मुसलमानों के लिए ये म्यूचुअल फंड हैं ‘हलाल’, रिटर्न देने में भी हैं अव्वल
मुस्लिम समुदाय में शराब-सिगरेट समेत कई ऐसी चीजें हैं जो प्रतिबंधित मानी जाती हैं, ऐसे में इनसे जुड़ी कंपनियों में पैसा लगाना भी उनके उसूलों के खिलाफ है. ऐसे में मुस्लिम समुदाय के निवेशकों के लिए हलाल फंड पेश किया गया है.

बेहतर भविष्य के लिए अक्सर लोग बैंक एफडी, पोस्ट ऑफिस स्कीम, शेयर मार्केट या म्यूचुअल फंड में पैसा लगाते हैं, जिसके बदले उन्हें बेहतर रिटर्न मिलता है. मगर निवेश के ये विकल्प सबके लिए कारगर नहीं है क्योंकि मुस्लिम समुदाय के लोग इन जगहों पर पैसे लगाने को हराम समझते हैं. दरअसल मुस्लिम समुदाय में शराब-सिगरेट समेत कई ऐसी चीजें हैं जो प्रतिबंधित मानी जाती हैं, ऐसे में इनसे जुड़ी कंपनियों में पैसा लगाना भी उनके उसूलों के खिलाफ है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर मुस्लिम लोग अपने पैसों को कहां निवेश करते हैं, तो आज हम आपको इसी के बारे में बताएंगे.
बड़े काम का है हलाल म्यूचुअल फंड
इस्लामिक कानूनों के तहत कुछ कंपनियों ने खास फंड लॉन्च किए हैं, जिन्हें शरिया कॉप्लिएंट म्यूचुअल फंड या हलाल म्यूचुअल फंड के नाम से जाना जाता है. इन्हें शरिया के हराम-हलाल कानूनों को ध्यान में रखकर पेश किया गया है. इसलिए इनके पोर्टफोलियो मैनजे करते समय यह ध्यान रखा जाता है कि ये फंड कभी भी उन कंपनियों में निवेश न करें जिनके बिजनेस शरिया के हिसाब से हराम हैं.
क्या है इन फंड की शर्तें?
बाजार में प्रचलित निवेश-बचत साधनों में इस्लाम की धार्मिक मान्यताएं आड़े आ जाती हैं. इसलिए मुस्लिम समुदाय के लिए खास तौर पर तैयार किए गए हलाल म्यूचुअल फंड में निवेश की कुछ शर्तें होती हैं. चूंकि ब्याज से अछूती कंपनी ढूंढ़ना मुमकिन नहीं है, इसलिए हलाल फंड में ऐसी कंपनियों को शामिल किया जाता है जिनकी कुल कमाई में ब्याज की कमाई का हिस्सा ज्यादा से ज्यादा 3 फीसदी हो. इसके अलावा ये फंड सिर्फ ऐसी कंपनियों में पैसे लगाते हैं, जिनका कुल कर्ज उनकी कुल संपत्ति के 25 फीसदी से कम हो.
कब लॉन्च हुए थे ये खास फंड?
भारत में शरिया कानूनों के हिसाब से चलने वाले हलाल म्यूचुअल फंड की शुरुआत साल 2010 में हुई थी. इसका श्रेय एसएंडपी को जाता है. इसने देश में इस तरीके के दो फंड की शुरुआत की थी. जिनका नाम S&P CNX 500 Shariah और S&P CNX Nifty Shariah थे. हालांकि अभी ये दोनों फंड बंद हो चुके हैं.
इस्लाम में क्या है हराम?
इस्लाम की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसी चीजों में पैसे से लगाने से मना किया जाता है जिससे लोगों को शारीरिक या भवनात्मक तौर पर ठेस पहुंचं. इसके अलावा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले, हथियारों को बढ़ावा देने वाले, शराब, तंबाकू, पॉर्क, हथियार, जुए, पॉर्न आदि से जुड़े बिजनेस में पैसे लगाना भी गलत माना जाता है. इसके अलावा इस्लामिक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ब्याज के पैसे लेना भी सही नहीं माना जाता है इसलिए हलाल फंड निवेश के लिए बेहतर माने जाते हैं. इस्लामिक स्कॉलर मुफ़्ती मेराज-उल-हक़ का कहना है कि ये फंड शरिया कानून के हिसाब से निवेश करते हैं इसलिए इन्हें हलाल कह सकते हैं.
रिटर्न के मामले में ये हलाल फंड हैं आगे
आमतौर पर म्यूचुअल फंड्स या एफडी काे बेहतर रिटर्न देने वाला माना जाता है, लेकिन क्या आपको पता है ये हलाल फंड भी मोटी कमाई कराने में पीछे नहीं हैं. टाटा एथिकल फंड (Tata Ethical Fund) की बात करें तो इस हलाल फंड ने एक साल में 32.51% का रिटर्न दिया है, जबकि तीन साल में इसने 17.25% और पांच साल में 22.85% रिटर्न दिया है. टॉरस एथिकल फंड (Taurus Ethical Fund) ने भी एक साल में 42.40%, तीन साल में 18.31% और पांच साल में 22.51% रिटर्न दिया है. इसके अलावा निप्पॉन इंडिया ईटीएफ शरिया बीईईएस (Nippon India ETF Sharia BeES) ने एक साल में 31.69%, तीन साल में 10.93% और पांच साल में 18.02% का रिटर्न दिया है. हलाल म्यूचुअल फंड्स में रिलायंस ईटीएफ शरिया बीईईएस (Reliance ETF Shariah BeES) का भी नाम शामिल है. इसने एक साल में 31.69%, तीन साल में 10.93% और पांच साल में 18.02% का रिटर्न दिया है.
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