ट्रंप करते रहे कॉल, पीएम मोदी ने नहीं किया रिसीव; जर्मन अखबार FAZ का दावा
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच तनाव गहराता दिख रहा है. जर्मन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने हाल के हफ्तों में चार बार मोदी से बात करनी चाही लेकिन पीएम ने हर बार कॉल लेने से मना कर दिया. जानें क्या है पूरा मामला.

Trump Calls Modi: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच रिश्तों में तल्खी की खबरें सामने आई हैं. ट्रंप ने हाल के हफ्तों में कम से कम चार बार मोदी से फोन पर बात करने की कोशिश की, लेकिन पीएम मोदी ने हर बार कॉल लेने से इनकार कर दिया. रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी का यह रुख उनके “गुस्से और सतर्कता” दोनों को दर्शाता है. आइए विस्तार में समझाते हैं क्या है पूरा मामला.
चार बार कॉल, फिर भी चुप्पी
जर्मनी के अखबार Frankfurter Allgemeine Zeitung (FAZ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने बार-बार मोदी से फोन पर बात करनी चाही, लेकिन प्रधानमंत्री ने जानबूझकर उनसे बात नहीं की. मोदी ट्रंप के “एकतरफा समझौते” वाले तौर-तरीके से बचना चाहते हैं. ट्रंप पहले भी वियतनाम के साथ बिना पूरी सहमति के सोशल मीडिया पर अचानक ट्रेड डील का ऐलान कर चुके हैं. मोदी ऐसी किसी स्थिति में नहीं फंसना चाहते.
“डेड इकॉनमी” वाला बयान और मोदी की प्रतिक्रिया
ट्रंप ने 31 जुलाई को भारत-रूस संबंधों पर टिप्पणी करते हुए कहा था- “मुझे फर्क नहीं पड़ता भारत रूस के साथ क्या करता है, दोनों अपनी डेड इकॉनमी साथ ले डूबेंगे.” इसके जवाब में मोदी ने 10 अगस्त को बिना नाम लिए कहा कि “भारत दुनिया की शीर्ष 3 अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने की ओर बढ़ रहा है.” इसे ट्रंप की टिप्पणी पर सीधा पलटवार माना गया.
क्यों बढ़ा विवाद?
ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में भारत पर 50 फीसदी तक का टैरिफ लगा दिया था, जो ब्राजील के अलावा किसी भी देश पर लगाए गए सबसे ज्यादा शुल्कों में से एक है. इसके अलावा, अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने को लेकर भी भारत पर पेनल्टी लगाई. इससे पिछले 25 सालों से मजबूत हुए भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास बढ़ गई.
ट्रंप के बिजनेस और भारत की नाराजगी
FAZ की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि दिल्ली के पास ट्रंप के नाम पर बने लग्जरी टावरों और पाकिस्तान के साथ उनकी डीलिंग्स ने भारत में असंतोष बढ़ाया. ट्रंप ने दावा किया था कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष में सीजफायर उन्हीं की मध्यस्थता से हुआ, लेकिन भारत ने इसे सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने पाकिस्तान के साथ तेल प्रोजेक्ट्स पर भी बात की, जिससे भारत और अधिक नाराज़ हुआ. इतना ही नहीं, पाकिस्तान के आर्मी चीफ को व्हाइट हाउस डिनर पर बुलाना भी भारत को “उकसाने वाला कदम” लगा.
मोदी-ट्रंप की आखिरी बातचीत
भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, दोनों नेताओं की आखिरी बातचीत 17 जून को हुई थी. यह कॉल ट्रंप की ओर से रिक्वेस्ट पर हुआ और लगभग 35 मिनट तक चला. इस बातचीत में मोदी ने पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की. वहीं ट्रंप ने इसे अपने प्रयासों का नतीजा बताकर सोशल मीडिया पर “शांति समझौते” का श्रेय ले लिया. लेकिन भारत ने बार-बार स्पष्ट किया कि “भारत कभी भी किसी तीसरे देश की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा.”
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएम मोदी इस हफ्ते चीन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे. इससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या ट्रंप की नीतियां भारत को अमेरिका से दूर और चीन के करीब धकेल रही हैं.
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