PM Modi को पुतिन-जिनपिंग के साथ देख US को याद आई ‘स्थायी मित्रता’, भारत को बताया ‘21वीं सदी का निर्णायक साझेदार’

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके प्रशासन का 'डिप्लोमैटिक दिवालियापन' खुलेआम दिख रहा है. एक तरफ ट्रंप प्रशासन के शीर्ष रणनीतिकार यूक्रेन युद्ध को 'मोदी वॉर' और 'ब्राह्मणों को फायदा' जैसी बेतुकी और आपत्तिजनक बाते कर रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ जब पीएम मोदी की पुतिन और जिनपिंग के साथ तस्वीरें सामने आईं, तो यूएस भारत के साथ मित्रता का दुहाई देते दिखा.

रूसी राष्ट्रपति पुतिन और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के साथ पीएम मोदी Image Credit: X/Narendra Modi

चीन के तिआनजिन SCO समिट में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोर रही है. ये तस्वीरें ग्लोबल ऑर्डर में मल्टीपोलर व्यवस्था की झलक दिखाती हैं. इन तस्वीरों की ताकत का लिटमस टेस्ट अमेरिका की प्रतिक्रिया से हो चुका है. अमेरिका ने इन तस्वीरों के सामने आते ही भारत के साथ ‘स्थायी मित्रता’ को याद किया है.

इन तस्वीरों को देख टेंशन में ट्रंप

तिआनजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग साथ-साथ टहलते, बातचीत करते और मुस्कुराते दिखाई दिए. इसी बीच अमेरिका ने भारत के साथ अपनी “Enduring Friendship” यानी स्थायी मित्रता को लेकर सोशल मीडिया पर संदेश जारी किया. ट्रंप प्रशासन की तरफ से इस पोस्ट को किसी शुभकामना से ज्यादा एक रणनीतिक सिग्नल के रूप में देखा जा रहा है.

तीन-तरफा तस्वीर और अमेरिकी चिंता

पीएम मोदी ने खुद भी पुतिन और जिनपिंग के साथ बातचीत की तस्वीरें साझा कीं और लिखा—“SCO शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति शी के साथ विचारों का आदान-प्रदान.” यह तस्वीर तीन शक्तियों की नजदीकी का प्रतीक मानी गई. ऐसे समय में अमेरिका का फ्रेंडशिप कार्ड खेलना यह दर्शाता है कि वॉशिंगटन भारत की रूस और चीन के साथ बढ़ती सहजता से असहज है.

क्या है अमेरिका ‘फ्रेंडशिप’ का संदेश?

भारत में अमेरिकी दूतावास ने X पर एक पोस्ट में अमेरिकी विदेशी मंत्री मार्को रूबियो के हवाले से कहा, “भारत और अमेरिका की साझेदारी नई ऊंचाइयों पर पहुंच रही है. यह 21वीं सदी की एक निर्णायक साझेदारी है. इनोवेशन, एंटरप्रेन्योरशिप, डिफेंस और द्विपक्षीय संबंधों में जो प्रगति हो रही है, वही हमें आगे ले जाती है.” इसके साथ ही अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो का कथन साझा किया गया कि “दोनों देशों की जनता के बीच स्थायी मित्रता ही सहयोग की नींव है.”

इस पोस्ट की टाइमिंग को लेकर विश्लेषकों का कहना है कि यह को साधारण कुटनीतिक संदेश नहीं है, बल्कि ट्रंप प्रशासन की भारत को लेकर एक रणनीतिक चाल है, जिसमें एक तरफ उनके शीर्ष सलाहकार की तरफ से बेतुकी और अपमानजनक बातें की जा रही हैं. वहीं, दूसरी तरफ डैमेट कंट्रोल किया जा रहा है.

कैरेट एंड स्टिक स्ट्रैटेजी आजमा रहे ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप खुद को दुनिया का सबसे काबिल नगोशिएटर मानते हैं. फिलहाल, वे भारत पर कैरेट एंड स्टिक स्ट्रैटेजी आजमा रहे हैं. ट्रंप भारत को टैरिफ पर झुकाना और उनके नोबेल पीस प्राइज प्रॉपेगैंडा को समर्थन देने के लिए मनाना चाहते हैं. यही वजह है कि अमेरिका के भीतर से भारत को लेकर दो बिल्कुल अलग-अलग नैरेटिव निकल रहे हैं.

अमेरिका का दोहरा चरित्र

एक तरफ आधिकारिक पब्लिक डिप्लोमेसी के फोरम से भारत–अमेरिका रिश्ते को “21वीं सदी की निर्णायक साझेदारी” कहा जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ, ट्रंप प्रशासन के सलाहकार पीटर नेवारो जैसे लोग यूक्रेन युद्ध को ‘मोदी वॉर’ और भारत को रूस का “लॉन्ड्रोमैट” बताते हैं. इसके अलावा ‘ब्राह्मणों को फायदा’ जैसी बेतुकी बातें कर भारत में जातीय संघर्ष भड़काने का प्रयास कर रहे हैं.

बढ़ती जा रही वॉशिंगटन की बेचैनी

मोदी और पुतिन की मुलाकात से पहले ही दोनों नेताओं के बीच की बॉन्डिंग के संकेत मिल चुके थे. पुतिन SCO समिट में शामिल होने के लिए PM मोदी के साथ अपनी कार में पहुंचे. इस दौरान वे कुछ समय तक पीएम मोदी का इंतजार भी करते रहे. विश्लेषकों का मानना है कि दोनों नेताओं की इस बॉन्डिंग निश्चित रूप से वाशिंगटन में बेचैनी बढ़ा दी है.

जियोपॉलिटिकल सिग्नलिंग का खेल

अमेरिका का फ्रेंडशिप संदेश सिर्फ ‘सोशल मीडिया एक्टिविटी’ नहीं है. बल्कि, जियोपॉलिटिकल सिग्नलिंग का हिस्सा है. इसका संदेश साफ है कि अमेरिका दुनिया को यह दिखाना चाहता है कि भारत चाहे रूस और चीन के साथ कितनी भी निकटता दिखे, लेकिन, 21वीं सदी की निर्णायक साझेदारी भारत और अमेरिका के बीच ही हो सकती है. बहरहाल, भारत ने अमेरिका के इस संदेश का किसी तरह को कोई जवाब नहीं दिया है. इसके बजाय भारत ने मजबूती के साथ अपने मल्टीपोलर वर्ल्ड और मल्टी अलाइनमेंट अप्रोच पर चलते रहने का सख्त रुख दिखाया है.