भारतीय IPO मार्केट के लिए सबसे बड़ा साल होगा 2026! ओयो, NSE से लेकर फ्लिपकार्ट तक कतार में, जियो पर सभी की नजरें

Indian IPO Market: अगले साल डीप और डायवर्सिफाइड कंपनियां पब्लिक मार्केट का रुख करेंगी, जिनमें भारत के कुछ सबसे प्रभावशाली कंज्यूमर, टेक और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन शामिल होंगे. भारतीय मार्केट के विस्तार ने प्रमोटर्स और प्राइवेट इक्विटी इन्वेस्टर्स को अपनी हिस्सेदारी अधिक एफिशिएंट तरीके से मोनेटाइज करने के लिए सक्षम बनाया है.

अगले साल भी रहेगी आईपीओ की धूम. Image Credit: AI

Indian IPO Market: भारत का प्राइमरी मार्केट अपने अब तक के सबसे बड़े वर्षों में से एक के लिए तैयार हो रहा है, जिसमें 2026 में कई बड़ी कंपनियां निवेशकों को आकर्षित करने की तैयारी कर रही हैं. इक्विरस कैपिटल के नए अनुमानों के अनुसार, भारत अगले साल आईपीओ के जरिए से 20 अरब डॉलर तक जुटा सकता है, जिसमें जियो, एनएसई, एसबीआई म्यूचुअल फंड, ओयो, फोनपे और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियां शामिल हैं. अगले साल डीप और डायवर्सिफाइड कंपनियां पब्लिक मार्केट का रुख करेंगी, जिनमें भारत के कुछ सबसे प्रभावशाली कंज्यूमर, टेक और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन शामिल होंगे.

पांच साल की तेजी दो दशकों से भी बड़ी

भारत का कैपिटल मार्केट पहले ही एक बड़ा मील का पत्थर पार कर चुका है. इक्विरस के अनुसार, कंपनियों ने 2020 और 2025 के बीच आईपीओ के जरिए 5.39 लाख करोड़ रुपये जुटाए, जो 2000 से 2020 तक की पूरी 20 साल की अवधि में जुटाए गए 4.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक है. यह उछाल आधी संख्या में आईपीओ (336 इश्यू बनाम पहले 658) के साथ आया. इसका मतलब यह है कि बड़ी कंपनियां अब भारी संख्या में बाजार में आ रही हैं और काफी अधिक पूंजी जुटा रही हैं.

भारतीय मार्केट के विस्तार ने प्रमोटर्स और प्राइवेट इक्विटी इन्वेस्टर्स को अपनी हिस्सेदारी अधिक एफिशिएंट तरीके से मोनेटाइज करने के लिए सक्षम बनाया है. ऑफर फॉर सेल (OFS) ट्रांजेक्शन में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है.

पीई एग्जिट का ट्रेंड

ईटी में छपी रिपोर्ट में आंकड़े बताते हैं कि पीई एग्जिट का ट्रेंड भी बदल रहा है. जनवरी और अक्टूबर 2025 के बीच, सेकेंडरी सेल्स का हिस्सा दोगुना होकर 16 पीसदी हो गया, जबकि ब्लॉक डील, जो अभी भी प्रमुख निकासी मोड है 67% से घटकर 56% हो गया. 165 अरब डॉलर वैल्यू की निजी इक्विटी निवेश के मैच्योर होने और विनिवेश की ओर बढ़ने के साथ इस ट्रेंड के और मजबूत होने की उम्मीद है.

जियो के आईपीओ पर सभी की नजर

ओयो, फोनपे और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों से डिजिटल इकोनॉमी सेक्टर में लीडिंग भूमिका निभाने की उम्मीद है. जियो, एनएसई और एसबीआई म्यूचुअल फंड की संभावित लिस्टिंग भारत के प्राइमरी मार्केट के लिए नए मानक स्थापित कर सकती हैं. खास तौर से, जियो भारतीय इतिहास के सबसे बड़े आईपीओ में से एक बन सकता है, जबकि एनएसई की लंबे समय से प्रतीक्षित लिस्टिंग में संस्थागत रुचि काफी बढ़ सकती है. इक्विरस का कहना है कि ये बड़े इश्यू बाजार में लिक्विडिटी बढ़ाएंगे और निवेशकों की भागीदारी बढ़ेगी.

छोटे शहरों की बढ़ी हिस्सेदारी

साल 2021 में छोटे शहरों के आईपीओ, आईपीओ फंड के केवल 4 फीसदी अकाउंटेड थे, लेकिन 2024 में बढ़कर 27 फीसदी हो गए. कैपिटल मार्केट में घरेलू भागीदारी भी बढ़ी है. पहली बार, घरेलू संस्थागत निवेशकों के पास अब एनएसई-लिस्टेड कंपनियों में एफआईआई की तुलना में अधिक हिस्सेदारी है, जो भारत के बचत भंडार की गहराई और मैच्योरिटी को दर्शाता है.

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