BP चेक करने के लिए डिजिटल मशीन बेस्ट या मैनुअल, जानें कौन देती है सटीक जानकारी
अक्सर हमें यह भ्रम होता है कि बीपी मापने के लिए कौन-सी मशीन सटीक जानकारी देती है. आजकल बाजार में मिलने वाली डिजिटल बीपी मशीनें हमें अक्सर उलझन में डाल देती हैं, क्योंकि जब हम अस्पताल जाते हैं, तो देखते हैं कि डॉक्टर मैनुअल मशीन से बीपी की जांच करते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि दोनों मशीनों के क्या-क्या फायदे हैं और इनमें क्या अंतर है.
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपनी सेहत को लेकर सतर्क तो हुए हैं, लेकिन जानकारी की कमी से कई बार जरूरी चीजों को नजरअंदाज देते हैं. ब्लड प्रेशर यानी बीपी भी उन्हीं में से एक है. यह एक ऐसा संकेत है जो हमारे दिल और शरीर की सेहत के बारे में बहुत कुछ बता देता है. अगर बीपी नार्मल से ज्यादा हो जाए, तो यह कई गंभीर बीमारियों की शुरुआत बन सकता है. वहीं, बहुत ज्यादा लो BP भी चक्कर आना, बेहोशी या कमजोरी जैसी परेशानियों की वजह बन सकता है. ऐसे में सवाल ये है कि बीपी (BP) चेक करने के लिए कौन-सी मशीन ज्यादा बेहतर है? डिजिटल या मैनुअल?
बाजार में आजकल ऐसी कई डिजिटल मशीनें मौजूद हैं जिनसे लोग खुद घर पर बीपी चेक कर लेते हैं. ये मशीनें एक बटन दबाने पर रीडिंग दिखा देती हैं, जिससे बुजुर्ग या अकेले रहने वाले लोग भी आसानी से इसे चला सकते हैं. वहीं दूसरी तरफ, डॉक्टर आज भी मैनुअल बीपी मशीनों का ही इस्तेमाल करते दिख जाते हैं, इसमें स्टेथोस्कोप और हाथ से पंप करना शामिल है. ऐसे में अक्सर हमारे मन में सवाल उठना लाजिमी है कि डिजिटल मशीन भरोसेमंद है या फिर मैनुअल मशीन.
क्या होता है ब्लड प्रेशर?
ब्लड प्रेशर यानी हमारे शरीर में बहते खून का प्रेशर. जब दिल धड़कता है, तो खून को पूरे शरीर में भेजता है. इस खून का जो प्रेशर हमारी नसों (arteries) की दीवारों पर पड़ता है, वही ब्लड प्रेशर कहलाता है. इसे दो तरह से मापा जाता है. इसमें,
सिस्टोलिक (पहला नंबर) – जब दिल धड़कता है और खून पंप करता है.
डायस्टोलिक (निचला नंबर) – जब दिल थोड़ा आराम करता है.
उदाहरण के लिए, अगर आपका बीपी 120/80 mm Hg है, तो 120 सिस्टोलिक है और 80 डायस्टोलिक.
ब्लड प्रेशर चेक करना क्यों है जरूरी ?
यह हमारे दिल और शरीर की सेहत का सीधा संकेत देता है. हाई बीपी (हाइपरटेंशन) चुपचाप हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाता है. यह हार्ट अटैक, स्ट्रोक, किडनी फेलियर जैसी बीमारियों की जड़ बन सकता है. वहीं लो बीपी (हाइपोटेंशन) में कमजोरी, चक्कर आना या बेहोशी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए समय-समय पर बीपी मापना बेहद जरूरी है.
मैनुअल बीपी मशीन क्या होती है?
डॉक्टर जिस मशीन से बीपी चेक करते हैं, वो मैनुअल होती है. इसमें रबर की कफ, हवा भरने का पंप और एक स्टेथोस्कोप होता है. इसके तहत डॉक्टर आपके हाथ पर कफ बांधते हैं, पंप से हवा भरते हैं और स्टेथोस्कोप से खून की धड़कन (Korotkoff sound) सुनते हैं. उसी से तय होता है कि बीपी कितना है.
क्या मिलता है फायदा?
- यह बहुत सटीक रीडिंग देता है.
- खासकर हॉस्पिटल में गंभीर मरीजों के लिए यही इस्तेमाल होता है.
- डॉक्टरों को डिजिटल के मुकाबले इसके आकड़ों पर ज्यादा भरोसा होता है.
डिजिटल बीपी मशीन क्या होती है?
ये मशीनें आजकल हर मेडिकल स्टोर या ऑनलाइन मिलती हैं. इसे चलाना काफी आसान है. इसके लिए बस आप कफ बांधिए, बटन दबाइए और स्क्रीन पर रीडिंग आ जाएगी. इसमें स्टेथोस्कोप की जरूरत नहीं होती.
क्या मिलता है फायदा?
- यह घर पर अकेले रहने वालों, बुजुर्गों या नॉन-मेडिकल लोगों के लिए बढ़िया है.
- कुछ मॉडल्स में रीडिंग सेव करने की सुविधा होती है.
- कई बार इसमें पल्स रेट भी दिखाई देती है.
क्या है कमी?
- अगर कफ गलत बांधा गया हो, बैटरी कमजोर हो या हाथ हिल गया हो, तो रीडिंग में अंतर आ सकता है.
- कुछ लोग जिनका दिल असामान्य धड़कता है (arrhythmia) उनमें यह सही रीडिंग नहीं देता.
कौन है ज्यादा सटीक है?
मैनुअल मशीन: जब डॉक्टर इसे सही तरीके से इस्तेमाल करें, तो यह सबसे ज्यादा सटीक मानी जाती है.
डिजिटल मशीन: नई तकनीक वाली हाई-क्वालिटी मशीनें काफी हद तक सटीक होती हैं, लेकिन कभी-कभी इसकी रीडिंग में गड़बड़ी आ सकती है.
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