हीटवेव का द एंड! तपती धरती को बारिश से मिलेगी राहत, IMD का बड़ा अलर्ट
उत्तर भारत की तपती जमीन और झुलसती हवाओं के बीच मौसम अब करवट लेने को तैयार है. लंबे इंतजार के बाद मौसम विभाग ने कुछ ऐसा कहा है, जिससे न सिर्फ पारा गिरेगा, बल्कि किसानों और आम लोगों के चेहरे पर भी राहत लौट सकती है.

लगातार तपती गर्मी और हीटवेव की मार झेल रहे उत्तर भारत के लोगों के लिए राहत की खबर है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने सोमवार यानी 16 जून को बताया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून अब तेजी से मध्य और उत्तर भारत की ओर बढ़ रहा है, जिससे अगले कुछ दिनों में तापमान में गिरावट देखने को मिलेगी. जून के दूसरे पखवाड़े में औसत से अधिक बारिश का पूर्वानुमान है, जो कृषि और जल संकट से जूझते इलाकों के लिए संजीवनी साबित हो सकता है.
भीषण गर्मी ने तोड़े रिकॉर्ड
देश के कई हिस्से इन दिनों भयंकर गर्मी की चपेट में हैं। 11 जून को दिल्ली ने इस सीजन का सबसे अधिक 43.8°C तापमान दर्ज किया, जिसमें उमस की वजह से ‘हीट इंडेक्स’ और भी खतरनाक स्तर पर पहुंच गया. राजस्थान का श्रीगंगानगर लगातार दो दिन 47°C के पार रहा, जिस पर IMD को रेड अलर्ट जारी करना पड़ा. पंजाब का लुधियाना और हिमाचल प्रदेश का ऊना भी 44°C के आसपास झुलसता रहा.
यह भीषण गर्मी पश्चिमी विक्षोभों की कमजोरी और उत्तर-पश्चिम भारत में मानसून के देरी से आने के कारण बनी हुई है. उच्च तापमान के साथ फंसी हुई नमी ने हालात को और विकट बना दिया है.
मानसून ने फिर पकड़ी रफ्तार
हालांकि अब मौसम में बदलाव के संकेत मिलने लगे हैं. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बंगाल की खाड़ी में बने अनुकूल मौसमी सिस्टम की वजह से मानसून ने दो हफ्ते की सुस्ती के बाद दोबारा गति पकड़ ली है. महाराष्ट्र के अधिकांश हिस्सों में बारिश हो चुकी है, और गुजरात व मध्य प्रदेश में भी मानसून ने दस्तक दे दी है.
केरल में मानसून की शुरुआत 24 मई को समय से पहले हुई थी, लेकिन 29 मई के बाद उसकी प्रगति थम गई थी. अब अगले 10 दिनों में पश्चिमी तट, मध्य भारत और उत्तर भारत के कई हिस्सों में भारी बारिश की संभावना है जिससे तापमान में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की जा सकती है.
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कृषि के लिए राहत, लेकिन चुनौतियां कायम
भारत की करीब 70 फीसदी वार्षिक वर्षा मानसून के दौरान होती है, जो लगभग आधे कृषि क्षेत्र की जीवनरेखा है. जून के पहले पखवाड़े में बारिश सामान्य से 31 फीसदी कम रही, लेकिन अब जून के दूसरे भाग में सामान्य से अधिक बारिश की उम्मीद जताई जा रही है. अगर मानसून इसी गति से आगे बढ़ता है, तो जून के अंत तक देश के अधिकांश हिस्सों में वर्षा पहुंच जाएगी.
धान, कपास, सोयाबीन, मक्का जैसी फसलों की बुआई मानसून वर्षा पर निर्भर होती है, ऐसे में इसकी समय पर वापसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम मानी जा रही है.
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