Mark-2 मिसाइल की रेंज भी 200 किमी से अधिक की जा रही है.
BrahMos missile: भारत की सटीक स्ट्राइक क्षमताओं को बड़ा बढ़ावा मिलने जा रहा है. रक्षा सूत्रों के मुताबिक देश अगले दो साल से कुछ अधिक समय में 800 किलोमीटर तक मार करने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों को सर्विस में शामिल करने की योजना बना रहा है. साथ ही, 200 किलोमीटर से अधिक रेंज वाली Astra एयर-टू-एयर मिसाइलों का भी 2026-27 तक उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है.
ब्रह्मोस की रेंज बढ़ेगी
Times of India को मिली जानकारी के अनुसार 800 किमी रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइल के परीक्षण जारी हैं. उम्मीद है कि यह पारंपरिक (गैर-परमाणु) मिसाइल 2027 के अंत तक पूरी तरह तैयार हो जाएगी. मौजूदा 450 किमी रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइलें, जो ध्वनि की गति के लगभग तीन गुणा (Mach 2.8) की रफ्तार से उड़ती हैं, पिछले मई में Operation Sindur के तहत Sukhoi-30MKI लड़ाकू विमानों से दागी गई थीं.
रिपोर्ट के अनुसार नौसेना अपने अग्रिम पंक्ति के जहाजों पर लगी मौजूदा 450 किमी रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइलों को केवल सॉफ्टवेयर और फायर-कंट्रोल सिस्टम में कुछ बदलाव करके 800 किमी वाले संस्करण में अपग्रेड करना शुरू कर देगी. सूत्रों के मुताबिक, “बेसिक मिसाइल और लॉन्चर एक समान रहने के कारण नौसेना और थल-सेना पहले 800 किमी की मिसाइल को अपनाएंगे. एयर-लॉन्च्ड वर्जन में थोड़ा अधिक समय लगेगा.”
Astra मिसाइलों का भी विस्तार
इसी क्रम में, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) Astra Mark-2 की रेंज को पहले के 160 किमी से बढ़ाकर 200 किमी से अधिक करने पर काम कर रहा है. इसी बीच, भारतीय वायु सेना पहले ही अपने Sukhoi-30MKI और Tejas जेट्स के लिए शुरुआती 700 Astra Mark-2 मिसाइलों को शामिल करने की योजना अंतिम कर चुकी है. वायु सेना 100 किमी रेंज वाली 280 से अधिक Astra Mark-1 मिसाइलें भी शामिल कर रही है.
एक अन्य स्रोत ने कहा, “ट्रैजेक्टरी शेपिंग के साथ-साथ प्रॉपल्शन सिस्टम को अपग्रेड किया जा रहा है ताकि अधिक थ्रस्ट पैदा हो और इन्जिन लंबी अवधि तक जल सके. यदि परीक्षण सफल रहे तो Astra Mark-2 का उत्पादन छह महीने में शुरू हो सकता है; अन्यथा इसमें अधिक समय लगेगा.”
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