कौन है समीर गहलोत, जिसके ‘कारनामे’ से सुप्रीम कोर्ट हैरान! लपेटे में आए SEBI-CBI से लेकर सम्मान कैपिटल

सुप्रीम कोर्ट ने सम्मान कैपिटल से जुड़े कथित फंड डायवर्जन और राउंड-ट्रिपिंग के मामले में कमजोर जांच पर CBI-MCA-SEBI को फटकार लगाई है. इस मामले की जड़ में समीर गहलोत और इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनेंस का नाम सामने आ रहा है. आखिर क्यों और कैसे इस मामले में सम्मान कैपिटल लपेटे में आई और गहलोत का कंपनी से क्या संबंध है?

कौन है Image Credit: Money9live

सुप्रीम कोर्ट ने सम्मान कैपिटल से जुड़े कथित वित्तीय अनियमितताओं के मामले में जांच एजेंसियों की ढीली और असामान्य रूप से ‘फ्रैंडली’ पड़ताल पर कड़ी नाराजगी जताई है. कोर्ट ने साफ कहा कि पब्लिक मनी की इतनी बड़ी चिंताओं के बावजूद CBI, कॉर्पोरेट अफेयर मिनिस्ट्री (MCA) और SEBI जिस तरह की लापरवाही दिखा रहे हैं, वह असामान्य है. SEBI की रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर संदिग्ध लेनदेन के संकेत दर्ज होने के बावजूद FIR तक दर्ज न होने पर कोर्ट ने तीखे सवाल उठाए और SIT बनाने का संकेत दिया, जिसमें CBI, ED, SFIO और SEBI के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे.

कौन हैं समीर गहलोत?

IIT दिल्ली से इंजीनियरिंग करने वाले समीर गहलोत इंडियाबुल्स ग्रुप के संस्थापक रहे हैं. 2000 के दशक में वे भारत के सबसे हाई-प्रोफाइल उद्यमियों में शामिल हुए. उन्होंने 1999 में दो दोस्तों के साथ Indiabulls की शुरुआत की, 2004 में कंपनी को स्टॉक मार्केट में लिस्ट कराया और रियल एस्टेट के कई बड़े सौदे किए. Forbes के अनुसार 2019 में उनकी नेटवर्थ 2.1 अरब डॉलर थी. Indiabulls Housing Finance लंबे समय तक देश का दूसरा सबसे बड़ा मॉर्टगेज लेंडर रहा और इसी दौर में गहलोत लंदन के Mayfair इलाके में Mandarin Oriental होटल प्रोजेक्ट में भी जुड़े रहे.

सम्मान कैपिटल से क्या संबंध?

सम्मान कैपिटल दरअसल वही कंपनी है जिसे पहले Indiabulls Housing Finance के नाम से जाना जाता था. गहलोत ने 2020 में इस कंपनी का बोर्ड छोड़ दिया था और 2021 से 2023 के बीच उन्होंने अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचकर SEBI के De-Promoterisation नियमों के तहत कंपनी से पूरी तरह बाहर हो गए. जुलाई 2023 की ET Now की एक रिपोर्ट में कंपनी के वाइस चेयरमैन और MD गगन बंगा ने बताया कि अक्टूबर 2023 तक गहलोत पूरी तरह कंपनी से बाहर हो चुके थे. इसके बाद RBI की मंजूरी से जुलाई 2024 में कंपनी का नया नाम सम्मान कैपिटल कर दिया गया. आज कंपनी में LIC और BlackRock जैसे बड़े संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी है और इसका प्रमोटर स्ट्रक्चर पूरी तरह बदल चुका है.

अब क्या कर रहे गहलोत?

Trendlyne की शेयरहोल्डिंग फाइलिंग के मुताबिक सितंबर 2025 तिमाही में समीर गहलोत के नाम पर तीन कंपनियों में हिस्सेदारी दिखती है. इनमें Dhani Services उनकी सबसे वैल्यूएबल होल्डिंग है, जहां वे 5.2% हिस्सेदारी रखते हैं जिसकी कीमत लगभग 175 करोड़ रुपये बैठती है. Dhani Services हेल्थकेयर सब्सक्रिप्शन, वॉलेट और पेमेंट्स, स्टॉक ब्रोकिंग और ट्रांजैक्शन फाइनेंस जैसे डिजिटल सर्विसेज चलाती है. Dhani Store के जरिये इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर ग्रॉसरी तक की रेंज भी देती है. हालांकि कंपनी का फाइनेंशियल परफॉर्मेंस कमजोर रहा है, जिसमें ROE निगेटिव और स्टॉक 52-सप्ताह के निचले स्तर के करीब कारोबार करता दिखता है.

क्या है पूरा मामला?

सुप्रीम कोर्ट में सिटीजन व्हिसिल ब्लोअर फोरम (CWBF) की तरफ से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि पुराने दौर में कंपनी पर राउंड-ट्रिपिंग, लोन एवरग्रीनिंग, प्रमोटर-लिंक्ड एंटिटीज को फंड डायवर्जन और विदेशी रास्तों से फंड फ्लो के गंभीर संकेत मिले थे. SEBI की जांच रिपोर्ट में इन ट्रांजैक्शंस को संदिग्ध बताया गया, लेकिन CBI ने FIR दर्ज नहीं की और MCA ने 100 से ज्यादा शिकायतों को कुछ ही दिनों में कंपाउंड कर दिया. कोर्ट ने सवाल उठाया कि जब SEBI ने इतने गंभीर निष्कर्ष दिए हैं तो एजेंसियां कार्रवाई से क्यों बच रही हैं, और MCA किस ‘दिलचस्पी’ में मामला बंद करने जैसी जल्दबाजी दिखा रहा था.

कोर्ट की तीखी टिप्पणियां

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि CBI की इतनी ‘दोस्ताना’ जांच उन्होंने पहले कभी नहीं देखी. SEBI पर कोर्ट ने यह तीखी टिप्पणी की कि जब प्रॉपर्टी अटैच करने की बात आती है तो SEBI खुद को सर्वोच्च प्राधिकरण बताता है, लेकिन जब जांच की जिम्मेदारी सौंपी जाती है, तो सीमाओं का हवाला देता है. कोर्ट ने MCA से भी पूछा कि आखिर वह किस हित में शिकायतों को इतनी जल्दी खत्म कर रहा था, जबकि मामला पब्लिक मनी से जुड़ा है.

सम्मान कैपिटल ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट में सम्मान कैपिटल की तरफ से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में जिस मामले की सुनवाई की जा रही है, उसका सम्मान कैपिटल से सीधे तौर पर अब कोई संबंध नहीं है, क्योंकि अब कंपनी पूरी तरह बदल चुकी है. गहलोत का 2021 के बाद से कंपनी से कोई संबंध नहीं और कंपनी 4.5 लाख से ज्यादा पब्लिक शेयरहोल्डर्स और बड़े संस्थागत निवेशकों से चल रही है. कंपनी का कहना था कि उसे पुराने दौर के प्रमोटर से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि इसकी नई पहचान एक प्रोफेशनली मैनेज्ड NBFC के रूप में है.

अब आगे क्या?

कोर्ट ने CBI को निर्देश दिया है कि वह इस मामले में एक FIR दर्ज करे, ताकि ED इस मामले में अच्छी तरह से जांच कर पाए. इसके साथ ही सभी एजेंसियां को दो हफ्ते के भीतर संयुक्त बैठक कर SIT गठन करने की सलाह भी दी है. इसके अलावा दिल्ली पुलिस की EOW से भी कोर्ट ने रिकॉर्ड तलब किया है कि ED की पहले की शिकायत को ‘cognisable offence नहीं’ कहकर क्यों खारिज किया गया. अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी जहां जांच एजेंसियों की प्रगति पर कोर्ट अपडेट लेगा.

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