Income Tax Notice: क्यों आता है, कितने प्रकार होते हैं और क्या करना चाहिए? जानें सबकुछ

इनकम टैक्स नोटिस क्यों मिलता है, कौन-कौन से सेक्शन के नोटिस भेजे जाते हैं और उनके जवाब में आपको क्या कदम उठाने चाहिए. इस विस्तृत गाइड में नोटिस के कारण, प्रकार, प्रक्रिया और समाधान पूरी तरह आसान भाषा में समझें.

इनकम टैक्स नोटिस के क्या हैं मतलब? Image Credit: Canva/ Money9

Income Tax Notice Meaning Reason and Response: इनकम टैक्स विभाग की ओर से भेजा गया नोटिस एक आधिकारिक संदेश होता है, जिसका उद्देश्य आपकी टैक्स संबंधित जानकारी की जांच, पुष्टि या सुधार करना होता है. आम लोगों के बीच नोटिस को लेकर डर होना स्वाभाविक है, लेकिन वास्तव में हर नोटिस का मतलब यह नहीं होता कि आपने कोई गंभीर गलती कर दी है. कई मामलों में यह सिर्फ एक सामान्य पूछताछ होती है, जिसमें विभाग आपसे कुछ अतिरिक्त दस्तावेज या स्पष्टीकरण मांगता है.

नोटिस तब भी मिल सकता है अगर आपकी इनकम, बैंक लेनदेन, निवेश या टैक्स कटौती की जानकारी विभाग के रिकॉर्ड से मेल नहीं खाती. विभाग यह नोटिस उन लोगों को भी भेजता है जो समय पर रिटर्न नहीं भरते या जिनके वित्तीय लेनदेन तय सीमा से अधिक होते हैं. इसलिए नोटिस को नजरअंदाज करना कभी भी अच्छा नहीं होता, क्योंकि इससे पेनल्टी या कानूनी कार्रवाई का जोखिम बढ़ सकता है.

इनकम टैक्स नोटिस आने की मुख्य वजहें

किसी व्यक्ति को नोटिस भेजे जाने के कई कारण हो सकते हैं. सबसे सामान्य कारण आय का गलत या अधूरा दर्ज होना है, यानी आपकी आय विभाग के पास मौजूद डेटा से मेल नहीं खाती. कई बार लोग टैक्स बचाने के लिए निवेश तो करते हैं, लेकिन उसका प्रमाण अपलोड करना भूल जाते हैं, जिसके चलते नोटिस जारी होता है. इसके अलावा, बैंक खातों में बड़े लेनदेन, शेयर बाजार में भारी निवेश, क्रेडिट कार्ड पर असामान्य खर्च, या रियल एस्टेट की खरीद-फरोख्त भी विभाग के लिए संदेह का कारण बन सकती है. जब खर्च आपकी घोषित आय से अधिक दिखाई देता है, तो विभाग यह जांच करना चाहता है कि पैसा कहां से आया. इसी तरह, TDS, Form 16, AIS और 26AS रिपोर्ट की जानकारी ITR में दर्ज किए गए आंकड़ों से अलग मिलती है, तो भी नोटिस भेजा जाता है.

इनकम टैक्स नोटिस के प्रमुख प्रकार

नीचे दिए गए हर सेक्शन के नोटिस एक अलग उद्देश्य के लिए जारी किए जाते हैं और आपकी कार्रवाई भी उनके अनुसार ही होनी चाहिए.

सेक्शन 142(1)- अतिरिक्त जानकारी और दस्तावेज की मांग

यह नोटिस तब आता है जब टैक्स अधिकारी आपकी ITR में दी गई जानकारी से संतुष्ट नहीं होता या उसे ज्यादा विवरण चाहिए होता है. दो स्थितियों में यह नोटिस भेजा जाता है-

सेक्शन 133(6)- स्पष्टीकरण और सत्यापन की मांग

यह नोटिस आमतौर पर तब आता है जब आपकी आय बैंक स्टेटमेंट, 26AS या AIS में दर्ज आंकड़ों से मेल नहीं खाती.
इसके मुख्य कारण हैं-

सेक्शन 143(1)- ITR की कंप्यूटराइज्ड जांच का इंटिमेशन

ITR फाइल होने के बाद विभाग उसे इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रोसेस करता है. इसमें विभाग जांचता है कि-

सेक्शन 143(2)- विस्तृत जांच का नोटिस

अगर आपकी ITR विभाग की प्रारंभिक जांच में संदिग्ध लगती है, तो अधिकारी अधिक गहराई से जांच करने के लिए यह नोटिस भेजते हैं. इसमें आपकी आय, खर्च, निवेश और सभी टैक्स दावों की विस्तार से जांच की जाती है. यदि आपने गलत जानकारी दी है, तो इस केस में पेनल्टी भी लग सकती है.

सेक्शन 148- छूट गई या गलत रिपोर्ट की गई आय की जांच

यह नोटिस तब जारी होता है जब विभाग को लगता है कि आपने अपनी आय पूरी तरह से घोषित नहीं की या कुछ जानकारी छिपाई है. इसे रिएसेसमेंट नोटिस कहा जाता है. यह गंभीर कैटेगरी का नोटिस होता है और इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए.

सेक्शन 245- रिफंड और बकाया टैक्स का समायोजन

अगर आपको किसी वर्ष का रिफंड मिलना है, लेकिन किसी पुराने वर्ष का टैक्स बकाया है, तो विभाग रिफंड देने से पहले दोनों को समायोजित करता है. इस प्रक्रिया की जानकारी देने के लिए 245 का इंटिमेशन भेजा जाता है.

सेक्शन 156- टैक्स, ब्याज या जुर्माना की मांग

असेसमेंट पूरी होने के बाद यदि कोई राशि आपको देनी है, तो उसकी वसूली के लिए यह डिमांड नोटिस भेजा जाता है. इसमें भुगतान की अंतिम तारीख का भी उल्लेख होता है.

सेक्शन 139(9)- डिफेक्टिव रिटर्न

यह नोटिस बताता है कि आपकी ITR में कोई गंभीर त्रुटि या अधूरी जानकारी है. आपको एक समय सीमा दी जाती है जिसमें आपको त्रुटि ठीक करके संशोधित रिटर्न जमा करना होता है.

इनकम टैक्स नोटिस मिलने पर क्या करें?

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