क्या है 3% रिटायरमेंट नियम? जिससे मौज में कटेगा बुढ़ापा, महंगाई से लेकर दूसरे खर्च की नहीं रहेगी टेंशन

रिटायरमेंट के बाद सेविंग्स लंबे समय तक चलें, इसके लिए 3% रिटायरमेंट रूल को सबसे सुरक्षित रणनीतियों में गिना जाता है. जानिए यह नियम क्या है, कैसे काम करता है और किन लोगों के लिए यह सबसे ज्यादा फायदेमंद हो सकता है. विस्तार से समझें क्या है ये नियम.

क्या है 3% रूल? Image Credit: @AI/Money9live

What is 3% Retirement Rule: रिटायरमेंट प्लानिंग की दुनिया में 3% रिटायरमेंट रूल को एक सुरक्षित और सतर्क रणनीति माना जाता है. यह नियम उन लोगों के लिए खास है जो चाहते हैं कि उनकी मेहनत की कमाई रिटायरमेंट के बाद जल्दी खत्म न हो और वे बिना आर्थिक तनाव के लंबा जीवन जी सकें. ऐसे में ये जानना बेहद अहम हो जाता है कि ये नियम असल में है क्या और इसे सबसे सुरक्षित विकल्प के रूप में क्यों देखा जाता है. आइए विस्तार में बताते हैं.

क्या है 3% रिटायरमेंट रूल?

3% रिटायरमेंट रूल के मुताबिक, रिटायरमेंट के पहले साल में आपको अपनी कुल रिटायरमेंट सेविंग्स का सिर्फ 3% ही खर्च करना चाहिए. इसके बाद हर साल महंगाई के हिसाब से इस राशि को थोड़ा बढ़ाया जा सकता है, ताकि आपकी खरीदने की ताकत बनी रहे. उदाहरण से समझते हैं.

इस तरह खर्च धीरे-धीरे बढ़ता है, लेकिन पूंजी पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ता.

3% रूल क्यों माना जाता है सुरक्षित?

आदित्य बिरला कैपिटल लाइफ इंश्योरेंस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस नियम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह आपकी सेविंग्स को जल्दी खत्म होने से बचाता है. कम निकासी की वजह से आपका पैसा निवेश में बना रहता है और उसे बढ़ने का ज्यादा समय मिलता है. इसके कई बड़े फायदे भी हैं जैसे-

क्या 3% रिटायरमेंट रूल सबके लिए सही है?

जरूरी नहीं. हर व्यक्ति की जरूरतें और परिस्थितियां अलग होती हैं. इसी लिए इस नियम की कुछ सीमाएं भी हैं-

3% रूल को और मजबूत कैसे बनाएं?

अगर आप इस नियम को अपनाना चाहते हैं, तो कुछ आदतें और रणनीतियां इसे और असरदार बना सकती हैं.

फाइनेंशियल एडवाइजर की भूमिका क्यों अहम है?

3% रूल एक गाइडलाइन है, लेकिन हर किसी के लिए परफेक्ट प्लान अलग हो सकता है. यहीं एक फाइनेंशियल एडवाइजर मददगार साबित होता है. फाइनेंशियल एडवाइजर आपके पोर्टफोलियो की सही एसेट एलोकेशन तय करता है. इसके अलावा, पेंशन, किराये की आमदनी या अन्य इनकम सोर्स को प्लान में शामिल करता और समय के साथ निकासी स्ट्रैटेजी को भी बेहतर बनाता है.

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