भारत में क्रिप्टो से होने वाली कमाई पर कितना और कौन-कौन से टैक्स? जान लें नियम

अगर आप बिटकॉइन, ईथर या किसी और क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर रहे हैं, तो यह जानना बेहद जरूरी है कि भारत सरकार आपकी कमाई पर कितना टैक्स वसूलती है. 2025 के यूनियन बजट में कोई बदलाव नहीं हुआ है और 30 फीसदी टैक्स, 1 फीसदी TDS और 4 फीसदी सेस जैसी पुरानी सख्त टैक्स व्यवस्था अब भी लागू है.

क्रिप्टो आय पर टैक्स Image Credit: @Money9live

Tax on income from Crypto: अगर आप बिटकॉइन, ईथर या किसी दूसरे क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर रहे हैं तो यह खबर आपके लिए अहम है. अगर आप क्रिप्टो में निवेश कर खूब मुनाफा कमा रहे हैं, तो यह जानना जरूरी है कि भारत सरकार आपके मुनाफे पर कितना टैक्स वसूलती है. यूनियन बजट 2025 में क्रिप्टो टैक्स नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. इसका मतलब है कि 2022 से लागू सख्त टैक्स व्यवस्था अभी भी जारी है. आइए समझने की कोशिश करते हैं कि भारत में क्रिप्टो से होने वाली कमाई को लेकर क्या नियम और कानून है.

30 फीसदी फ्लैट टैक्स और 1 फीसदी TDS जरूरी

आयकर अधिनियम की धारा 115BBH के तहत, क्रिप्टो से हुई आय पर 30 फीसदी का सीधा टैक्स लगाया जाता है. इसमें न तो कोई छूट मिलती है, न ही घाटे को मैनेज करने की इजाजत है. चाहे आपने एक दिन रखा हो या एक साल, टैक्स की दर एक जैसी है. इसके अलावा, धारा 194S के तहत, हर 10,000 रुपये से ऊपर के ट्रांजैक्शन पर 1 फीसदी TDS भी लागू है. यह टैक्स खरीदार या सेलर में से किसी एक से काटा जाता है. इसके साथ ही 4 फीसदी सेस भी कुल टैक्स देनदारी पर लगता है.

नए रिटर्न फॉर्म में Schedule VDA हुआ अनिवार्य

वित्त वर्ष 2025-26 से क्रिप्टो इनकम को इनकम टैक्स रिटर्न में Schedule VDA नाम के नए सेक्शन में दिखाना जरूरी हो गया है. यहां आपको हर ट्रांजैक्शन की तारीख, खरीदी और बिक्री की कीमत और मुनाफे का स्टेटमेंट देना होगा. वहीं अगल निवेशक की ओर से क्रिप्टो इनकम छुपाई जाती है और वह टैक्स रेड या जांच में सामने आती है, तो उस पर 60 फीसदी टैक्स, सेस और सरचार्ज लगाया जाएगा. यह नया नियम धारा 158B के तहत जोड़ा गया है. टैक्स चोरी के मामलों में 7 साल तक की जेल का प्रावधान भी शामिल है.

विदेशी एक्सचेंजों की ओर यूजर्स का रुख

कॉइनटेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1 फीसदी TDS लागू होने के बाद लाखों भारतीय यूजर्स ने घरेलू एक्सचेंज छोड़कर विदेशी प्लेटफॉर्म की ओर रुख किया है. इससे भारतीय सरकार को टैक्स में भारी नुकसान हुआ है और लोकल क्रिप्टो मार्केट कमजोर हुआ है. लेकिन सवाल उठता है कि आखिर भारतीय निवेशक ऐसा क्यों कर रहे हैं. दरअसल, सिंगापुर, दुबई जैसे देशों में क्रिप्टो इनकम पर टैक्स नहीं है, वहीं भारत में इसे जुआ और सट्टे जैसी आय के तौर पर टैक्स किया जाता है. न लॉन्ग टर्म निवेश पर छूट है, न घाटे की भरपाई की सुविधा. लेकिन ये नियम इंटरनेशनल एक्सचेंज में देखने को नहीं मिलती है. इसीलिए घरेलू निवेशकों का रुख बदल रहा है.

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