ED ने अल फलाह के फाउंडर को गिरफ्तार किया, लाल किला विस्फोट मामले में आतंकी फंडिंग से जुड़े लिंक की हो रही जांच
यह कार्रवाई फरीदाबाद स्थित इस विश्वविद्यालय की कड़ी निगरानी के बीच हुई है, जिसे जांचकर्ता 10 नवंबर को लाल किला विस्फोट से जुड़े एक 'सफेदपोश' आतंकी मॉड्यूल का केंद्र बता रहे हैं, जिसमें 14 लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हुए थे.
इंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने मंगलवार को अल-फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर और अल-फलाह समूह के अध्यक्ष जवाद अहमद सिद्दीकी को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया है. अधिकारियों ने बताया कि मामले की आतंकवाद-वित्तपोषण से संभावित संबंधों की भी जांच की जा रही है. यह कार्रवाई फरीदाबाद स्थित इस विश्वविद्यालय की कड़ी निगरानी के बीच हुई है, जिसे जांचकर्ता 10 नवंबर को लाल किला विस्फोट से जुड़े एक ‘सफेदपोश’ आतंकी मॉड्यूल का केंद्र बता रहे हैं, जिसमें 14 लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हुए थे.
कई जगहों पर छापेमारी
अधिकारियों ने बताया कि उसने लाल किला क्षेत्र में हुए कार विस्फोट मामले से जुड़े फरीदाबाद स्थित अल फलाह विश्वविद्यालय के ट्रस्टियों और प्रमोटरों के खिलाफ दिल्ली-एनसीआर में एक साथ छापेमारी की. उन्होंने बताया कि सिद्दीकी को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के आपराधिक प्रावधानों के तहत हिरासत में लिया गया है और रिमांड के लिए एक अदालत में पेश किया जा रहा है.
48 लाख रुपये जब्त
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने सुबह करीब 5:15 बजे शुरू हुई छापेमारी के दौरान 48 लाख रुपये नकद भी जब्त किए हैं. दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज दो प्राथमिकियों का संज्ञान लेते हुए PMLA के तहत मामला दर्ज करने के बाद दिल्ली-एनसीआर में कुल 19 स्थानों पर छापेमारी की गई. ईडी के जांचकर्ताओं ने दिल्ली के ओखला इलाके में अल फलाह ट्रस्ट के एक कार्यालय पर भी छापा मारा, जिसके चारों ओर पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने सुरक्षा घेरा बना रखा था.
दो लोगों की हुई है गिरफ्तारी
10 नवंबर को लाल किले के पास हुए विस्फोट में 14 लोग मारे गए थे और विश्वविद्यालय और कश्मीर से जुड़े कई डॉक्टरों की भूमिका आतंकवाद-रोधी एजेंसियों की जांच के घेरे में है. अब तक, NIA ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वे ‘आत्मघाती हमलावर’ डॉ. उमर नबी के करीबी सहयोगी हैं, जो उस कार को चला रहा था.
सिद्दीकी नियंत्रण में है मेडिकल कॉलेज
अल फलाह विश्वविद्यालय हरियाणा के फरीदाबाद जिले के धौज इलाके में स्थित है और यह एक मेडिकल कॉलेज-सह-अस्पताल है. अधिकारियों के अनुसार, ईडी को ऐसे शैक्षणिक संस्थान (विश्वविद्यालय और कॉलेज) मिले हैं जिनका स्वामित्व और वित्तीय एकीकरण अंततः अल फलाह ट्रस्ट के अधीन था, जिस पर ‘प्रभावी रूप सेट सिद्दीकी का नियंत्रण था.
1990 के दशक से पूरे अल-फलाह समूह का तेजी से विकास हुआ है और यह एक बड़े शैक्षणिक संस्थान के रूप में विकसित हो गया है. हालांकि, एजेंसी के अधिकारियों ने कहा कि इसके पीछे पर्याप्त वित्तीय संसाधन नहीं हैं.
करोड़ों रुपये की हेराफेरी
उन्होंने बताया कि अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट का गठन 08.09.1995 के एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट डीड द्वारा किया गया था, जिसमें सिद्दीकी को पहले ट्रस्टियों में से एक और प्रबंध ट्रस्टी के रूप में नामित किया गया था. एजेंसी ने आरोप लगाया कि ट्रस्ट द्वारा करोड़ों रुपये परिवार के स्वामित्व वाली संस्थाओं को ट्रांसफर किए गए.
उदाहरण के लिए, अधिकारियों ने कहा कि निर्माण और खानपान के ठेके ट्रस्ट/सिद्दीकी द्वारा उनकी पत्नी और बच्चों की संस्थाओं को दिए गए थे. उन्होंने कहा कि समूह की कई फर्जी कंपनियों की पहचान की गई है. कई अन्य अधिनियमों के तहत कई उल्लंघनों का भी पता चला है. ट्रस्ट और उसकी गतिविधियों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में सिद्दीकी की भूमिका कई सबूतों से उजागर हुई है.
अधिकारियों के अनुसार, समूह से जुड़ी कम से कम नौ फर्जी (डमी) कंपनियां, जो सभी एक ही पते पर पंजीकृत हैं, ईडी की जांच के दायरे में हैं.
गलत फायदे के लिए भ्रामक दावे
ईडी ने कहा कि दिल्ली पुलिस की एक प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि अल-फलाह विश्वविद्यालय ने गलत फायदे के लिए छात्रों, अभिभावकों और हितधारकों को धोखा देने के इरादे से NAAC मान्यता के धोखाधड़ीपूर्ण और भ्रामक दावे किए. पुलिस शिकायत में यह भी दावा किया गया है कि अल-फलाह विश्वविद्यालय ने यूजीसी अधिनियम, 1956 की धारा 12(बी) के तहत यूजीसी मान्यता का झूठा दावा किया, जिसका परोक्ष उद्देश्य कैंडिडेट्स, छात्रों, अभिभावकों, हितधारकों और आम जनता को धोखा देकर गलत लाभ कमाना था.
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