HUF में सदस्य और coparcener में क्या फर्क है, क्या है बेटी का अधिकार; जानिए HUF के कानूनी नियम
क्या आप जानते हैं कि HUF सिर्फ टैक्स बचाने का तरीका नहीं, बल्कि एक कानूनी पारिवारिक संस्था है? इसमें कौन सदस्य बन सकता है, कौन karta बनता है और बेटियों के अधिकार क्या हैं, इन सवालों के जवाब आपके सोचने का नजरिया बदल सकते हैं.
मेरे पिछले लेख में मैंने हिंदू अविभाजित परिवार यानी HUF को मिलने वाले टैक्स लाभों के बारे में लिखा था. उसके बाद मेरे कई मित्रों ने मुझसे इस विषय के कानूनी पहलू पर भी लिखने का अनुरोध किया. इसलिए यह लेख HUF के कानूनी पक्ष को विस्तार से समझाने के उद्देश्य से लिखा गया है.
कौन HUF बना सकता है और यह कैसे अस्तित्व में आता है?
चूंकि इस शब्द में ‘हिंदू’ शब्द शामिल है, इसलिए केवल वे व्यक्ति जो हिंदू धर्म से हैं, वे ही HUF बना सकते हैं. हालांकि यहां “हिंदू” शब्द को व्यापक अर्थ में लिया गया है, इसमें जैन, सिख और बौद्ध धर्म के लोग भी शामिल हैं. लेकिन मुस्लिम, पारसी, यहूदी और ईसाई धर्म के लोग HUF नहीं बना सकते.
एक HUF में किसी एक साझा पूर्वज (common ancestor) से जुड़ी चार पीढ़ियों तक के वंशज सदस्य हो सकते हैं. यह समझना जरूरी है कि HUF कोई ऐसा ढांचा नहीं है जिसे व्यक्ति अपने मन से बनाएं; यह एक कानूनी संरचना (creation of law) है, जो जन्म के साथ अपने-आप बन जाती है.
कॉपार्सनर (Coparcener) और मेंबर में अंतर
परिवार में जो भी व्यक्ति जन्म लेता है, वह उस HUF का कॉपार्सनर कहलाता है. वहीं जो व्यक्ति विवाह के वजह से परिवार में आता है, उसे सदस्य कहा जाता है. इसके अलावा, अगर किसी को गोद लिया जाता है, तो वह भी कॉपर्सनर माना जाता है.
साल 2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 (Hindu Succession Act) में संशोधन से पहले केवल पुरुष सदस्य ही कॉपर्सनर बन सकते थे, बेटियां नहीं. लेकिन संशोधन के बाद बेटियां भी अब अपने पिता के HUF की कॉपर्सनर हैं. यानी अब किसी हिंदू दंपत्ति के घर बच्चे के जन्म के साथ ही एक नया HUF अस्तित्व में आ जाता है.
हालांकि अगर पति-पत्नी को अपने पूर्वजों से कोई वंशानुगत संपत्ति (ancestral property) मिली हुई है, तो वे भी बिना बच्चे के एक HUF बना सकते हैं. लेकिन नया HUF तब ही पूरी तरह बनता है जब परिवार में कोई संतान जन्म लेती है.
सभी कॉपर्सनर HUF के सदस्य होते हैं, लेकिन सभी सदस्य कॉपर्सनर नहीं होते. सभी सदस्यों को HUF की संपत्ति से मेंटनेंस का अधिकार होता है, यानी परिवार की जरूरतों का खर्च HUF की आय से किया जा सकता है. अगर किसी कॉपर्सनर की मृत्यु हो जाती है, तो उसकी विधवा और बच्चे भी HUF की संपत्ति से अपने निर्वाह का अधिकार रखते हैं.
हालांकि, HUF की संपत्ति में हिस्से की मांग करने का अधिकार केवल कॉपर्सनरों को होता है. साधारण सदस्य (जैसे विवाहित पत्नी) ऐसा नहीं कर सकते. लेकिन जब परिवार में विभाजन होता है, तब उन्हें भी उनके हिस्से का अधिकार मिलता है. चूंकि अब बेटियां भी कॉपर्सनर मानी जाती हैं, इसलिए वे भी HUF की संपत्ति में विभाजन की मांग कर सकती हैं.
HUF के काम कौन संभालता है?
HUF का संचालन कर्ता (Karta) द्वारा किया जाता है, जो आमतौर पर परिवार का सबसे वरिष्ठ पुरुष सदस्य होता है. अगर वह व्यक्ति कर्ता बनने के इच्छुक नहीं है, तो परिवार की सहमति से कोई अन्य कॉपर्सनर भी कर्ता बनाया जा सकता है.
कर्ता HUF के कार्यों को संभालने के लिए किसी प्रबंधक की नियुक्ति कर सकता है. यह व्यक्ति जरूरी नहीं कि परिवार का सदस्य ही हो.
कानूनी रूप से, विधवा कर्ता नहीं बन सकती क्योंकि वह कॉपर्सनर नहीं मानी जाती. इसी तरह नाबालिग भी कर्ता नहीं बन सकता क्योंकि भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 के तहत वह अनुबंध करने में सक्षम नहीं होता. हालांकि, अगर परिवार का कर्ता नाबालिग हो, तो उसकी माता विधवा के रूप में उसकी ओर से प्रतिनिधि कर्ता के रूप में काम कर सकती है.
बेटी की स्थिति थोड़ी विशेष होती है. विवाह के बाद वह अपने पिता के परिवार में कॉपर्सनर बनी रहती है और साथ ही अपने पति के परिवार की सदस्य भी बन जाती है. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2015 में “सुषमा शर्मा बनाम मनु गुप्ता” (Sujata Sharma vs Manu Gupta) मामले में यह निर्णय दिया कि एक बेटी अपने पिता के HUF की पूर्ण कर्ता (Karta) बन सकती है. हालांकि, वह अपने पति के HUF की कर्ता नहीं बन सकती क्योंकि वहां वह कॉपर्सनर नहीं होती.
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आयकर कानून के तहत HUF की रेसिडेंशियल स्थिति
भारत में किसी व्यक्ति की आय पर कर (Tax) उसकी रेसिडेंशियल स्थिति पर निर्भर करती है. चूंकि HUF कोई भौतिक व्यक्ति नहीं है, इसलिए इसका निवास निर्धारण इस बात से होता है कि इसके कार्यों का नियंत्रण और प्रबंधन कहां से किया जा रहा है.
अगर HUF के समस्त कार्यों का नियंत्रण और प्रबंधन भारत के बाहर से किया जा रहा है, तो उसे गैर-निवासी (non-resident) माना जाएगा. लेकिन अगर उसका थोड़ा भी नियंत्रण भारत में रहता है, तो HUF को निवासी माना जाएगा.
यह जरूरी नहीं है कि HUF का नियंत्रण केवल कर्ता की शारीरिक उपस्थिति से तय हो. उदाहरण के लिए, अगर कर्ता पूरे वर्ष विदेश में रह रहा हो, लेकिन भारत में नियुक्त कोई प्रबंधक उसके निर्देशों के अनुसार HUF के कार्य चला रहा हो, तो HUF को भारत का निवासी माना जाएगा.
लेखक एक टैक्स और इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट हैं. यहां व्यक्त विचार उनके निजी हैं. आप उन्हें jainbalwant@gmail.com पर या ट्विटर हैंडल @jainbalwant पर संपर्क कर सकते हैं.