अगले 5 साल मौसम करेगा सरप्राइज, भारतीय उपमहाद्वीप में भारी बारिश से लेकर बनेंगे ये हालात

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की नई रिपोर्ट में 2025 से 2029 तक ग्लोबल वार्मिंग और भारी बारिश की चेतावनी दी गई है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत सहित दक्षिण एशिया में अगले पांच वर्षों तक असामान्य वर्षा और बाढ़ का खतरा बना रहेगा. तापमान 1.5°C की सीमा पार कर सकता है, जिससे सूखा, बाढ़, और हीटवेव जैसी एक्सट्रीम वेदर घटनाओं में इजाफा होगा.

इस साल अच्छी होगी बारिश. Image Credit: @tv9

Weather Update: भारत में मानसून ने इस साल पहले ही दस्तक दे दी है और देश के कई हिस्सों में बारिश देखने को मिल रही है. हालांकि, इसी बीच वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन (WMO) ने चेतावनी जारी की है. WMO की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 से 2029 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप में भारी बारिश जारी रह सकती है. साथ ही इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि इस दौरान दुनिया भर में तापमान रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचने की संभावना है. WMO के अनुसार, अगले पांच वर्षों में कम से कम एक वर्ष ऐसा हो सकता है जो 2024 से भी अधिक गर्म हो, जिसे अब तक का सबसे गर्म वर्ष माना गया है.

ग्लोबल वार्मिंग की चेतावनी

WMO की ग्लोबल एनुअल टू डिकेडल क्लाइमेट अपडेट (2025-2029) रिपोर्ट के अनुसार, 2025 से 2029 के दौरान हर वर्ष का औसत तापमान 1850-1900 के औसत से 1.2°C से 1.9°C अधिक रहने की संभावना है. साथ ही, 80 प्रतिशत संभावना है कि इस अवधि में कम से कम एक वर्ष 2024 से अधिक गर्म होगा.

86 प्रतिशत संभावना है कि कम से कम एक वर्ष प्री-इंडस्ट्रियल स्तर से 1.5°C अधिक गर्म रहेगा. पिछले वर्ष की तुलना में, अगले पांच वर्षों के औसत तापमान द्वारा 1.5°C की सीमा पार करने की संभावना अब 70 प्रतिशत हो गई है.

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बन सकता है बाढ़ का खतरा

रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण एशिया (भारत सहित) में 2023 को छोड़कर पिछले कुछ वर्षों में असामान्य रूप से अधिक बारिश हुई है. WMO का अनुमान है कि 2025 से 2029 के दौरान भी इस क्षेत्र में अधिक बारिश की स्थिति बनी रहेगी, जिससे बाढ़ और अन्य जलवायु संबंधी खतरों का जोखिम बढ़ सकता है. इसके अतिरिक्त, WMO ने चेतावनी दी है कि तापमान में थोड़ी सी भी बढ़ोतरी एक्सट्रीम वेदर घटनाओं को और अधिक तेज बना सकती है, जिनमें शामिल हैं:

  • लंबी और अधिक तेज गर्मी की लहरें
  • भारी बारिश और बाढ़
  • सूखे की अवधि में बढ़ोतरी
  • समुद्र के स्तर में बढ़ोतरी और ग्लेशियरों का पिघलना