रियल एस्टेट Vs स्टॉक्स की मचमच छोड़ें, करोड़पति बनने के लिए कैपिटल रोटेशन बेस्ट तरीका
Real Estate vs Stocks: रियल एस्टेट या स्टॉक्स के बीच उलझन में हैं तो अमीर लोगों के रास्ते पर चल सकते हैं जो रियल एस्टेट और स्टॉक्स के बीच बैलेंस बनाते हैं. दरअसल वे अपनी कैपिटल को घुमाते हैं और स्टॉक्स और रियल एस्टेट में निवेश करते हैं. ये किस तरह से होता है. यहां जानें...

Real Estate vs Stocks Investment: निवेशकों के बीच रियल एस्टेट बनाम स्टॉक्स की बात होती है, इसे लेकर निवेशक उलझन में रहते हैं कि रियल एस्टेट में निवेश करें या स्टॉक्स खरीदें लेकिन फिनफ्लुएंसर और विजडम हैच के फाउंडर अक्षत श्रीवास्तव का कहना है कि रियल एस्टेट और स्टॉक्स को एक के बाद एक लेकर चलना होगा. अपने एक पोस्ट में उन्होंने बताया कि भारत के अमीर लोग इसी स्ट्रेटेजी के साथ चलते हैं और अपने इन्वेस्टमेंट को मैनेज और ग्रो करते हैं. ये तरीका स्टॉक्स और रियल एस्टेट को बैलेंस करने का है. लेकिन इसे कैसे बैलेंस करना है, चलिए ये समझते हैं.
कैसे इंवेस्ट करते हैं अमीर लोग?
अक्षत श्रीवास्तव अपने पोस्ट में बताते हैं कि आजकल जिन भी अमीर लोगों से वो बात करते हैं, वे स्टॉक्स और रियल एस्टेट, दोनों में ही निवेश कर रहे हैं. उनका कहना है कि:
- स्टॉक्स में निवेश: ग्रोथ और लिक्विडिटी यानी कैश निकालने की सुविधा देता है.
- रियल एस्टेट में निवेश: यह स्थिरता और कैश फ्लो यानी नियमित इनकम देता है.
अक्षत आगे कहते हैं कि, जब आर्थिक स्थिति खराब होती है, तो ये लोग अपनी प्रॉपर्टी को गिरवी रखकर पैसा जुटाते हैं और फिर उसे स्टॉक्स में लगाते हैं ताकि ज्यादा रिटर्न मिल सके.
जब स्टॉक्स महंगे हो जाते हैं, तो वे उसे बेचकर उस पैसों को रियल एस्टेट में निवेश कर देते हैं.
अक्षत का कहना है कि उन्हें इस सिंपल गेम को समझने में 10 साल लग गए.
उनका कहना है कि अगर आपको यकीन नहीं है, तो जेफ बेजोस का उदाहरण देखें. वे भी समय-समय पर अमेजॉन के स्टॉक्स बेचते हैं और उस पैसों को रियल एस्टेट में निवेश करते हैं. इसे कैपिटल रोटेशन कहते हैं.
क्यों जरूरी है कैपिटल रोटेशन?
ज्यादातर लोग SIPs यानी सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान में भरोसा करते हैं. लेकिन अमीर लोग इसे लिक्विडिटी क्रिएट करने के लिए इस्तेमाल करते हैं. वे अपनी कैपिटल को घुमाते हैं यानी कभी स्टॉक्स खरीदते हैं, तो कभी रियल एस्टेट. यही कारण है कि वे लगातार अमीर होते जाते हैं.
आप भी रियल एस्टेट में निवेश का सोच रहे हैं. तो चलिए इस पर भी थोड़ी नजर डालते हैं.
रियल एस्टेट में इंवेस्टमेंट के तरीके
अगर आप सिर्फ घर किराए पर देने या अपनी प्रॉपर्टी को कमर्शियल इस्तेमाल के लिए देने के बारे में सोचते हैं, तो यह एक लिमिटेड तरीका है. इसके अलावा और भी कई ऑप्शन हैं.
REITs (रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट)
REITs आपको बिना प्रॉपर्टी खरीदे रियल एस्टेट में निवेश करने का मौका देते हैं. इसे म्यूचुअल फंड की तरह समझ सकते हैं, जहां कंपनियां ऑफिस बिल्डिंग्स, रिटेल स्पेस, होटल्स जैसी कमर्शियल प्रॉपर्टीज में निवेश करती हैं.
यह निवेशकों को डिविडेंड (मुनाफे का हिस्सा) देता है, जिससे यह रिटायरमेंट इंवेस्टमेंट का अच्छा ऑप्शन बन जाता है. अगर आपको तुरंत इनकम की जरूरत नहीं है, तो आप इस डिविडेंड को दोबारा इंवेस्ट कर सकते हैं और अपनी इंवेस्टमेंट को बड़ा बना सकते हैं.
- कुछ REITs शेयर बाजार में ट्रेड होते हैं, जबकि कुछ नहीं.
- नए निवेशकों को पब्लिकली ट्रेडेड REITs में ही इंवेस्ट करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि नॉन-ट्रेडेड REITs को बेचना मुश्किल हो सकता है.
- सीधे REITs खरीदने की बजाय रियल एस्टेट ETF या म्यूचुअल फंड के जरिए भी निवेश कर सकते हैं.
ऑनलाइन रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट प्लेटफॉर्म
आजकल कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म हैं, जहां रियल एस्टेट डेवलपर्स और इंवेस्टर्स को जोड़ा जाता है. इसमें निवेशक डेब्ट या इक्विटी के जरिए प्रोजेक्ट्स को फंड कर सकते हैं और बदले में हर महीने या तिमाही रिटर्न पाने की उम्मीद कर सकते हैं.
हालांकि इसमें कुछ खामियां हो सकती है:
- यह स्पेकुलेटिव और लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट होता है, यानी इसे तुरंत बेचना आसान नहीं है.
- कई प्लेटफॉर्म सिर्फ अमीर इंवेस्टर्स (जिनकी इनकम 2-3 लाख डॉलर सालाना हो या नेट वर्थ 1 मिलियन डॉलर से ज्यादा हो) के लिए उपलब्ध हैं.
- आम निवेशकों के लिए Fundrise और RealtyMogul जैसे ऑप्शन मौजूद हैं.
हाउस फ्लिपिंग (पुरानी प्रॉपर्टी खरीदकर बेचना)
हाउस फ्लिपिंग के बारे में भी जान लीजिए. इसमें कोई इंवेस्टर सस्ती और पुरानी प्रॉपर्टी खरीदता है, उसे रिनोवेट करता है और फिर महंगे दाम में बेचता है.
इसमें चुनौतियां है:
- यह इतना भी आसान नहीं है.
- आजकल बिल्डिंग मटेरियल और ब्याज दरें महंगी हो गई हैं, जिससे यह पहले की तुलना में ज्यादा खर्चीला हो गया है.
- फ्लिपिंग के लिए सही लागत का अनुमान लगाना जरूरी है, नहीं तो मुनाफे की जगह नुकसान हो सकता है.
- अगर प्रॉपर्टी को जल्दी नहीं बेचा, तो आपको उसके लोन या मेंटेनेंस का खर्च उठाना पड़ेगा.
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