SWP साबित होगा निवेशकों के लिए नया गेम-चेंजर, SIP और बीमा बोनस से भी है बेहतर; एक्सपर्ट ने बता दी वजह
SWP (Systematic Withdrawal Plan) निवेशकों के लिए नया गेम-चेंजर बन रहा है. यह न केवल नियमित कैश फ्लो प्रदान करता है, बल्कि टैक्स एफिशिएंट और फ्लेक्सीबल भी है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि SWP रिटायरमेंट प्लानिंग में SIP और बीमा योजनाओं से बेहतर साबित हो सकता है. इसमें निवेशक एकमुश्त राशि लगाकर हर महीने या तिमाही फिक्स्ड अमाउंट निकाल सकते हैं, जिससे स्थायी आय बनी रहती है.

Systematic Withdrawal Plan (SWP): हर व्यक्ति की वित्तीय जरूरतें अलग-अलग होती हैं. इसलिए, हर निवेशक की अपनी अलग निवेश योजना होती है. कुछ निवेशक एकमुश्त निवेश करना पसंद करते हैं, तो कुछ अपने निवेश को क्रमबद्ध तरीके से करना और सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं. कुछ निवेशक पूंजी में बढ़ोतरी चाहते हैं, तो कुछ अपने निवेश से नियमित आय चाहते हैं. विभिन्न प्रकार के निवेशकों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए फंड हाउस कई तरह की सुविधाएं प्रदान करते हैं. ऐसी ही एक सुविधा है सिस्टमेटिक विड्रॉल प्लान (SWP). आज SWP की लोकप्रियता तेजी से बढ़ती जा रही है. ऐसे में मार्केट एक्सपर्ट और कंप्लीट सर्कल के मैनेजिंग पार्टनर व सीआईओ गुरमीत चड्ढा ने SWP पर बड़ी बात कही है.
SWP होगा अगला ट्रेंड
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में सिस्टमेटिक विड्रॉल प्लान (SWP) अगली बड़ी ट्रेंड के रूप में उभर सकता है. यह दावा मार्केट एक्सपर्ट और कंप्लीट सर्कल के मैनेजिंग पार्टनर व सीआईओ गुरमीत चड्ढा ने किया है. उन्होंने कहा कि SWP रिटायरमेंट और कैश फ्लो प्लानिंग में अहम भूमिका निभाएगा. चड्ढा ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में SWP को इंश्योरेंस स्कीम में मिलने वाले अस्योर्ड बोनस से “कहीं बेहतर” बताया.
साथ ही, इसे SIP (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) से भी शक्तिशाली वित्तीय टूल करार दिया. उन्होंने कहा, “यह फ्लेक्सीबल, टैक्स एफिशिएंट है और निवेशक को अपना कैश फ्लो तय करने का अधिकार देता है.” चड्ढा ने अनुमान जताया कि अगले 3-5 वर्षों में SWP का मासिक बुक साइज 20,000 करोड़ रुपये को पार कर जाए, तो उन्हें आश्चर्य नहीं होगा.
SWP क्या है और यह कैसे काम करता है?
SWP में निवेशक एक म्यूचुअल फंड में एकमुश्त राशि निवेश करता है और फिर हर महीने या तिमाही में एक निश्चित राशि निकालता है, जबकि बचा हुआ पैसा निवेशित रहता है. यह SIP से अलग है, जहां धन समय-समय पर छोटी-छोटी राशियों में निवेश किया जाता है ताकि संपत्ति का निर्माण किया जा सके.
SWP का फोकस निवेशक के लिए नियमित कैश फ्लो पैदा करने पर है, जो इसे रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए खासतौर पर उपयोगी बनाता है. विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे वित्तीय नियोजन अधिक व्यक्तिगत होता जा रहा है, SWP जैसे टूल की मांग बढ़ेगी. यह निवेशकों को अपनी जरूरतों के हिसाब से नकदी निकालने की स्वतंत्रता देता है, जो पारंपरिक बीमा योजनाओं या SIP में संभव नहीं है.
भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग में SWP की संभावनाओं को देखते हुए, यह देखना दिलचस्प होगा कि कैसे निवेशक और वित्तीय सलाहकार इस नए टूल को अपनाकर अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करते हैं.
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