YouTube और सोशल मीडिया से करते हैं कमाई, तो ये ITR Form भरना है जरूरी, ना करें नजरअंदाज

वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आयकर रिटर्न की अंतिम तारीख 15 सितंबर है. यूट्यूब और सोशल मीडिया से कमाई होने पर भी टैक्स देना जरूरी है. कंटेंट क्रिएटर्स को अपनी आय के अनुसार सही ITR फॉर्म चुनकर रिटर्न फाइल करना चाहिए. विज्ञापन, ब्रांड प्रमोशन जैसी आय व्यापार आय या अन्य स्रोतों से आय के रूप में टैक्स के दायरे में आती है.

how to file itr for social media influencer Image Credit: Canva/ Money9

ITR form for youtuber and social media influencer: वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करने की अंतिम तारीख 15 सितंबर 2025 है. अलग-अलग कैटेगरी से कमाई करने वाले टैक्यपेयर्स को रिटर्न फाइल करते समय उसी हिसाब से फॉर्म फिल करना होता है. इसलिए सोशल मीडिया या यूट्यूब से कमाई करने वाले पेशेवर को भी रिटर्न फाइल करते समय इन बातों का ध्यान रखना होता है. यूट्यूबर्स और इन्फ्लुएंसर्स के इनकम के आधार पर यह तय होता है कि वे किस फॉर्म का चयन करेंगे.

यूट्यूब और सोशल मीडिया से कमाई पर टैक्स

आजकल कई युवा और पेशेवर यूट्यूब या सोशल मीडिया को अपना करियर बना रहे हैं. विज्ञापन, ब्रांड प्रमोशन, एफिलिएट मार्केटिंग, पेड कोलैबोरेशन या कंसल्टिंग सर्विसेज से होने वाली आय पर भी टैक्स लगता है. यदि आपकी ये कमाई मुख्य आय का स्रोत है तो इसे व्यापार से होने वाली कमाई माना जाएगा. वहीं, यदि अतिरिक्त आय है, तो इसे अन्य स्रोतों से आय माना जाता है.

सोशल मीडिया आय पर क्या है टैक्स की दरें?

भारत में आयकर स्लैब के अनुसार टैक्स देना होता है. आपकी कुल आय वेतन हो, व्यापार हो या डिजिटल प्लेटफॉर्म की कमाई, सब मिलाकर टैक्स की गणना की जाती है.

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सही ITR फॉर्म का चयन करें

रिटर्न पाने के लिए सही आईटीआर फॉर्म चुनना बहुत जरूरी है, नहीं तो रिटर्न फंस जाती है. कुल 7 तरह के आईटीआर फॉर्म होते हैं.
ITR-1: केवल वेतन वाले व्यक्तियों के लिए.
ITR-2: वेतन और कैपिटल गेन वाले टैक्सपेयर्स के लिए.
ITR-3: व्यापार या पेशेवर आय के साथ कैपिटल गेन वाले के लिए.
ITR-4: व्यवसाय या पेशे के लिए प्रेज्युम्पटिव टैक्सेशन के अंतर्गत आय वाले के लिए.

यूट्यूबर्स और इन्फ्लुएंसर्स आमतौर पर ITR-3 या ITR-4 से रिटर्न फाइल करते हैं. इसलिए अगर आप यूट्यूबर्स और इन्फ्लुएंसर्स हैं तो आपको इन्हीं दोनों में से किसी एक फॉर्म का चयन करना होगा.

टैक्स रिजीम चुनने का महत्व

भारत में दो टैक्स रिजीम हैं. ओल्ड टैक्स रेजीम (जहां छूट और कटौतियां मिलती हैं) और नया रेजीम (कम टैक्स दरें लेकिन कम छूट मिलती है). एक बार चुना गया रिजीम आसानी से बदला नहीं जा सकता, इसलिए समझदारी से निर्णय लेना जरूरी है. ITR-3 और ITR-4 फॉर्म भरने वाले टैक्सपेयर्स को 10-IEA भरके जमा करना होता है, तब ही टैक्स रिजीम में बदलाव किया जा सकता है. अन्यथा आपको न्यू टैक्स रिजीम में ही रखा जाएगा.

टैक्स से संबंधित आप किसी भी प्रकार के सवाल का जवाब आप TV9 के टैक्स डॉक्टर्स जी से पा सकते हैं.

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