IRDAI की इन पहलों से इंश्योरेंस हुआ आसान, टेक्नोलॉजी से भुगतान हुआ पारदर्शी और सुरक्षित
भारत का जीवन बीमा क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है. लेकिन आबादी का एक बड़ा वर्ग अब भी बीमा से दूर है. बीमा नियामक IRDAI ASBA जैसी नई पहलों ये बीमा को आसान बना रहा है. इसके साथ ही तकनीक की मदद से प्रीमियम भुगतान पारदर्शी और सुरक्षित बनाया जा रहा है.

नितिन मेहता। देश में पूरा इंश्योरेंस सेक्टर बड़े बदलावों से गुजर रहा है. खासतौर पर लाइफ इंश्योरेंस की कहानी परिवर्तन के अहम मोड़ पर है. देश की इकोनॉमी तेजी से आगे बढ़ रही है, लेकिन फिर भी हमारी आबादी का बड़ा तबका अब भी जरूरी बीमा कवर से वंचित है. भारत फिलहाल दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता बीमा बाजार है. 2026 तक बाजार का यह आकार 222 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. हालांकि, इसके बाद भी लाइफ इंश्योरेंस की हिस्सेदारी में भारत काफी पीछे है. इस स्थिति को बदलने के लिए बीमा नियामक IRDAI की तरफ से प्रयास किए जा रहे हैं. खासतौर पर बीमा को सुलभ, समझने योग्य और समाज के हर वर्ग के लिए उपलब्ध कराने पर जोर दिया जा रहा है.
ASBA बड़ी नियामकीय पहल
इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी IRDAI की तरफ से पिछले दिनों ABSA यानी एप्लिकेशन सपोर्टेड बाय ब्लॉक्ड अमाउंट के तौर पर एक बड़ी पहल की गई है. इसके तहत इंश्योरेंस प्रीमियम के भुगतान के लिए यूपीआई का इस्तेमाल किया जाता है. इस पहल का मकसद इंश्योरेंस प्रीमियम पेमेंट को ज्यादा पारदर्शिता और सुरक्षित बढ़ाना है. इस व्यवस्था में प्रीमियम राशि को पॉलिसीधारक के बैंक खाते में तब तक कि ब्लॉक किया जाता है, जब तक पॉलिसी जारी नहीं हो जाती है. यह व्यवस्था शेयर बाजार के एएसबीए मॉडल से प्रेरित है. इस व्यवस्था से प्रीमियम पेमेंट ज्यादा पारदर्शी और सुरक्षित हो गया है.
एम्बेडेड फाइनेंस
एम्बेडेड फाइनेंस यानी ग्राहक को वहीं पर सेवा देना जहां वह पहले से मौजूद है. इस पहल के तहत ग्राहक पारंपरिक एजेंटों और शाखा कार्यालयों के अलावा जहां हैं, वहीं से लाइफ इंश्योरेंस ले सकते हैं. मिसाल के तौर पर वेबसाइट्स, ई-कॉमर्स पोर्टल्स, मोबाइल ऐप्स और सोशल मीडिया जैसे डिजिटल टचपॉइंट्स के जरिये भी ग्राहक लाइफ इंश्योरेंस प्रोडक्ट से जुड़ सकते हैं. यह ओमनी-चैनल रणनीति सुनिश्चित करती है कि सभी माध्यमों में ग्राहकों का अनुभव सहज और एकसमान हो. कोई ग्राहक ऑनलाइन पॉलिसी खोज सकता है, एजेंट से स्पष्टीकरण मांग सकता है और अंत में मोबाइल ऐप या ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म के जरिये इसे खरीद सकता है.
भागीदारी को सशक्त बनाना
देश के शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन बीमा की पहुंच कम है. इसके लिए यह जरूरी है कि बैंकों, NBFCs, माइक्रोफाइनेंस संस्थाओं और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के साथ मिलकर पहुंच को बढ़ाया जाए. यह काम दो स्तर पर करने की जरूरत है. पहले स्तर पर जीवन बीमा से जुड़े उत्पादों को लेगकर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है. इसके बाद ऐसे उत्पादों की आम लोगों तक पहुंच बढ़ानी होगी, ताकि वे जहां हैं वहीं उन्हें इंश्योरेंस मिल पाए.
बढ़ाना होगा ग्राहकों का दायरा
भारत की विशाल जनसंख्या के अनुपात में लाइफ इंश्योरेंस प्रोडक्ट का पेनेट्रेशन फिलहाल ग्रोथ की व्यापक संभावना रखता है. मिसाल के तौर पर गिग वर्कर्स, मिलेनियल्स और महिलाओं को इंश्योंरेंस से जोड़ना होगा. गिग वर्कर्स को आमदनी स्थिर नहीं होती है. ऐसे में उन्हें इस तरह की पॉलिसी ऑफर करनी होंगी, जो उनकी वित्तीय स्थिति के अनुकूल हों. दूसरी तरफ मिलेनियल्स और डिजिटल दौर में जीने वाले लोगों को पारदर्शी, आसानी से समझने योग्य और डिजिटल रूप से उपलब्ध योजनाएं देनी होंगी वहीं, आर्थिक रूप से सशक्त हो रही महिलाओं को उनकी जरूरत के मुताबिक योजनाएं देनी होंगी.
क्षेत्रीय भाषाओं और वित्तीय साक्षरता पर ध्यान
लाइफ इंश्योरेंस के आधार को बढ़ाने के लिए कंपनियों और नियामकीय स्तर पर भाषा की बाधाएं हटाने के प्रयास करने होंगे. इसके अलावा वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देना होगा. क्योंकि, देश की 53% आबादी को आज भी इंश्योरेंस प्रोडक्ट आसानी से समझ नहीं आते हैं, जिससे वे पॉलिसी लेने से पीछे हट जाते हैं. लिहाजा, यह बहुत जरूरी है कि लोगों को स्थानीय भाषाओं में पूरी जानकारी दी जाए.
नोट: लेखक, भारती एक्सा लाइफ इंश्योरेंस के चीफ डिस्ट्रिब्यूशन ऑफिसर – पार्टनरशिप डिस्ट्रिब्यूशन एवं हेड मार्केटिंग हैं. लेख में प्रकाशित विचार उनके निजी हैं.
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