53वें CJI बने जस्टिस Surya Kant, 15 महीने का होगा कार्यकाल, अब तक ऐसा रहा करियर, जानें पांच अहम फैसले
देश को आज नया मुख्य न्यायाधीश मिल गया है. जस्टिस सूर्यकांत ने भारत के 53वें CJI के रूप में शपथ ली. उन्होंने अपने न्यायिक करियर में अनुच्छेद 370, राजद्रोह कानून, पेगासस जासूसी और SIR जैसे अहम मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वे 9 फरवरी 2027 को रिटायर होंगे.
53rd CJI Suryakant: देश को आज यानी 24 नवंबर 2025 को नया चीफ जस्टिस मिल गया. जस्टिस सूर्यकांत ने भारत के 53वें चीफ जस्टिस (CJI) के तौर पर शपथ ली है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई. रविवार शाम जस्टिस बी.आर. गवई के रिटायर होने के बाद CJI का पद खाली हो गया था. उनके शपथ ग्रहण समारोह में कई महान हस्तियों के साथ सात देशों के चीफ जस्टिस भी शामिल हुए. सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान जस्टिस कांत कई अहम संवैधानिक फैसलों से जुड़े रहे हैं, जिनमें आर्टिकल 370 को हटाना, बिहार के वोटर लिस्ट में बदलाव और पेगासस स्पाइवेयर केस शामिल हैं. वे लगभग 15 महीने के लिए इस पद को संभालेंगे और 9 फरवरी 2027 को 65 साल के होने पर रिटायर होंगे.
कौन हैं CJI सूर्यकांत?
CJI सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार में हुआ. उन्होंने 1981 में गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, हिसार से स्नातक और 1984 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से LLB की डिग्री हासिल की. 1984 में हिसार की जिला अदालत से वकालत शुरू की और 1985 में चंडीगढ़ हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे. 7 जुलाई 2000 को वे हरियाणा के सबसे कम उम्र के एडवोकेट जनरल बने और मार्च 2001 में सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित हुए.
9 जनवरी 2004 को उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया. वे National Legal Services Authority की गवर्निंग बॉडी के सदस्य भी रहे और Indian Law Institute की विभिन्न समितियों से जुड़े हैं. 2011 में उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से LLM किया. 5 अक्टूबर 2018 को वे हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने. 24 मई 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया. सीजेआई सूर्यकांत 9 फरवरी 2027 को रिटायर होंगे.
CJI सूर्यकांत के पांच अहम फैसले
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने अपने कार्यकाल के दौरान कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं. यहां उन टॉप 5 फैसलों के बारे में बताया गया है जिसके लिए जस्टिस सूर्यकांत हमेशा किए जाएंगे.
अनुच्छेद 370 का फैसला
जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के केंद्र सरकार के कदम को सही ठहराने वाले बैंच में जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल थे. 11 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट की पांच-सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने यह फैसला सुनाया था. इस पीठ में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस एस.के. कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल थे.
राजद्रोह कानून (धारा 124A)
राजद्रोह कानून को निलंबित करने वाले बेंच के सदस्य के रूप में जस्टिस सूर्यकांत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस निर्णय में अदालत ने निर्देश दिया कि कानून के रिविजन तक धारा 124A के तहत कोई नई FIR दर्ज न की जाए.
पेगासस स्पाइवेयर मामला
पेगासस जासूसी प्रकरण में जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी की थी कि “राष्ट्रीय सुरक्षा” का हवाला देकर राज्य को असीमित अधिकार नहीं दिए जा सकते. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साइबर विशेषज्ञों की एक स्वतंत्र जांच समिति गठित की थी.
बिहार इलेक्टोरल रोल्स
बिहार में 65 लाख मतदाताओं के नाम काटे जाने के मामले में जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने विस्तृत जानकारी पब्लिक करने का आदेश दिया.
राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों पर फैसला
20 नवंबर 2025 को अनुच्छेद 143 के तहत राष्ट्रपति द्वारा मांगे गए रेफरेंस पर सुप्रीम कोर्ट की पांच-सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने विस्तृत राय दी. जस्टिस सूर्यकांत इस बेंच के हिस्सा. निर्णय में कहा गया कि न्यायपालिका राष्ट्रपति या राज्यपाल पर विधेयकों पर हस्ताक्षर के लिए समय-सीमा नहीं थोप सकती.