दुनिया देखेगी तेजस Mk-1A+ राफेल की अभेद्य जोड़ी, अब नासिक से भी सप्लाई; पाक-चीन की बढ़ेगी टेंशन

दुनिया में बढ़ती अस्थिरता और चीन-पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों को देखते हुए भारत ने स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस Mk-1A की डिलीवरी प्रक्रिया तेज कर दी है. HAL की नासिक यूनिट से पहला तेजस विमान जुलाई में उड़ेगा, जबकि बेंगलुरु यूनिट से डिलीवरी जुलाई-अगस्त में होने की उम्मीद है.

HAL की नासिक यूनिट से पहला तेजस विमान जुलाई में उड़ेगा.

Tejas Fighter Jet: इस समय दुनिया अस्थिरता के दौर से गुजर रही है. जहां एक तरफ रूस-यूक्रेन 3 साल से युद्ध लड़ रहे हैं, तो वहीं पश्चिम एशिया में इजरायल और ईरान के बीच एक नया मोर्चा खुल गया है. ऐसे भी संकेत मिल रहे हैं कि अमेरिका भी जल्द ही इस युद्ध में उतर सकता है. तेजी से बदलते भू-राजनीतिक हालात को देखते हुए भारत भी अपनी सुरक्षा को लेकर सतर्क है. यह सतर्कता तब और भी जरूरी हो जाती है जब चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी हों. इसको देखते हुए सरकार स्वदेशी हथियार निर्माण पर जोर दे रही है. इसी के तहत बन रहे फाइटर जेट्स तेजस को लेकर एक बड़ी अपडेट आई है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की नासिक स्थित नई प्रोडक्शन यूनिट में बना पहला तेजस Mk-1A लड़ाकू विमान जुलाई में उड़ान भरने के लिए तैयार है. इसके अलावा HAL का बेंगलुरु प्लांट भी जुलाई-अगस्त के बीच भारतीय वायुसेना को अपने यहां बना पहला Mk-1A विमान सौंपने की तैयारी कर रहा है.

तेजी से तेजस बनाने पर काम कर रहा HAL

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, HAL प्रयास कर रहा है कि तेजी से Mk-1A तेजस विमान की डिलीवरी वायुसेना को की जाए. इसी के तहत नासिक लाइन इस साल चार से पांच Mk-1A लड़ाकू विमान तैयार करेगी और अगले साल तक इसकी संख्या बढ़ाकर प्रति वर्ष आठ करने की योजना है. बेंगलुरु की उत्पादन इकाई पहले से ही प्रति वर्ष 16 Mk-1A लड़ाकू विमान बना सकती है, और अब नासिक इकाई के जुड़ने से कुल उत्पादन क्षमता बढ़कर 24 विमान प्रति वर्ष हो सकती है. इंजन न मिलने के कारण पहले से ही लेट चल रहे इस प्रोजेक्ट में तेजी लाकर HAL का प्रयास है कि देरी को कम किया जाए. वायुसेना में पहले से सेवा दे रहे राफेल विमान के साथ तेजस सेना का मारक क्षमता में इजाफा करेगा.

वायुसेना ने जताई थी नाराजगी

देश की सुरक्षा के लिए कुल 42 स्क्वाड्रनों की जरूरत है लेकिन वर्तमान में वायुसेना के पास सिर्फ 30 स्क्वाड्रन ही हैं. तेजस के जरिए सरकार की योजना है कि इस कमी को पूरा किया जाए. इसी के तहत फरवरी 2021 में वायुसेना ने 48,000 करोड़ रुपये में 83 Mk-1A तेजस विमान का ऑर्डर दिया था और अब 67,000 करोड़ रुपये की लागत से 97 और विमानों की खरीद की योजना है. लेकिन इसे बनाने में लगातार देरी हो रही है. इस पर वायुसेना प्रमुख सार्वजनिक रूप से नाराजगी जता चुके हैं.

इंजन सप्लाई बना देरी का कारण

तेजस को बनाने में सबसे बड़ी चुनौती इसके इंजन की सप्लाई है. GE Aerospace द्वारा इंजन की आपूर्ति में आई रुकावट के कारण इस प्रोजेक्ट में देरी हो रही है. 2021 में HAL द्वारा 99 इंजनों का ऑर्डर दिए जाने से पहले GE ने अपनी प्रोडक्शन लाइन बंद कर दी थी और अब इसे दोबारा चालू करना, ग्लोबल सप्लाई चेन को पुनः सक्रिय करना एक कठिन काम साबित हो रहा है.

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AMCA पर काम कर रही है सरकार

तेजस कार्यक्रम भारतीय वायुसेना के भविष्य का मुख्य आधार है. Mk-1, Mk-1A और Mk-2 वर्जन मिलाकर वायुसेना आने वाले दशकों में लगभग 350 तेजस विमानों को ऑपरेट करने की योजना रखती है. Mk-1A एक 4.5-जनरेशन फाइटर है, जिसमें डिजिटल रडार वार्निंग रिसीवर, सेल्फ-प्रोटेक्शन जैमर पॉड, बेहतर रडार और बीवीआर मिसाइलें शामिल हैं. इसके साथ ही सरकार ने फिफ्थ-जनरेशन स्टील्थ फाइटर प्रोजेक्ट AMCA के लिए इंडस्ट्री पार्टनरशिप मॉडल को मंजूरी दे दी है, जिससे निजी कंपनियों को भी सार्वजनिक उपक्रमों के साथ काम करने का मौका मिलेगा.