ऑपरेशन सिंदूर के ‘वाररूम’ में कब क्या हुआ, कैसे हुआ सीजफायर, विदेश मंत्री जयशंकर ने बताई पूरी कहानी
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक फिर उस दावे की हवा निकाल दी है, जिसके मुताबिक भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कराया. इसके साथ ही पाकिस्तान की न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग को भी खारिज किया है. जयशंकर ने इस बार ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत से लेकर सीजफायर तक की पूरी टाइमलाइन सामने रखी है.

Operation Sindoor to Ceasefire Timeline: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने न्यूजवीक के मालिक देव प्रदग के साथ बातचीत के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंंप के उस दावे का खंडन किया है, जिसमें ट्रंप ने व्यापार के आधार पर भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराया. इसके साथ ही जयशंकर ने पाकिस्तान की परमाणु ब्लैकमेलिंग को भी खारिज करते हुए कहा कि अब भारत आतंकवाद का जवाब देने से पीछे नहीं हटेगा. इसके साथ ही उन्होंने साफ किया कि पाकिस्तान के साथ किसी भी मसले को भारत द्विपक्षीय आधार पर ही हल करेगा. इसमें किसी मध्यस्थ की कोई भूमिका नहीं हो सकती है. इसके साथ ही पहलगाम आतंकी हमले को उन्होंने आर्थिक युद्ध करार दिया.
सीजफायर पर क्या है भारत का पक्ष?
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने आतंकी ठिकानों को तबाह करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर चलाया. पाकिस्तानी सेना ने आतंकियों को बचाने के लिए पलटवार किया, जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान के दर्जनों सैन्य ठिकानों को तबाह कर दिया. भारत के करारे हमलों से घबराकर पाकिस्तान ने DGMO स्तर पर भारतीय सेना से संपर्क किया और सीजफायर का अनुरोध किया. इस पूरे घटनाक्रम में किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं रही.
क्या बोले जयशंकर?
विदेश मंत्री जयशंकर इन दिनों अमेरिका में हैं. वे वाशिंगटन में 1 जुलाई को होने वाली QUAD के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होने वहां पहुंचे हैं. इससे पहले 30 जून को उन्होंने न्यूयॉर्क के मैनहटन में Newsweek के मालिक व CEO देव प्रगद के साथ मल्टीपोलर दुनिया में भारत की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की थी. इस दौरान ही उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत से लेकर सीजफायर तक की पूरी टाइमलाइन को उजागर किया और बताया कि इसमें ट्रंप और अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी. यह पूरी तरह से भारत और पाकिस्तान के DGMO के स्तर पर हुआ फैसला था, जिसे भारत के राजनीतिक नेतृतव ने समर्थन दिया.
क्या ट्रेड डील पर होगा असर?
जयशंकर से जब पूछा गया कि क्या ट्रंप की तरफ से बार-बार सीजफायर कराने का दावा करना और भारत का इस दावे को खारिज करना दोनों देशों के संबंधों, खासतौर पर ट्रेड डील पर असर डाल सकता है? इसका जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा कि वे नहीं समझते कि इस तरह की बातों से दोनों देशों के संबंध और खासतौर पर व्यापारिक संबंधों पर कोई असर पड़ता है. उन्होंने कहा, ट्रेड डील करने वाले लोग अपना काम कर रहे हैं. वे सौदेबाजी कर रहे हैं, प्रोडक्ट्स की लिस्ट और नंबर्स पर बात कर रहे हैं.
पाकिस्तान से सिर्फ द्विपक्षीय डील
जयशंकर से जब पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों को लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि इस मामले में भारत का रुख पूरी तरह साफ है. भारत सिर्फ द्विपक्षीय डीलिंग को ही मान्यता देता है.
वाररूम में क्या हुआ?
जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत से सीजफायर तक के पूरे घटनाक्रम को सिलसिलेवार तरीके से पेश करते हुए कहा, “जब अमेरिकी उप-राष्ट्रपति जेडी वैंस ने 9 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कॉल किया, तो मैं खुद वहां मौजूद था. वेंस ने पीएम मोदी को बताया था कि अगर भारत ने कुछ बातें नहीं मानीं, तो पाकिस्तान भारत पर बड़ा हमला कर सकता है.” आगे उन्होंने बताया कि, “पीएम मोदी ने वैंस को साफ किया अगर पाकिस्तानियों कोई हिमाकत करता है, तो भारत की तरफ से करारा जवाब दिया जाएगा. इसके बाद जो हुआ, सबके सामने था.”
- जयशंकर ने बताया कि इसके बाद 10 मई को अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबिया ने उन्हें कॉल किया और कहा कि पाकिस्तानी आपसे बात करना चाहते हैं. इसके बाद पाकिस्तानी सेना की तरफ से भारतीय सेना से DGMO स्तर पर बातचीत का अनुरोध किया गया.
- DGMO स्तर पर हुई बातचीत के आधार पर भारत के शीर्ष नेतृत्व ने सीजफायर के फैसले को मंजूर किया. इस तरह इस पूरे मामले में किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं रही.
न्यूक्लियर ब्लैकमेल स्वीकार नहीं
जब जयशंकर से पूछा गया कि पाकिस्तान एक न्यूक्लियर पावर है, उसके साथ झड़प न्यूक्लियर वॉर में बदल सकती है, क्या भारत इसे लेकर चिंतित नहीं है? इसके जवाब में जयशंकर ने कहा कि भारत का रुख आगे भी वही रहेगा, जो ऑपरेशन सिंदूर में रहा. भारत की नीति साफ है कि आतंक के खिलाफ कार्रवाई में भारत न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग स्वीकार नहीं करेगा.
पहलगाम हमला आर्थिक आतंक
जयशंकर ने पहलगाम हमले को आर्थिक आंतक बताते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में टूरिज्म तेजी से बढ़ रहा है. इस आतंकी हमले का मकसद इस जम्मू-कश्मीर में टूरिज्म को नुकसान पहुंचाना था. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस हमले का मकसद भारत में धार्मिक तनाव पैदा करना था, इसी वजह से वहां धर्म पूछकर हिंदुओं की हत्या की गई.
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