रक्षाबंधन पर सिर्फ राखी नहीं, बीमा की सुरक्षा भी है प्यार जताने का नया तरीका

रक्षाबंधन अब सिर्फ राखी बांधने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अपनों की फॉइनेंशियल सुरक्षा का प्रतीक बन रहा है. बदलती परिस्थितियों में हेल्थ इंश्योरेंस, पर्सनल एक्सिडेंट कवर और होम इंश्योरेंस जैसे उपहार रिश्तों में जिम्मेदारी और दूरदर्शिता जोड़ते हैं. बीमा अब सच्चे प्रेम और स्थायित्व का नया रूप बनकर उभरा है.

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राकेश जैन | रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते का त्योहार है, जो एक-दूसरे की सुरक्षा का वादा करता है. लेकिन बदलते समय में यह वादा सिर्फ भावनात्मक नहीं, बल्कि व्यावहारिक और वित्तीय सुरक्षा की मांग करता है. ऐसे में अब बीमा सिर्फ जरूरत नहीं, बल्कि दूरदर्शिता और जिम्मेदारी का प्रतीक बन चुका है. भारत में बीमा को अब पारंपरिक सुरक्षा के रूप में नहीं, बल्कि जीवन की अनिश्चितताओं से निपटने वाले ठोस उपाय के रूप में देखा जा रहा है. मेडिकल इमरजेंसी, आमदनी में रुकावट, इलाज का खर्च और प्राकृतिक आपदाएं जैसे जोखिम अब आम होते जा रहे हैं. ऐसे में जनरल इंश्योरेंस एक मजबूत समाधान बनकर उभरा है.

रक्षाबंधन पर गिफ्ट करना बन रहा है नया ट्रेंड

कल्पना कीजिए कि इस रक्षाबंधन पर कोई भाई अपनी बहन को हेल्थ इंश्योरेंस का गिफ्ट दे रहा हो. या बहन अपने भाई को उसके पहले जॉब पर पर्सनल एक्सिडेंट कवर दे रही हो. ये उपहार पारंपरिक तो नहीं लगते, लेकिन इनके मायने गहरे हैं. अब परिवार संकट का इंतजार नहीं कर रहे, बल्कि पहले से ही प्लानिंग कर रहे हैं. शादी, बच्चे का जन्म, शिक्षा जैसे अहम पड़ावों के साथ अब त्योहारों पर भी बीमा की चर्चा आम हो रही है.

महिलाएं ले रही हैं बीमा फैसलों की कमान

आज की महिलाएं सिर्फ बीमा प्राप्त नहीं कर रहीं, बल्कि खुद निर्णय ले रही हैं. वे अपने माता-पिता, बच्चों और पति के लिए भी पॉलिसी चुन रही हैं. यह रुझान इस बात का संकेत है कि अब रक्षाबंधन जैसे पारंपरिक त्योहारों में आर्थिक सुरक्षा का भाव भी जुड़ रहा है.

IRDAI की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हेल्थ इंश्योरेंस मार्केट हर साल लगभग 22 फीसदी की रेट से बढ़ रहा है. 2023-24 में भारत में कुल हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम 90,667 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले सालों की तुलना में तेजी से बढ़ा है.

त्योहारों के साथ बीमा जोड़ने से मिल रही है मेंटल पीस

भारत में अब पैसे, रिस्क और वित्तीय सुरक्षा पर बातचीत खुलकर हो रही है. जब इन्हें त्योहारों से जोड़ा जाता है, तो उनकी भावनात्मक अहमियत कम नहीं होती, बल्कि स्थायित्व जुड़ता है. इसे लेकर सच्ची सुरक्षा का मतलब तूफान आने पर प्रतिक्रिया देना नहीं, बल्कि बादल छाने से पहले मजबूत आश्रय बना लेना है.

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(लेखक रिलायंस जेनरल इंश्‍योरेंस के सीईओ हैं, प्रकाशित विचार उनके निजी हैं )