IPO बाजार में बाढ़! 185 कंपनियों के DRHP फाइलिंग से 30 साल का टूटा रिकॉर्ड; Meesho, Lenskart, Physics Wallah कतार में
भारतीय शेयर बाजार इन दिनों एक ऐसे बदलाव का गवाह बन रहा है जिसकी रफ्तार पिछले तीन दशकों में नहीं देखी गई. निवेशकों के पैसों का सैलाब और कंपनियों की बढ़ती महत्वाकांक्षा ने माहौल को गरमा दिया है. 100 से ज्यादा कंपनियों ने सेबी के पास DRHP दाखिल किया है.
भारतीय शेयर बाजार में कंपनियों के पब्लिक होने की रफ्तार इस समय तीन दशक के रिकॉर्ड को तोड़ रही है. इस साल अब तक 185 कंपनियां अपने IPO लाने के लिए सेबी के पास ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल कर चुकी हैं. यानी लगभग हर कामकाजी दिन एक नया आईपीओ फाइल हो रहा है. कंपनियां सामूहिक रूप से करीब 2.72 लाख करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी कर रही हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक यह सिलसिला 1996 के बाद सबसे बड़ा उछाल है, जब 428 कंपनियां बाजार में उतरी थीं.
घरेलू बचत और नए निवेशकों की ताकत
इस बूम का सबसे बड़ा कारण घरेलू निवेशकों से आया भारी पैसा है. बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते समय में करीब 3 लाख करोड़ रुपये घरेलू बचत से बाजार में आए हैं. इतना पूंजी प्रवाह कंपनियों को इक्विटी बाजार से पूंजी जुटाने के लिए प्रेरित कर रहा है. साथ ही, बाजार अब केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि छोटे और मझोले शहरों की कंपनियां भी लिस्टिंग की दौड़ में शामिल हो रही हैं.
प्राइम डेटाबेस के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रणव हल्दिया ने बिजनेस स्टैन्डर्ड का कहना है कि पहले छोटे शहरों के प्रमोटर अपनी हिस्सेदारी कम करने में हिचकते थे. लेकिन अब अपने साथियों को लिस्टिंग के बाद संपत्ति में बढ़ोतरी करते देख उनका नजरिया बदल रहा है. फिलहाल आकर्षक वैल्यूएशन और निवेशकों का उत्साह कंपनियों को शेयर बाजार में कदम रखने के लिए प्रेरित कर रहा है.
बैंक फंडिंग से इक्विटी की ओर झुकाव
SBI कैपिटल मार्केट्स के अमरेंद्र कुमार सिंह के अनुसार परंपरागत कंपनियां, जो अब तक बैंकों से कर्ज लेकर चलती थीं, अब इक्विटी के जरिए फंड जुटाने को तैयार हैं. आम तौर पर आईपीओ फाइलिंग से लेकर लिस्टिंग तक का समय 5 से 12 महीने का होता है. ऐसे में यह साफ है कि 2026 भी आईपीओ के लिहाज से रिकॉर्ड तोड़ साल साबित हो सकता है.
बड़े नाम भी कतार में
हालांकि ज्यादा फाइलिंग छोटी कंपनियों की ओर से हुई है, लेकिन कुछ दिग्गज आईपीओ भी कतार में हैं. इनमें ICICI प्रूडेंशियल AMC, लेंस्कार्ट, फोनपे, फिजिक्सवाला, मीशो, पाइन लैब्स और फ्रैक्टल एनालिटिक्स जैसे नाम शामिल हैं. इसके अलावा टाटा कैपिटल और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया जैसे बड़े खिलाड़ियों के आने से बाजार का उत्साह और बढ़ सकता है.
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि सभी कंपनियां अंततः लिस्टिंग तक नहीं पहुंच पाएंगी. फिलहाल करीब 3 लाख करोड़ रुपये के इश्यू कतार में हैं, लेकिन निवेशक उन्हीं कंपनियों पर दांव लगाएंगे जिनका बिजनेस मॉडल मजबूत और टिकाऊ है.