हेल्थ इंश्योरेंस में डीलक्स रूम बन सकता है घाटे का सौदा, पॉलिसी लेते समय न करें ये गलती

हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय रूम रेंट कैप जैसे नियमों को नजरअंदाज करना महंगा पड़ सकता है. अगर आपने तय सीमा से महंगे रूम का चुनाव किया, तो आपका क्लेम भी उसी अनुपात में कम हो जाएगा. इससे अस्पताल के बिल का बड़ा हिस्सा आपकी जेब से जाएगा. ऐसे में जरूरी है कि पॉलिसी खरीदते समय सब-लिमिट्स, रूम रेंट कैप और क्लेम नियमों को समझकर ही सही प्लान चुनें, ताकि पूरा क्लेम मिल सके.

हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय रूम रेंट कैप जैसे नियमों को नजरअंदाज करना महंगा पड़ सकता है. Image Credit: FREE PIK

Health Insurance Room Rent Cap: आज के समय में हेल्थ इंश्योरेंस लेना हर किसी के लिए जरूरी हो गया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी चुनी गई पॉलिसी के कुछ नियम ऐसे भी होते हैं, जो आपकी क्लेम राशि को काफी कम कर सकते हैं? ऐसे ही एक नियम का नाम है रूम रेंट कैप और डीलक्स रुम का ऑप्शन. अगर आपने इसे नजरअंदाज कर दिया, तो अस्पताल का बड़ा हिस्सा आपको अपनी जेब से भरना पड़ सकता है. तो आइये जानते है कि इससे जुड़े नियम क्या है और ये कैसे काम करता है और इससे कैसे बचा जाए.

क्या होता है रूम रेंट कैप?

रूम रेंट कैप का मतलब है कि बीमा कंपनी आपके अस्पताल में भर्ती होने पर प्रतिदिन कितनी राशि तक के कमरे का खर्च उठाएगी. उदाहरण के लिए, अगर आपकी पॉलिसी में रूम रेंट की लिमिट 2,000 रुपये प्रतिदिन है और आपने 6,000 रुपये प्रतिदिन वाला कमरा चुना, तो बाकी खर्चों का क्लेम भी उसी अनुपात (यानि 1/3) में कट जाएगा. इसका मतलब सिर्फ कमरा ही नहीं, बल्कि डॉक्टर की फीस, सर्जरी, टेस्ट – सबका पैसा कम मिलेगा.

कैसे घटती है आपकी क्लेम राशि?

मान लीजिए किसी का क्लेम 2.37 लाख रुपये है और उसने लिमिट से ज्यादा रूम लिया है, तो बीमा कंपनी उसी हिसाब से क्लेम का भुगतान करेगी. एक केस में 4 लाख रुपये की बीमा राशि होते हुए भी सिर्फ 95,000 रुपये का क्लेम मंजूर हुआ और 1.42 लाख रुपयेका बोझ ग्राहक को उठाना पड़ा. इसका सीधा मतलब है – बीमा तो लिया, लेकिन फायदा पूरा नहीं मिला. इसलिए रूम चुनते वक्त सावधानी जरूरी है.

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रूम रेंट कैप से कैसे बचें?

सबसे अच्छा तरीका है कि बीमा खरीदते वक्त “नो सब-लिमिट” या “रूम रेंट कैप फ्री” पॉलिसी का चुनाव करें. थोड़ी प्रीमियम ज्यादा हो सकती है लेकिन क्लेम के समय पूरा फायदा मिलेगा. पॉलिसी पढ़ते समय सब-लिमिट्स, ICU चार्जेस और सर्जरी लिमिट्स को ध्यान से पढ़ें. सही जानकारी और सही चुनाव से आप अपने पैसे और सेहत दोनों की सुरक्षा कर सकते हैं.

छोटे इंश्योरेंस वालों को ज्यादा घाटा

अगर आपने 10 लाख रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस लिया है और आपकी पॉलिसी में रूम रेंट कैप 3000 रुपया प्रतिदिन है, लेकिन आप अस्पताल में 9000 रुपये प्रतिदिन वाले प्राइवेट रूम में भर्ती होते हैं, तो आपका क्लेम अनुपात सिर्फ 1/3 रह जाएगा. यानी, 9 लाख रुपये के कुल बिल पर आपको केवल 3 लाख रुपये तक ही क्लेम मिलेगा और बाकी 6 लाख रुपये ज्यदा की रकम आपको अपनी जेब से चुकानी होगी.

वहीं अगर किसी ने 30 लाख रुपये का प्लान लिया है जिसमें रूम रेंट पर कोई कैप नहीं है, तो उसे 9 लाख रुपये का पूरा क्लेम मिल जाएगा.इसलिए कम बीमा राशि और रूम रेंट कैप वाले प्लान में क्लेम बहुत घट सकता है, जबकि ज्यादा बीमा राशि और बिना सब-लिमिट वाले प्लान में पूरा खर्च कवर हो जाता है.ऐसे में हमेशा ऐसा हेल्थ प्लान चुनना चाहिए जिसमें रूम रेंट पर कोई सीमा न हो और बीमा राशि भी पर्याप्त हो.