देश का ये शहर कभी हुआ करता था पटाखों की राजधानी? क्यों घटता जा रहा है इसका कारोबार
देश में दीपावली के शुभ अवसर पर लोग पटाखे चलाते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि पटाखों की राजधानी किस शहर को कहते हैं? तमिलनाडु में स्थित शिवकाशी को ही यह तमगा मिला है. लेकिन वहां पटाखों के प्रोडक्शन में 40 फीसदी की गिरावट आई है. आइए जानते हैं शिवकाशी कैसा बनी पटाखों की राजधानी और क्यों घट रहा है प्रोडक्शन.

दीपावली में पटाखे चलाने का रिवाज भारतीय परंपरा में काफी समय है. पटाखे कई तरीके के मार्केट में आते हैं. देश के कई इलाकों में पटाखे के कारखाने हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि देश में पटाखों की राजधानी किसे कहते हैं? जहां कभी पटाखों का 6,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार होता था…आइए हम आपको बताते हैं पटाखों के इस शहर के बारे में. यहां पटाखे कब से बनने शुरू हुए और कैसे इस शहर ने पटाखे की राजधानी का तमगा हासिल किया.
पटाखों की इस राजधानी का नाम है शिवकाशी. जो तमिलनाडु में स्थित है. इसे शहर को पटाखों की राजधानी कहा जाता है. यहां पटाखों के अलावा माचिस भी अधिक मात्रा में बनाई जाती है. दिवाली के अवसर पर अब पटाखों और आतिशबाजी को लेकर विवाद होते रहते हैं. पटाखे जलाए जाएं या नहीं इन पर बहस भी होती है. शिवकाशी में पटाखे बनाने की शुरुआत बहुत पहले से हो गई थी और धीरे-धीरे यहां पटाखों का कारोबार बढ़ता गया.
शिवकाशी कैसी बनी पटाखों की राजधानी
शिवकाशी में पटाखे बनाने की शुरुआत अंग्रेजों के जमाने से हुई थी. साल 1923 की बात है. शिवकाशी के रहने वाले अय्या नादर और उनके भाई शामिंगा नादर नौकरी की तलाश में कोलकाता गए. वहीं पर उन्होंने माचिस बनाने वाली फैक्ट्री में काम शुरू किया. वहां करीब आठ महीने काम करने के बाद वहां से वापस शिवकाशी आ गए. घर पर ही जर्मनी से मशीन मंगाकर माचिस बनाने का शरू किया. उन्होंने माचिस के बाद पटाखे के बाजार में कदम रखा. उनके पटाखे ने धीरे-धीरे मार्केट में अपनी पैठ मजबूत की और देखते ही देखते शिवकाशी देश की पटाखा राजधानी बन गया.
क्यों घट रहा है पटाखे का बाजार
पटाखे के प्रोडक्शन में शिवकाशी में कमी आई है. दरअसल, देश में प्रदूषण को लेकर के सरकार सचेत है. प्रदूषण को रोकने के लिए कई सारी गाइडलाइन भी जारी की जाती हैं. लोगों की प्रदूषण के प्रति बढ़ती जागरूकता के कारण बारूद से बने पटाखों की बिक्री में कमी आई है. जो लोग पटाखे जलाते हैं वे भी ग्रीन पटाखों को ज्यादा प्रेफर कर रहें हैं. शिवकाशी में मौजूदा समय में करीब 8,000 पटाखों की फैक्ट्रियां हैं, जिनका कारोबार करीब 1,000 करोड़ रुपये का है. शिवकाशी में पटाखे के प्रोडक्शन में 40 फीसदी की गिरावट आई है. इसके पीछे का मुख्य कारण लोगों में वायु प्रदूषण के प्रति आई जागरूक को इसके पीछे का कारण माना जा रहा है.
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