NSE IPO अब ज्यादा दूर नहीं! एक साल में 47% बढ़ा मुनाफा, इस मार्केट में एकछत्र राज; जानें कैसे हो रही कमाई

भारत की सबसे बड़ी स्टॉक एक्सचेंज कंपनी अब खुद स्टॉक मार्केट में उतरने की तैयारी में है. अगर आप शेयर बाजार के निवेशक हैं तो आने वाले महीनों में आपके लिए एक बड़ा मौका दस्तक देने वाला है. इसकी मजबूत कमाई और दबदबे की कहानी पढ़ें इस रिपोर्ट में.

NSE IPO पर बड़ा अपडेट Image Credit: @Money9live

NSE IPO Update: देश का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज, NSE आखिरकार अपने बहुप्रतीक्षित इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) की ओर कदम बढ़ा रहा है. बाजार नियामक सेबी (SEBI) से अनुमति लेने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी. अगर सब कुछ तय योजना के अनुसार चला, तो NSE की शेयर बाजार में एंट्री वित्त वर्ष 2025-26 की चौथी तिमाही में हो सकती है.

यह कदम न केवल NSE की पारदर्शिता को बढ़ाएगा, बल्कि इसकी बाजार हिस्सेदारी और ब्रांड वैल्यू को भी और मजबूत करेगा. खास बात यह है कि NSE पहले से ही देश में इक्विटी और डेरिवेटिव्स सेगमेंट का लगभग एकाधिकार रखता है.

मजबूत फाइनेंशियल ने बढ़ाया भरोसा

Motilal Oswal Wealth की रिपोर्ट के मुताबिक NSE ने FY25 में कुल 19,177 करोड़ रुपये की आय दर्ज की, जो साल-दर-साल 17 फीसदी की बढ़त है. इसमें से 17,141 करोड़ रुपये ऑपरेशन्स से आए, जो बीते वर्ष की तुलना में 16 फीसदी अधिक है. इसके पीछे मुख्य वजह थी ट्रांजैक्शन शुल्क में 12 फीसदी और लिस्टिंग रेवन्यू में 41 फीसदी की बढ़ोतरी.

NSE का शुद्ध मुनाफा (PAT) भी 12,188 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो कि पिछले साल की तुलना में 47% ज्यादा है. इसके अलावा, ऑपरेटिंग EBITDA में 28% की उछाल के साथ 12,647 करोड़ रुपये का आंकड़ा छू लिया गया.

EPS 49 रुपये और ROE 45% रहने से NSE ने यह साबित कर दिया है कि कंपनी वित्तीय रूप से बेहद मजबूत है और अपने संसाधनों का अच्छे से इस्तेमाल कर रही है.

बाजार में दबदबा और निवेशकों की दिलचस्पी

Motilal Oswal Wealth के अनुसार, NSE के पास कैश इक्विटी सेगमेंट में 94% और इक्विटी डेरिवेटिव्स में लगभग एकाधिकार है. इसकी आय का 72% हिस्सा सिर्फ ट्रांजैक्शन फीस से आता है. Nifty50 जैसे बेंचमार्क इंडेक्स की वजह से भी NSE की साख बनी हुई है. भले ही भारत में रिटेल निवेश भागीदारी अभी 3-4% के आसपास है, लेकिन इसमें अपार संभावनाएं हैं और NSE इस दिशा में आगे बढ़ने की तैयारी में है.

IPO के रास्ते की चुनौतियां और संभावनाएं

IPO से पहले NSE को कुछ पुराने विवादों जैसे को-लोकेशन और डार्क फाइबर से जुड़े मसलों को सुलझाना है. सेबी से मंजूरी मिलते ही NSE ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू करेगा, जिसमें कुछ महीने लग सकते हैं.

InCred के अनुसार, ISIN फ्रीज हटने से NSE के अनलिस्टेड शेयरों की ट्रेडिंग पहले से आसान हो गई है. इससे निवेशकों की संख्या में इजाफा हुआ है और लिक्विडिटी बढ़ी है. वर्तमान में NSE का अनुमानित मार्केट कैप 5.5–5.7 लाख करोड़ रुपये के बीच है, जो इसे भारत के सबसे बड़े अनलिस्टेड शेयरों में से एक बनाता है.

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शेयरधारकों का बड़ा नेटवर्क, लेकिन जोखिम भी मौजूद

NSE के पास पहले से ही करीब 1 लाख पब्लिक शेयरहोल्डर्स हैं. इससे इसकी IPO की संभावनाएं और मजबूत हो जाती हैं. हालांकि, InCred ने यह भी चेताया कि अनलिस्टेड शेयरों में निवेश रोमांचक जरूर होता है, लेकिन इसमें कुछ जोखिम भी छिपे होते हैं जिन्हें निवेशकों को ध्यान में रखना चाहिए.

कुल मिलाकर, NSE IPO को लेकर माहौल धीरे-धीरे साफ होता जा रहा है और अगर नियामकीय और तकनीकी अड़चनें दूर हो जाती हैं, तो यह लिस्टिंग देश की पूंजी बाजार के इतिहास में एक बड़ी उपलब्धि बन सकती है.

डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.