रोड एक्सीडेंट के पीड़ितों को अब मिलेगा 1.50 लाख रुपये तक कैशलेस इलाज, सरकार ने लागू की योजना
भारत सरकार ने कैशलेस ट्रीटमेंट ऑफ रोड एक्सीडेंट विक्टिम्स स्कीम 2025 को पूरे देश में लागू कर दिया है. इसके तहत सड़क हादसे के शिकार व्यक्तियों को ₹1.50 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज नामित अस्पतालों में मिलेगा. इलाज की अवधि दुर्घटना के 7 दिन तक होगी. स्कीम का उद्देश्य समय पर इलाज देकर मौतों की संख्या घटाना है.
Cashless Treatment: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने कैशलेस ट्रीटमेंट ऑफ रोड एक्सीडेंट विक्टिम्स स्कीम, 2025 को अधिसूचित कर दिया है. इस योजना का उद्देश्य सड़क हादसों में पीड़ितों को समय पर इलाज देकर मृत्यु दर को कम करना है. इस योजना के तहत नामित अस्पतालों का पोर्टल पर ऑनबोर्डिंग, पीड़ितों का इलाज, और भुगतान की जिम्मेदारी राज्य परिषद और नेशनल हेल्थ अथॉरिटी की होगी.
क्या है योजना का लाभ?
दुर्घटना के शिकार किसी भी व्यक्ति को सरकार की नई योजना के तहत 1.50 लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज मिलेगा. यह सुविधा दुर्घटना की तारीख से सात दिन तक के लिए मान्य होगी. इलाज केवल नामित अस्पतालों में ही कैशलेस रूप से उपलब्ध कराया जाएगा. यदि किसी कारण पीड़ित को किसी अन्य अस्पताल में ले जाया जाता है, तो वहां केवल प्राथमिक स्थिरीकरण (stabilisation) तक की अनुमति होगी, जबकि पूरा इलाज के लिए उसे नामित अस्पताल में ट्रांसफर किया जाएगा.
क्यों है यह योजना जरूरी?
इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2023 में देशभर में कुल 4.80 लाख सड़क हादसे हुए, जिनमें 1.72 लाख लोगों की जान चली गई . यह आंकड़ा 2022 की तुलना में चिंताजनक वृद्धि दर्शाता है, जिसमें हादसों की संख्या में 4.2 फीसदी और मौतों में 2.6 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. सरकार ने इस गंभीर स्थिति को देखते हुए वर्ष 2030 तक सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या को 50 फीसदी तक कम करने का लक्ष्य तय किया है.
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17-सदस्यीय स्टीयरिंग कमिटी
केंद्र सरकार ने इन योजना की प्रभावी निगरानी के लिए 17-सदस्यीय स्टीयरिंग कमिटी का गठन किया है, जिसकी अध्यक्षता सड़क परिवहन सचिव करेंगे. इस समिति में नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (NHA) के CEO, गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी, छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि तथा जनरल इंश्योरेंस और तीन गैर-सरकारी संगठनों के सदस्य शामिल होंगे. राज्य स्तर पर इस योजना के देखरेख की जिम्मेदारी राज्य सड़क सुरक्षा परिषद को सौंपी गई है, जो नामित अस्पतालों की लिस्ट, पीड़ितों का उपचार और पेमेंट प्रॉसेस की देखरेख करेगी .
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