New labour code: IT कर्मचारियों को हर महीने की 7 तारीख तक मिलेगी सैलरी, महिलाओं के लिए नाइट शिफ्ट का रास्ता साफ
न्यू लेबर कोड 2025 के लागू होने से आईटी कर्मचारियों को हर महीने की 7 तारीख तक सैलरी मिलना अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे समय पर वेतन सुनिश्चित होगा. नए प्रावधान महिलाओं के लिए नाइट शिफ्ट का रास्ता भी खोलते हैं, जहां सुरक्षा और ट्रांसपोर्ट जैसी सुविधाएं अनिवार्य रहेंगी. सरकार द्वारा लागू किए गए चार लेबर कोड 29 पुराने कानूनों को इंटीग्रेटेड कर श्रम व्यवस्था को सरल बनाते हैं.
New labour code: केंद्र सरकार ने 21 नवंबर 2025 को चारों लेबर कोड लागू कर दिए हैं. इस डेवलपमेंट का बड़ा फायदा आईटी सेक्टर में काम करने वाले करोड़ों लोगों को होने वाला है. नए नियमों के अनुसार आईटी सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों को समय पर सैलरी मिलेगी. साथ ही महिलाओं के लिए भी अहम प्रावधान शामिल किया गया है. तो चलिए जानते हैं कि इस नियम से करोड़ों लोगों को कैसे फायदा मिलेगा.
IT कर्मचारियों को समय पर सैलरी
नए लेबर कोड के अनुसार देश की सभी आईटी कंपनियों को महीने की 7 तारीख तक कर्मचारियों की सैलरी प्रोसेस करनी होगी. यह प्रावधान वेतन भुगतान में देरी जैसी आम समस्याओं को रोकने और कर्मचारियों की आर्थिक स्थिरता को मजबूत करने के लिए जोड़ा गया है.
महिलाओं के लिए नाइट शिफ्ट का रास्ता खुला
नए कोड में सभी प्रतिष्ठानों को महिलाओं के लिए नाइट शिफ्ट की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है. इस दौरान सुरक्षा, ट्रांसपोर्ट और अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं को अनिवार्य किया गया है. इससे महिलाओं को अधिक वर्किंग आवर चुनने का अवसर मिलेगा, जिसका सीधा लाभ उनकी इनकम पर पड़ेगा. इसके साथ ही “इक्वल पे फॉर इक्वल वर्क” को भी अनिवार्य किया गया है, जिससे लैंगिक वेतन समानता को मजबूती मिलेगी.
29 पुराने कानून होंगे इंटीग्रेटेड
सरकार ने कोड ऑन वेजेज 2019, इंडस्ट्रियल रिलेशन्स कोड 2020, कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी 2020 और ऑक्युपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन्स कोड 2020 को एक साथ लागू किया है. ये कोड 29 मौजूदा लेबर लॉ को एक सरल ढांचे में बदलते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे स्वतंत्रता के बाद सबसे व्यापक और प्रगतिशील श्रम सुधार बताते हुए कहा कि यह कदम वर्कर्स को सशक्त करेगा और बिजनेस को आसान बनाएगा.
सोशल सिक्योरिटी को बढ़ावा
नए कोड में उत्पीड़न, भेदभाव और वेतन विवादों के तुरंत समाधान का प्रावधान शामिल है. इसके अलावा फिक्स्ड-टर्म एम्प्लॉयमेंट के तहत सोशल सिक्योरिटी लाभ और सभी कर्मचारियों को अनिवार्य अपॉइंटमेंट लेटर देने की बात कही गई है. श्रम मंत्रालय के अनुसार, ये सुधार लेबर इकोसिस्टम को वैश्विक मानकों तक ले जाने में मदद करेंगे और भारत को फ्यूचर-रेडी वर्कफोर्स उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
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