अब चांदी पर भी मिलेगा लोन, कैसे होगी ज्वेलरी की वैल्यूएशन; जानें नीलामी और मुआवजे की पूरी प्रक्रिया
अब आप अपनी चांदी की ज्वेलरी या बर्तन गिरवी रखकर बैंक से लोन ले सकेंगे. इसके लिए RBI ने Lending Against Gold and Silver Collateral Directions, 2025 नाम से नए नियम जारी किए हैं. यह नियम 1 अप्रैल 2026 से लागू होंगे. चांदी या सोने की कीमत तय करने के लिए बैंक दो तरीकों से कीमत निकालेंगे. आइए इसके बारे में विस्तार से जानते है.
Loan against silver: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अब चांदी पर भी लोन देने की प्रक्रिया को मंजूरी देने की तैयारी कर ली है. यानी अब आप अपनी चांदी की ज्वेलरी या बर्तन गिरवी रखकर बैंक से लोन ले सकेंगे. इसके लिए RBI ने Lending Against Gold and Silver Collateral Directions, 2025 नाम से नए नियम जारी किए हैं. यह नियम 1 अप्रैल 2026 से लागू होंगे. अभी तक कुछ कोऑपरेटिव बैंक और एनबीएफसी (NBFCs) चांदी पर लोन दे रहे थे, लेकिन उन पर कोई नियमन नहीं था. अब RBI ने इन पर सख्त और स्पष्ट नियम बनाए हैं ताकि ग्राहकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और सभी बैंकों में एक जैसी प्रक्रिया अपनाई जाए.
चांदी की कीमत कैसे तय होगी?
चांदी या सोने की कीमत तय करने के लिए बैंक दो तरीकों से कीमत निकालेंगे. पहला, पिछले 30 दिनों का औसत भाव और दूसरा, पिछले दिन का बंद भाव. इन दोनों में से जो कम होगा, वही माना जाएगा. ये भाव इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) या SEBI से मान्यता प्राप्त कमोडिटी एक्सचेंज से लिए जाएंगे. अगर किसी खास प्योरिटी का भाव उपलब्ध नहीं है, तो उसके सबसे नजदीकी प्योरिटी का भाव लेकर वजन के हिसाब से एडजस्ट किया जाएगा. इसमें केवल धातु का नेट कीमत ही माना जाएगा, किसी भी कीमती पत्थर या रत्न का मूल्य इसमें शामिल नहीं होगा.
ज्वेलरी की जांच और वैल्यूएशन कैसे होगा?
- बैंक या लोन देने वाली संस्था को चांदी की प्योरिटी और वजन जांचने का एक समान तरीका अपनाना होगा.
- यह प्रक्रिया सभी शाखाओं में एक जैसी होगी.
- ग्राहक को वैल्यूएशन के समय मौजूद रहना होगा.
- अगर ज्वेलरी में पत्थर या फास्टनिंग (जोड़) हैं, तो उनका वजन घटाकर असली धातु का वजन बताया जाएगा.
- यह पूरी जानकारी वैल्यूएशन सर्टिफिकेट में दी जाएगी.
गिरवी रखी चांदी की सुरक्षा के नियम
जब ग्राहक लोन चुका देता है, तो बैंक को सात कारोबारी दिन के भीतर उसकी ज्वेलरी लौटानी होगी. अगर ग्राहक लोन नहीं चुकाता है, तो बैंक को उसे नोटिस देना होगा. अगर ग्राहक का पता नहीं चलता, तो बैंक एक महीने इंतजार करने के बाद अखबारों में सार्वजनिक नोटिस जारी करके नीलामी कर सकता है. नीलामी पारदर्शी तरीके से होगी और इसकी घोषणा एक राष्ट्रीय और एक स्थानीय अखबार में करनी होगी.
बैंक या उसके रिश्तेदार इस नीलामी में हिस्सा नहीं ले सकते. नीलामी के समय ज्वेलरी की रिजर्व प्राइस (न्यूनतम कीमत) उसके मौजूदा मूल्य का कम से कम 90 फीसदी होगी, और अगर दो बार नीलामी असफल हो जाती है, तो यह 85 फीसदी रखी जा सकती है. नीलामी के बाद अगर रकम बचती है, तो वह सात कार्यदिवसों के भीतर ग्राहक को लौटा दी जाएगी.
देर या नुकसान पर मिलेगा मुआवजा
अगर बैंक लोन चुकाने के बाद भी ज्वेलरी लौटाने में देर करता है, तो उसे प्रति दिन 5000 रुपये का मुआवजा देना होगा. अगर ज्वेलरी को किसी भी तरह का नुकसान होता है या वजन या प्योरिटी में कमी पाई जाती है, तो बैंक उसकी पूरी भरपाई करेगा. जो ज्वेलरी ग्राहक या उनके वारिस दो साल तक नहीं लेते, उन्हें “अनक्लेम्ड” माना जाएगा. बैंक को ऐसे मामलों में समय-समय पर ग्राहकों या उनके परिवार से संपर्क करने की कोशिश करनी होगी. साथ ही, हर छह महीने में अनक्लेम्ड ज्वेलरी की रिपोर्ट बैंक की बोर्ड मीटिंग में रखी जाएगी.
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