Borana Weaves IPO: सूरत की कंपनी पर टूट पड़े निवेशक, 3 साल में 13 गुना प्रॉफिट; पैसा लगाने से पहले जान लें पूरी कुंडली
Borana Weaves IPO: बोराना वीव्स का आईपीओ 20 मई से 22 मई तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुला है और पहले ही दिन इसे 8 गुना सब्सक्राइब किया गया है. कंपनी ग्रे फैब्रिक के बाजार में काम करती है. जानें कैसा है इसका आईपीओ, इसका बिजनेस मॉडल और क्या है और कंपनी के सामने क्या-क्या चुनौतियां हैं.
Borana Weaves IPO: बोराना वीव्स नाम की कंपनी का आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए खुल चुका है. 20 मई से 22 मई तक इसे सब्सक्राइब किया जा सकता है. गजब बात यह है कि पहले ही दिन इसे 8 गुना सब्सक्राइब कर लिया गया और रिटेल निवेशकों ने इसे 25 गुना सब्सक्राइब किया है. इसका अपर प्राइस बैंड 216 रुपये है. इस आईपीओ में अगर आपकी भी दिलचस्पी बढ़ रही है तो जान लें कि कंपनी का क्या बिजनेस है, बिजनेस मॉडल क्या है, कितना प्रॉफिट और रेवेन्यू है, कौन चलाता है कंपनी, GMP क्या है और बाकी डिटेल्स…
Borana Weaves का बिजनेस
गारमेंट फैक्ट्री में बिना रंग वाले कपड़े के रोल होते हैं जिनको देकर डिजाइन कर, प्रिंट देकर या रंग देकर फिर बेचा जाता है. इन बिना रंग के कपड़े के रोल को ग्रे फैब्रिक कहते हैं. ये सादा कपड़ा होता है और एक तरह से ग्रे फैब्रिक ही गारमेंट इंडस्ट्री की रीढ़ होती है. इस ग्रे फैब्रिक का कच्चा माल पॉलिएस्टर यार्न होता है. यह प्लास्टिक से बना एक धागा है. इसी से लंबा-सा बिना रंग का, बिना प्रोसेस किया हुआ कपड़ा तैयार होता है. फिर इसे डाइंग के लिए भेजा जाता है.
इस पूरे प्रोसेस के लिए गुजरात का सूरत शहर मशहूर है. अकेला सूरत ही देश का लगभग 90% सिंथेटिक फैब्रिक बनाता है. इसे भारत की पॉलिएस्टर राजधानी भी कहा जाता है और इसी हब के बीच में है एक छोटा लेकिन तेजी से बढ़ता नाम है Borana Weaves.
कब शुरू हुई कंपनी?
Borana ने 2020 में ग्रे फैब्रिक और टेक्सचराइज्ड यार्न बनाने से शुरुआत की थी. आज इसके पास तीन बुनाई प्लांट हैं जो लगभग फुल कैपेसिटी पर चल रहे हैं. अब कंपनी चौथी यूनिट खोलने के लिए 145 करोड़ का IPO ला रही है, जिसमें से 71 करोड़ नई मशीनों और विस्तार में जाएगा और 26 करोड़ वर्किंग कैपिटल में. ये फ्रेश इश्यू है.
मांगीलाल बोराना, Borana Weaves Ltd के फाउंडर और चेयरमैन हैं जिन्हें टेक्सटाइल इंडस्ट्री में 50 साल का अनुभव है.
कितने मुनाफे में है कंपनी?
Borana डिजाइनर कपड़े नहीं बनाता. ये वही ग्रे फैब्रिक बनाता है जो दूसरे प्रोसेसर, डाईंग यूनिट्स और एक्सपोर्टर्स को जाता है.
- वित्त वर्ष 2022 में इसका रेवेन्यू 42 करोड़ था जो वित्त वर्ष 2024 में बढ़कर 199 करोड़ हो गया है यानी करीब 5 गुना.
- मुनाफा भी 1.8 करोड़ से बढ़कर 23 करोड़ हो गया, लगभग 13 गुना.
- वित्त वर्ष 2025 के पहले 9 महीनों में ही इसने पिछले साल से ज्यादा मुनाफा कमा लिया है.
Borana का बिजनेस मॉडल
भारत में सिंथेटिक फैब्रिक की मांग तेजी से बढ़ रही है और सूरत इसका केंद्र है. Borana ने सही वक्त पर एक यूनिट से शुरुआत की और जैसे-जैसे डिमांड बढ़ी, नई यूनिट्स जोड़ता गया.
Borana अपने यार्न और ग्रे फैब्रिक खुद बनाता है. कंपनी की लागत कम, डिलीवरी तेज और मार्जिन बेहतर है, इसी वजह से EBITDA मार्जिन 20% और नेट प्रॉफिट 12% तक है. वहीं इसका 2024 में इसका ROE लगभग 49% रहा.
Borana Weaves: चुनौतियां
- ग्रे फैब्रिक बनाने वाले बैकएंड के प्लेयर होते हैं ये कोई ब्रांड नहीं बनते. कोई अलग पहचान नहीं बन पाती. अगर कोई दूसरी फैक्ट्री फैब्रिक 2 रुपये सस्ता देने लग जाए तो क्लाइंट बदल सकते हैं.
- मुनाफे का बड़ा हिस्सा सरकार की सब्सिडी पर टिका है. 2024 में कंपनी को 7.5 करोड़ की बिजली सब्सिडी मिली यानी मुनाफे का लगभग एक-तिहाई. अगर ये स्कीम बंद हो जाए तो मार्जिन घट सकते हैं.
- बिजनेस पूरा क्रेडिट पर चलता है यानी खर्च पहले, पेमेंट बाद में. जैसे-जैसे कंपनी बढ़ेगी, कैश फ्लो पर दबाव आ सकता है.
- 98% कारोबार गुजरात से आता है, वैसे तो ये पॉजिटिव बात है लेकिन अगर वहां डिमांड गिर गई या कोई नीति बदल गई तो मामला रिस्की हो सकता है.
- ये कंपनी कोविड के बाद के बूम में पैदा हुई है. मंदी में कैसे टिकेगी, ये अभी पता नहीं.
Borana Weaves GMP
इंवेस्टर गेन के मुताबिक, इसका जीएमपी 52 रुपये है, इसकी लिस्टिंग 268 रुपये पर हो सकती है यानी 24.07% का प्रॉफिट हो सकता है. यानी लिस्टिंग अच्छी हो सकती है लेकिन ये एक स्मॉल कैप IPO है तो उतार-चढ़ाव की भी संभावना है.
डिसक्लेमर: इस खबर में GMP संबंधित जानकारी दी गई है. मनी9लाइव का GMP तय करने से कोई संबंध नहीं है. हम निवेशकों को यह भी सचेत करते हैं कि केवल जीएमपी के आधार पर निवेश का फैसला ना करें. निवेश से पहले कंपनी के फंडामेंटल जरूर देखें और एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.