विदेशी मुद्रा भंडार पर ट्रंप टैरिफ का असर, 9.32 अरब डॉलर घटा; 10 सप्ताह के निचले स्तर पर पहुंचा

रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से जारी ताजा साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक 1 अगस्त, 2025 को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 9.32 अरब डॉलर घट गया. फॉरेक्स ट्रेडर्स और एनालिस्टों का मानना है कि यह ट्रंप के टैरिफ का एक असर हो सकता है.

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार Image Credit: Money9live

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने का एलान किया है. इसके बाद से भारतीय रुपये में लगातार कमजोरी का रुख बना हुआ, रिजर्व बैंक लगातार रुपये को डॉलर की तुलना में स्थिर रखने के लिए डॉलर की बिकवाली कर रहा है. जिसका असर भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर देखने को मिल रहा है. रिजर्व बैंक की तरफ से जारी साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक 1 अगस्त को खत्म हुए सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 9.32 अरब डॉलर घटकर 688.87 अरब डॉलर रह गया. इससे पिछले सप्ताह यह भंडार 698.19 अरब डॉलर के स्तर पर था.

साप्ताहिक बदलाव

रिजर्व बैंक की तरफ से रिपोर्टेड सप्ताह में कुल भंडार में आई इस गिरावट का मुख्य कारण फॉरेन करेंसी एसेट्स और गोल्ड रिजर्व में आई भारी कमी है.

  • कुल विदेशी मुद्रा भंडार: 688.87 अरब डॉलर (9.32 अरब डॉलर की गिरावट)
  • फॉरेन करेंसी एसेट्स: 581.60 अरब डॉलर (7.31 अरब डॉलर की गिरावट)
  • गोल्ड रिजर्व : 83.99 अरब डॉलर (1.70 अरब डॉलर की गिरावट)
  • स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (SDRs): 18.57 अरब डॉलर (23.7 करोड़ डॉलर की गिरावट)
  • IMF रिजर्व : 4.69 अरब डॉलर (5.9 करोड़ डॉलर की गिरावट)

RBI के मुताबिक फॉरेन करेंसी एसेट्स में होने वाले उतार-चढ़ाव का असर केवल डॉलर में रखी रकम से नहीं, बल्कि भंडार में मौजूद अन्य वैश्विक मुद्राओं, जैसे यूरो, पाउंड स्टर्लिंग और जापानी येन के मूल्य में बदलाव से भी पड़ता है.

सालभर में कैसी रही स्थिति?

पिछले एक वर्ष में साल की समान अवधि की तुलना में भारत का कुल विदेशी मुद्रा भंडार फिलहाल 13.95 अरब डॉलर अधिक है. हालांकि, इस दौरान फॉरेन करेंसी एसेट्स में 10.43 अरब डॉलर की कमी आई है. वहीं, गोल्ड रिजर्व में 23.89 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है. इसके अलावा SDR में 0.411 अरब डॉलर की बढ़ोतरी देखने को मिली है. जबकि, IMF रिजर्व 0.074 अरब डॉलर की बढ़ा है. इस तरह

बाजार पर असर और RBI का रुख

RBI विदेशी मुद्रा बाजार पर लगातार नजर रखता है. जरूरत पड़ने पर हस्तक्षेप करता है, ताकि रुपये में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव को रोका जा सके. हालांकि, केंद्रीय बैंक यह दखल रुपये को किसी निश्चित एक्सचेंज रेट पर लाने के लिए नहीं करता है. फिलहाल, ताजा गिरावट से संकेत मिलता है कि हालिया सप्ताह में वैश्विक बाजारों में डॉलर की मजबूती और रुपये में कमजोरी के चलते रिजर्व बैंक ने डॉलर की बिकवाली की है.