होम लोन प्रीपेमेंट vs निवेश: आपके लिए कौनसा ऑप्शन हो सकता है सबसे फायदेमंद? जानें विस्तार से
जानिए होम लोन की प्रीपेमेंट करना कब फायदेमंद है और कब अपने पैसे को दूसरे निवेशों में लगाना बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. टैक्स बेनिफिट, प्रीपेमेंट चार्ज, भविष्य की जरूरतें और निवेश रिटर्न का पूरा विश्लेषण समझने के लिए पढ़ें ये कॉपी. आसान भाषा में.
Home Loan Prepayment vs Investment: अक्सर होम लोन लेने वाले लोग इस सवाल में उलझ जाते हैं कि जब उनके पास कुछ अतिरिक्त धनराशि आ जाए, तो उसे होम लोन की प्रीपेमेंट में डाल दें या कहीं और निवेश करें. इसका कोई एक तय जवाब नहीं है. यह निर्णय हर व्यक्ति की परिस्थितियों और मानसिकता पर निर्भर करता है. आइए विस्तार से उन बिंदुओं और सावधानियों पर चर्चा करते हैं जिनका ध्यान इन फैसलों को लेने से पहले रखना चाहिए.
भविष्य की जरूरतें
सबसे पहले, भविष्य में आने वाली जरूरतों का आकलन करना जरूरी है. होम लोन की प्रीपेमेंट करने से पहले यह तय करना चाहिए कि निकट भविष्य में आपको कितनी रकम चाहिए, जैसे बच्चों की शिक्षा, शादी या दूसरी अचानक आ जाने वाले खर्च. क्योंकि होम लोन सबसे सस्ता कर्ज होता है, अगर भविष्य में पैसों की जरूरत पड़े और आपको फिर से कर्ज लेना पड़े, तो वो कर्ज महंगा होगा. उदाहरण के लिए, पर्सनल लोन या गोल्ड लोन की दरें लगभग 12 फीसदी से 15 फीसदी तक हो सकती हैं, जबकि होम लोन की दर अभी 7 फीसदी से 8 फीसदी सालाना है. इसलिए चाहे आप नौकरी करते हों या खुद का बिजनेस करते हों, हमेशा भविष्य की परिस्थितियों का कंजर्वेटिव अंदाज में आकलन करें और 6-12 महीने के खर्चों के लिए इमरजेंसी फंड तैयार रखें.
होम लोन में मिलने वाले टैक्स छूट
इसके अलावा, होम लोन पर मिलने वाले टैक्स लाभ को भी ध्यान में रखना चाहिए. हालांकि, कोई भी घर टैक्स बचाने के लिए नहीं खरीदता, लेकिन होम लोन टैक्स बचाने में मदद करता है. प्रीपेमेंट करने से पहले यह देखना जरूरी है कि इससे आपका टैक्स लाभ कितना प्रभावित होगा. पुराने टैक्स रेजीम में, सेल्फ ऑक्यूपाइड प्रॉपर्टी पर अधिकतम 2 लाख रुपये तक के ब्याज का दावा किया जा सकता था.
लेट-आउट प्रॉपर्टी पर पूरा ब्याज दावा किया जा सकता है, लेकिन हाउस प्रॉपर्टी हेड के तहत केवल 2 लाख रुपये तक का नुकसान ही अन्य आय से सेट ऑफ किया जा सकता था. नई टैक्स रेजीम में सेल्फ ऑक्यूपाइड प्रॉपर्टी पर कोई टैक्स लाभ नहीं मिलता, और लेट-आउट प्रॉपर्टी पर सिर्फ टैक्सेबल रेंट तक ब्याज का दावा किया जा सकता है. इसीलिए टैक्स लाभ की दृष्टि से प्रीपेमेंट का निर्णय अलग-अलग लोगों के लिए अलग हो सकता है.
प्रीपेमेंट पर बैंक/एचएफसी की ओर से लगने वाले शुल्क
होम लोन की प्रीपेमेंट पर बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी द्वारा चार्ज लग सकते हैं. यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने लोन बैंक से लिया है या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी से, और आपका होम लोन फिक्स्ड रेट है या फ्लोटिंग रेट. उदाहरण के लिए, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां आम तौर पर प्रीपेमेंट चार्ज नहीं ले सकतीं, अगर आप नया लोन नहीं ले रहे हैं, जबकि कुछ बैंक प्रीपेमेंट पर चार्ज ले सकते हैं. कई बैंक साल की शुरुआत में लोन की एक निर्धारित प्रतिशत राशि तक प्रीपेमेंट करने पर चार्ज नहीं लेते. इसलिए प्रीपेमेंट से पहले प्रीपेमेंट चार्ज और दूसरे लागतों का मूल्यांकन करना आवश्यक है.
वैकल्पिक निवेश के अवसर
इसके बाद, आपको वैकल्पिक निवेश के अवसरों पर भी ध्यान देना चाहिए. सरल नियम यह है कि अगर आपको लगता है कि आप दूसरे निवेश में होम लोन के ब्याज से अधिक रिटर्न नहीं कमा पाएंगे, तो तुरंत प्रीपेमेंट करें. होम लोन का टर्म लंबा होता है, आमतौर पर 20-30 साल तक, इसलिए अन्य निवेशों के रिटर्न की तुलना उसी अवधि के लिए करें. फिक्स्ड डिपॉजिट जैसी छोटी अवधि के उत्पादों से तुलना करना सही नहीं है.
ऐतिहासिक रूप से देखें तो इक्विटी मार्केट (Sensex) ने पिछले 40 साल में लगभग 15 फीसदी सालाना रिटर्न दिया है. अगर आपकी रिस्क लेने की क्षमता है, खासकर अगर आप 40 साल से कम उम्र के हैं, तो आप म्यूचुअल फंड्स में निवेश कर सकते हैं. लंबे समय में संभव है कि आप होम लोन के ब्याज से अधिक लाभ कमा पाएंगे. इसके लिए प्री-टैक्स और पोस्ट-टैक्स रिटर्न की तुलना करना जरूरी है.
परिवार का दबाव
अक्सर परिवार का भी दबाव होता है. कई बार परिवार वाले चाहते हैं कि घर का लोन जल्द से जल्द बंद हो, खासकर पुराने सोच वाले लोग जो चाहते हैं कि घर पूरी तरह से कर्ज-मुक्त हो. भारत में यह एक महत्वपूर्ण कारण है, जिसकी वजह से कई लोग होम लोन जल्दी खत्म कर देते हैं. इसलिए होम लोन प्रीपेमेंट करने या पैसे को निवेश करने का निर्णय पूरी तरह से व्यक्तिगत परिस्थितियों पर निर्भर करता है. इसमें ध्यान देने योग्य मुख्य बिंदु हैं- भविष्य की जरूरतें और इमरजेंसी फंड, टैक्स लाभ की स्थिति, प्रीपेमेंट पर लगने वाले चार्ज, अन्य निवेशों में मिलने वाले रिटर्न की संभावना, और परिवार या मानसिक संतुलन. इन सभी पहलुओं का मूल्यांकन करके ही सही निर्णय लिया जा सकता है.
लेखक एक टैक्स और इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट हैं. यहां व्यक्त विचार उनके निजी हैं. आप उन्हें jainbalwant@gmail.com पर या ट्विटर हैंडल @jainbalwant पर संपर्क कर सकते हैं.