इन राज्यों में Aadhaar को नहीं माना जाएगा DOB का प्रूफ, सर्टिफिकेट का होगा रिव्यू, जानें अब कहां वैलिड
UP सरकार ने आदेश जारी कर कहा है कि Aadhaar कार्ड को जन्मतिथि प्रमाण के रूप में स्वीकार न किया जाए. महाराष्ट्र सरकार ने भी सिर्फ आधार के आधार पर जारी लेट बर्थ सर्टिफिकेट की समीक्षा और रद्द करने का फैसला किया है. दोनों राज्यों ने जन्म-मृत्यु पंजीकरण में कड़ी जांच और सत्यापन का निर्देश दिया है.
देश के दो बड़े राज्यों उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र ने आधार कार्ड को जन्मतिथि (DoB) के आधिकारिक प्रमाण के रूप में स्वीकार करने पर रोक लगा दी है. दोनों राज्यों ने स्पष्ट कर दिया है कि Aadhaar को DoB के तौर पर मान्य प्रमाण नहीं माना जा सकता. इसके साथ ही महाराष्ट्र ने उन सभी लेट बर्थ सर्टिफिकेट की समीक्षा का आदेश भी दिया है, जो सिर्फ आधार कार्ड के आधार पर जारी हुए थे.
UP सरकार ने क्या कहा?
उत्तर प्रदेश सरकार ने UIDAI लखनऊ क्षेत्रीय कार्यालय ने का हवाला देते हुए कहा है कि Aadhaar कार्ड को जन्मतिथि का प्रमाण नहीं माना जा सकता. ऑर्डर में साफ कहा गया है कि कई विभाग अब भी Aadhaar को जन्मतिथि की मान्यता दे रहे हैं, जो UIDAI के नियमों के खिलाफ है. राज्य सरकार ने सभी विभागों को निर्देश दिया कि वे Aadhaar को DoB प्रूफ के रूप में स्वीकार न करें और इस आदेश को संबंधित अधिकारियों तक तुरंत पहुंचाएं. सरकार का कहना है कि आधार केवल पहचान सत्यापन का दस्तावेज है, न कि जन्मतिथि की पुष्टि करने वाला प्रमाणपत्र. इसी कारण भविष्य में किसी भी सरकारी आवेदन, सेवा या सत्यापन में आधार को DoB के रूप में नहीं जोड़ा जाएगा.
महाराष्ट्र सरकार का बड़ा एक्शन
महाराष्ट्र सरकार ने और भी सख्त रुख अपनाते हुए उन सभी लेट बर्थ सर्टिफिकेट को रद्द करने का निर्देश दिया है, जो सिर्फ Aadhaar को प्राथमिक दस्तावेज मानकर जारी हुए थे. राज्य सरकार ने बताया कि कई तहसीलदार कार्यालयों ने बिना स्कूल प्रमाणपत्र, अस्पताल रिकॉर्ड या जन्म स्थान के दस्तावेज के केवल आधार के आधार पर जन्म प्रमाणपत्र जारी कर दिए. ऐसे मामलों में किसी भी शिकायत या त्रुटि मिलने पर आदेश की दोबारा समीक्षा की जाएगी. सरकार ने कहा कि लेट बर्थ सर्टिफिकेट जारी करने में गलती पाए जाने पर समीक्षा करना कार्यकारी मजिस्ट्रेट/तहसीलदार की जिम्मेदारी होगी. जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के SOP में भी ऐसा ही प्रावधान है.
Aadhaar अन्य मामलों में मान्य
महाराष्ट्र सरकार ने स्पष्ट किया कि Aadhaar को अन्य विषयों या सबूत के तौर पर स्वीकार किया जा सकता है, लेकिन जन्मतिथि प्रमाण के रूप में नहीं. राज्य ने एक और महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए कहा कि 11 अगस्त 2023 को जन्म-मृत्यु पंजीकरण अधिनियम में संशोधन के बाद नायब तहसीलदार द्वारा जारी सभी आदेश वापस लिए जाएं और जिला कलेक्टर स्तर पर उनकी जांच की जाए.
क्यों बढ़ा सख्ती का दायरा?
राज्यों का मानना है कि आधार कार्ड में दर्ज जन्मतिथि की जानकारी निवासी द्वारा स्वयं-घोषित (self-declared) होती है. इसका प्राथमिक स्रोत कोई सरकारी दस्तावेज नहीं होता, इसलिए इसे आधिकारिक जन्मतिथि प्रमाणपत्र नहीं माना जा सकता. जन्म-मृत्यु संबंधी प्रमाणपत्र कानूनी दस्तावेज होते हैं, जिनका उपयोग स्कूल एडमिशन से लेकर पासपोर्ट, पेंशन, प्रॉपर्टी और अन्य कानूनी प्रक्रियाओं में किया जाता है. इसलिए राज्यों ने रिकॉर्ड की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं.
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